एईएस /जेई पर आयोजित कार्यशाला का आयुक्त ने किया उद्घाटन
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गया जेई का केंद्र है : आयुक्त श्री पाल
एईएस /जेई कार्यशाला का आयुक्त ने किया उद्घाटन |
गया : बोधगया के होटल में आयुक्त, मगध प्रमंडल गया, पंकज कुमार पाल की अध्यक्षता में ए.ई.एस./ जे.ई रोग से बचाव की तैयारी पर एक कार्यशाला का आयोजन यूनिसेफ के सहयोग से किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन आयुक्त मगध प्रमंडल गया के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी गया अभिषेक सिंह, जिलाधिकारी औरंगाबाद राहुल रंजन महिवाल, जिलाधिकारी नवादा कौशल कुमार, जिलाधिकारी अरवल रविशंकर चौधरी और जिलाधिकारी जहानाबाद नवीन कुमार, अपर कार्यपालक निदेशक राज्य स्वाथ्य समिति करुणा कुमारी, नालंदा के उप विकास आयुक्त उपस्थित थे। कार्यशाला में मगध प्रमंडल के सभी जिलों एवं नालंदा के सिविल सर्जन, एसीएमओ, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, डीपीआरओ, डीपीओ आईसीडीएस, भीबीडीओ और केटीएस शामिल थे।
एईएस /जेई पर कार्यशाला का आयोजन |
इस अवसर पर आयुक्त मगध प्रमंडल ने कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सबसे पहले इस तरह के कार्यशाला का आयोजन करने के लिए आयोजक को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यदि मुजफ्फरपुर एईएस का केंद्र है तो गया जेई का केंद्र है और इसमें आशा वर्कर से लेकर सबसे वरीय चिकित्सक की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इसमें पीएचसी लेवल से मेडिकल कॉलेज लेवल तक सभी लोगों को अपनी भूमिका का निर्वहन करना होगा।
एईएस /जेई कार्यशाला में शामिल अतिथिगण |
उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में पाया गया है कि जेई के मामले अधिकतर निर्धन परिवार से आ रहे हैं, जिसमें कुपोषण और हाइपोग्लेसीनीया प्रमुख कारण है। उन्होंने जिलाधिकारी को सभी पीएससी में एंबुलेंस की व्यवस्था रखने का निर्देश दिया साथ ही आईसीडीएस के द्वारा जागरूकता कार्यक्रम सरजमीन पर कराने का निर्देश दिया। स्वच्छता पर लोगों को ध्यान जागरूक करने को कहा। उन्होंने कहा कि आशा वर्कर को घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने के साथ बीमार बच्चों का भी पता लगाना होगा ताकि ससमय उपचार कराया जा सके। इस संबंध में लोगों को जानकारी देनी होगी। उन्होंने कहा कि जेई टीकाकरण में छूटे हुए बच्चे को पुनः टीकाकरण कर आच्छादित किया जाए साथ ही मच्छर से बचाव के लिए प्रभावित क्षेत्र में फॉगिंग कराया जाए। कोई भी बच्चा रात में भूखा ना सोने पाए, इसे आईसीडीएस को देखना होगा। इसके पूर्व कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि विगत वर्ष जेई की कोई चर्चा नहीं थी। क्योंकि वर्षा नहीं हुई थी, खेतों में पानी जमा नहीं हुआ था। इस वर्ष वर्षा हो रही है। इसलिए 2 जुलाई से जेई के मामले आ रहे हैं। गया के लिए यह अच्छी बात है कि इस वर्ष 91 प्रतिशत जेई का टीकाकरण हुआ है। लेकिन एक जेई के संपुष्ट मामला मिला है, जिसमें टीकाकरण किया गया था। उन्होंने कहा कि एस.ओ.पी में सभी संबंधित पदाधिकारी का दायित्व निर्धारित किया गया है। सभी पदाधिकारी एस.ओ.पी के अनुसार अपनी जिम्मेदारी को निभाएं। उन्होंने कहा कि विगत वर्षों में एक ही समुदाय के बच्चों में जेई के मामले मिले थे, लेकिन इस बार अन्य समुदाय के बच्चों में भी जेई के मामले मिले हैं। सिविल सर्जन के माध्यम से उन स्थलों का सर्वेक्षण कराया जा रहा है। सिविल सर्जन यह सुनिश्चित करें कि जहां भी यह मामला पूर्व वर्ष या इस वर्ष पाए गए हैं वहां फॉगिंग कराया जाए । पहले से यह बताया जा रहा है कि इसका प्रमुख कारण सूअर पालन या खेतों में जमा पानी है, लेकिन कोई नया कारण भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि सैंपलिंग सिस्टम को दुरुस्त करना होगा। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर के मामले से जो खास कारण है वह हम लोगों के सामने आ गया है, अगर उन पर काम किया जाए तो बहुत से लोगों की जान बचेगी। उन्होंने कहा कि पीएससी लेवल पर प्राथमिक उपचार हो जाना चाहिए क्योंकि इमामगंज, डुमरिया जैसे प्रखंडों से गया आने में 2 घंटे लग जाते हैं। उन्होंने चिकित्सकों को विशेष दायित्व के साथ कार्य करने हेतु आह्वान किया और इस कार्य में चिकित्सा सेवा से जुड़े सभी व्यक्ति को उत्साहित होकर कार्य करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हीट स्टॉक में विशेष ध्यान देकर काम किया गया था उसी तरह इसमें भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने आगनबाडी केंद्र की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया तथा कहा कि सरकार या किसी भी व्यवस्था के लिए बच्चों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है। कार्यक्रम में यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर सैयद अली ने बताया कि यह बीमारी मॉनसून आने के पश्चात मगध प्रमंडल में सक्रिय हो जाता है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचाव हेतु यूनिसेफ के 60 समन्वयकों द्वारा प्रमंडल के चिन्हित प्रखंडों में घर-घर जाकर आमजन को इस बीमारी के लक्षण एवं उनके बचाव के बारे में विस्तृत रूप से जागरूक करेंगे तथा वैसे बच्चे जिनमें इस बीमारी के लक्षणों पाए जाएंगे वैसे बच्चों को यथाशीघ्र नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज हेतु आशा, आंगनवाड़ी अथवा एएनएम की सहयोग प्रदान करेंगे साथ ही इस बीमारी से बचाव हेतु जागरूकता फैलाने के लिए उद्देश्य से यूनिसेफ के द्वारा करीब 1500 नुक्कड नाटक एवं 300 फिल्मों के माध्यम से समुदाय को जागरूक किया जाएगा।