गंगा उद्भव योजना के तहत मोहड़ा प्रखंड के तेतर पंचायत में निर्माणाधीन डैम का निरीक्षण
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डैम क्षेत्र के चारों ओर अस्थायी झंडा लगावें, डैम निर्माण कार्य मे कार्यरत सभी श्रमिकों को मास्क का प्रयोग एवं सामाजिक दूरी के साथ कार्य करने का निदेश
निर्माणाधीन डैम का निरीक्षण करते आयुक्त तथा आईजी |
गया ज़िला के मोहड़ा प्रखंड के तेतर पंचायत में गंगा उद्भव योजना के तहत गंगा का जल को संग्रहित कर गया ज़िला के लिए पीने के पानी उपलब्ध कराने की परियोजना स्थल का निरीक्षण आयुक्त, मगध प्रमंडल, गया असंगबा चुबा आओ एवं पुलिस महानिरीक्षक, मगध प्रक्षेत्र राकेश राठी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
जल संसाधन विभाग के अभियन्ताओं द्वारा बताया गया कि यहां पंप हाउस का निर्माण किया जाएगा, जिसके माध्यम से गंगा जल को यहां संग्रहित एवं भंडारित किया जाएगा ताकि गया ज़िला के वैसे क्षेत्र जहां पीने के पानी की कठिनाई होती है, जल उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने बताया कि इसकी क्षमता 22 मिलियन क्यूबिक मीटर है। बताया गया कि पाइप लाइन के माध्यम से यहां से गया ज़िला के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस डैम का क्षेत्र 1300 मीटर तथा गहराई 32 मीटर होगा।
आयुक्त ने इस परियोजना से संबंधित आवश्यक विचार विमर्श जल संसाधन विभाग के अभियंताओं से किया। साथ ही निदेश दिया कि इस परियोजना में कार्यरत सभी श्रमिकों को कोविड 19 के मद्देनजर मास्क उपलब्ध कराते हुए सामाजिक दूरी का ध्यान रखा जाए।
आयुक्त ने परियोजना क्षेत्र के संबंधित भूमि के चारों ओर झंडा लगाने को कहा ताकि क्षेत्र को चिन्हित किया जा सके।
इस अवसर पर जल संसाधन विभाग के अभियंता, प्रखंड विकास पदाधिकारी सहित अन्य संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।
नीमचक बथानी प्रखंड कार्यालय में मनरेगा द्वारा जल संचयन परियोजनाओं का उद्घाटन
गया जिलाधिकारी अभिषेक सिंह द्वारा नीमचक बथानी प्रखंड कार्यालय में मनरेगा द्वारा जल संचयन परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन के पूर्व प्रखंड कार्यालय परिसर में प्रखंड विकास पदाधिकारी नीमचक बथानी द्वारा जिलाधिकारी अभिषेक सिंह को पुष्पगुच्छ देकर उनका हार्दिक स्वागत किया गया।
नीमचकबथानी में परियोजनाओं का उद्धघाटन करते डीएम,साथ डीडीसी |
जिलाधिकारी ने अपने संबोधन में कहा कि जल संचयन हेतु मनरेगा की भूमिका ऐसे पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अति महत्वपूर्ण हो जाती है। इन चुनौतियों के बीच असीम संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाती है।
उन्होंने कहा कि नीमचक बथानी प्रखंड कार्यालय में स्थलीय अध्ययन कर कार्य योजना बनाना, कार्य योजना के संभावित लक्ष्यों का निर्धारण, इसके आगामी लाभ एवं कार्यबल की क्षमताओं का आकलन एवं इसके सापेक्ष उनके रोजगार की गारंटी तथा समयबद्ध संपन्न स्थानीय लोगों के बीच मनरेगा को प्रतिस्थापित करता है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा के अनुमान्य कार्यों यथा जल संचयन हेतु आहर, पइन, पोखर का निर्माण, हरित आवरण हेतु वृहत पैमाने पर पौधारोपण, भूगर्भ जल की बेहतरी हेतु सोख्ता एवं रिचार्ज बोरेबल, निजी क्षेत्र में पौधारोपण, पशु शेड, बकरी शेड, मुर्गी शेड एवं वर्मी कंपोस्ट की योजनाएं संचालित हो रही है। अभिसरण के तहत प्रधानमंत्री आवास की योजना आगनबाडी एवं मछली पालन की योजनाएं संचालित हो रही है।
इसी कड़ी में नीमचक बथानी के प्रखंड परिसर में पहाड़ी पानी के नियंत्रित, निस्तारण एवं संचालन हेतु कोई व्यवस्था नहीं थी, व्यवस्थित प्रक्रिया के अभाव में वर्षा ऋतु में कार्यालय तक पहुंचना भी दुर्लभ था।
संपूर्ण परिसर के भौगोलिक व्यवस्थाओं के विस्तृत अध्ययन के उपरांत त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से योजनाओं का आकलन, तकनीकी की पहचान, योजनाओं की प्राथमिकता, भविष्य की अपेक्षाओं का संकलन एवं समयबद्ध क्रियान्वयन इस जिले के लिए एक नजीर है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के विकास यात्रा के दौरान एवं 26 जनवरी तथा बौद्ध महोत्सव में एक प्रमुख झांकी के रूप में प्रदर्शित किया गया था तब यह परियोजना अपने प्रारंभिक रूप में था परंतु इसकी संपूर्णता ने सभी को आकर्षित किया था।
इस संपूर्ण परियोजना का लक्ष्य लगभग 95 एकड़ की पहाड़ी पर होने वाली वर्षा जल को एक व्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से इस प्रखंड एवं निकटवर्ती पंचायतों की लगभग 3500 की आबादी को वर्षा जल की सुलभता एवं जल का संचयन सुनिश्चित कराना है। साथ ही इस परियोजना में शामिल कुल 13 अवयवों का भौतिक परीक्षण को सुलभ बनाना एवं इससे प्रेरणा लेकर बेहतरी हेतु समझ विकसित हो ऐसा इस परियोजना का उद्देश्य है।
भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप योजनाओं का निर्माण एवं आवश्यकताओं का आकलन भी इस परियोजना के माध्यम से किया जा सकता है। इस परियोजना के अंतर्गत कुल 13 अवयवों को शामिल किया गया है जो एक दूसरे के पूरक हैं।
रिचार्ज बोरेबल के संबंध में उन्होंने कहा कि लगभग 75 एकड़ पहाड़ी भूमि पर होने वाले वर्षा जल को इस बोरेबल के माध्यम से भूगर्भ जल को रिचार्ज किया जा रहा है। कुल 85 फीट गहरे बोरवेल में प्रतिवर्ष लगभग 4500000 लीटर वर्षा जल को भूगर्भ में भेजकर भविष्य की विषमताओं को नियंत्रण करने की व्यवस्था के रूप में देखा जा सकता है।
जल संचयन टंकी के संबंध में उन्होंने कहा कि रिचार्ज बोरेबल के चारों ओर आवरण के रूप में पक्का जल संचयन टंकी का निर्माण कराया गया है ताकि अधिक समय तक वर्षा जल को संग्रहित रखने एवं बोरेबल को अधिकतम जल का लाभ मिल सके।
जल निकासी सरणी के संबंध में इस परियोजना के प्रारंभ से पूर्व पहाड़ी जल के निस्तारण की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं थी। वर्षा जल यत्र तत्र सर्वत्र अनिश्चित मार्ग को धारित कर लेता था। मिट्टी का अपरदन, भवनों में एवं उसके आसपास जलजमाव हो जाना एवं यह पहचान कर पानी की रास्ता कौन सा है मुश्किल था।
ऐसी परिस्थिति में यह आवश्यक था कि जल निकासी हेतु एक निश्चित व्यवस्था की जाए, जिसमें मिट्टी का कटाव जलभराव एवं कीचड़नुमा रास्ते से सभी को छुटकारा मिल सके। इसी प्रक्रिया में कुल 450 फीट लंबा, 3.5 फीट चौड़ा एवं 3 फीट गहरा पार्क के जल निकासी सरणी का निर्माण कराया गया, जो पानी की हर बूंद को रिचार्ज बोरवेल तक पहुंचाने का कार्य करता है।
पूर्ण उपयोग हेतु जल भंडारण टंकी के संबंध में उन्होंने कहा कि मुख्य जल संचयन टंकी के सटे हुए एक पूर्ण उपयोग हेतु जल भंडारण टंकी का निर्माण कराया गया है इस टंकी की क्षमता लगभग 500 लीटर की है तथा जल का निस्पंदन पूर्णरूपेण प्राकृतिक तरीके से किया जाता है इस जल का उपयोग पीने के जल के रूप में छोड़कर अन्य सभी उपयोग में लाया जा सकता है।
छत के वर्षा जल का एकत्रीकरण के संबंध में उन्होंने बताया कि 2 भवनों के वर्षा जल का एकत्रीकरण हेतु एक तकनीकी दृष्टिकोण से समृद्ध 10 फीट गहरा, 25 फीट का बोरेबल सहित संरचना का निर्माण मनरेगा कार्यालय के पिछले हिस्से में कराया गया है। इसके अतिरिक्त ऐसे ही एक संरचना का निर्माण आवासीय परिसर में भी कराया गया है। इस निर्माण का उद्देश्य वर्षा जल को पुनःचक्रण हेतु भूगर्भ में पहुंचाना है।
उन्होंने कहा कि यह यूनिक परियोजना है। बिहार में पहला उदाहरण है, जिसमें पहाड़ का पानी जो पूर्व में ऐसे ही बर्बाद होता था उसे रोक कर संरक्षण करने की कोई व्यवस्था नहीं थी, उसे यहां ड्रेन के माध्यम से मनरेगा एवं जल जीवन हरियाली योजना द्वारा बनाया गया है। इससे वर्षा के जल को चैनल के माध्यम से रिचार्ज बोरेबल भू-गर्व के अंदर जलाशय में ले जाने का कार्य किया गया है, जिसमें करीब 93 फीट नीचे पानी को धरती के अंदर पहुचाता है। उन्होंने कहा कि उसके बाद छोटा सा चेकडैम एवं स्टोरेज चेकडैम बनाया गया है जिसके बाद यह पानी पूनः विभिन्न कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पूरे पहाड़ से लेकर नीचे तक जो पानी जाना है, हर स्तर पर पानी का उपयोग हो रहा है और इस मॉडल के माध्यम से यह दिखाने का प्रयास होगा की इस तरह का मॉडल हर जगह लोग बना कर जल संचयन कर सकते हैं। इस मॉडल को अन्य सरकारी परिसर पर भी चालू करने का प्रयास किया जा रहा है।
इसके अलावा जिला पदाधिकारी द्वारा मनरेगा भवन का उद्घाटन किया गया। पंचम वित्त आयोग द्वारा 2 पार्क निर्माण किया गया जिनमे महात्मा गांधी पार्क एवं भीमराव अंबेडकर पार्क शामिल है। इन दोनो पार्क का उद्घाटन करते हुए जिला पदाधिकारी ने महात्मा गांधी एवं भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
उन्होंने कहा कि यदि लोगों में काम करने की तमन्ना है तथा जनप्रतिनिधि एवं पदाधिकारी का सहयोग एवं वीजन मिलता है तो ऐशे ही क्षेत्र के सौंदर्यीकरण का कार्य तथा एक परिसर को
बेहतर बनाने का कार्य किया जा सकता है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त किया कि पत्थरकट्टी के रहने वाले लोकल आर्टिस्ट द्वारा मूर्ति बनाने में सहयोग दिया गया।
उन्होंने कहा कि नीमचक बथानी प्रखंड पूर्व में नक्सल प्रभावित क्षेत्र था, आज की तिथि में विकास का नया उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। संपूर्ण गया जिला तथा अन्य ज़िले के लोगो को यहां से काफी कुछ सीखने को मिल सकता है। इसके उपरांत उन्होंने मोहड़ा प्रखंड अंतर्गत तेतर पंचायत एवं मानपुर प्रखंड अंतर्गत आबगिला में गंगा उद्धव परियोजना का निरीक्षण किया। मौके पर उप विकास आयुक्त किशोरी चौधरी, वरीय उप समाहर्ता अमित पटेल एवं संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।
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