कोरोना ने तोड़ा अधिवक्ताओं की कमर

 वकीलों का विषम समय

अधिकांश अधिवक्ता भाइ व बहनों को वर्तमान समय में परेशानियों से जूझना  पड़ रहा है

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एक समय था, जब राजशाही पेशा माने जाने वाले वकालत के इस पेशे में बड़े- बड़े धनाढ्य घर के लोग ही इस पेशे में आकर अपना तकदीर आजमाया करते थे, लेकिन आज के दौर में स्थिति और परिस्थिति दोनों ही बदल गई है।

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मुकेश कुमार, लेखक- अधिवक्ता

परिस्थिति मैं इसलिए कह रहा हूँ चुकी बहुत से लोगों को परिस्थिति वश वकालत पेशे में आना पड़ रहा है। अब यहाँ इतना खुलकर बताने की आवश्यकता नहीं रही कि परिस्थितियां क्या – क्या  हो सकती है। वैसे, अभी के समय में सबसे ज्यादा प्रासंगिक हो जाती है कोरोना वायरस का आक्रमण, जिसकी वजह से अधिकतर अधिवक्ताओं की कमर टूट गई है।

आज के समय में वकालत एक ऐसा पेशा है जिसमें एक वकील को शायद ही किसी भी प्रकार की सुरक्षा का एहसास तक हो पाता है। यदि किसी कारण वश किसी वकील की मृत्यु हो जाती है तो ‘आगे नाथ न पीछे पगहा’ वाली कहावत चरितार्थ हो जाती है। फिर मृत वकील पर आश्रित के परिजनों को सड़क पर आते देर नहीं लगती।

इसलिए, आज के दौर में सबसे जरूरी हो गया है, वकीलों के लिये विभिन्न सुरक्षा योजनाओं को लाना। चाहे वो योजना स्वास्थ्य से जुड़ी हो या परिजनों की भलाई से।

चूंकि, जबतक एक वकील जब स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं करेगा तो वह अपने मुवक्किल व समाज की सुरक्षा आखिर कैसे कर पाएगा। उक्त मुद्दों को लेकर कानून के दायरे में रहकर जो कुछ भी किया जाना चाहिए, अविलंब व प्रभावकारी तौर पर किया ही जाना चाहिए। वकील एकता जिंदाबाद! वकील एकता जिन्दाबाद!

                          लेखक,

मुकेश कुमार, वकील, पटना

प्रस्तुति- अंज न्यूज़ मीडिया  

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