एईएस/जेई खतरनाक बीमारी पर आयुक्त ने की गहन विचार- विमर्श
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खतरनाक बीमारी पर आयुक्त ने की बैठक |
गया : समाहरणालय सभाकक्ष में आयुक्त, मगध प्रमंडल गया, पंकज कुमार पाल की अध्यक्षता में ए.ई.एस./जे.ई. को लेकर बैठक की गई। बैठक में जिलाधिकारी अभिषेक सिंह, सिविल सर्जन, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, ब्लॉक हेल्थ मैनेजर उपस्थित थे। बैठक को संबोधित करते हुए आयुक्त ने कहा कि कल प्रमंडल स्तरीय आयोजित कार्यशाला में डॉ एम.पी. शर्मा एवम डॉ सैयद अली द्वारा बहुत सारी जानकारियां दी गई एवं इस बीमारी के लिए निर्धारित एस0ओ0पी0 से अवगत कराया गया। सभी पदाधिकारी को एस0ओ0पी0 के अनुसार एकजुट होकर काम करना है। आशा एवं आगनबाडी सेविका घर-घर जाकर सघन अभियान के तहत बुखार से पीड़ित बच्चों की खोज करेगी। यदि हाई फीवर वाला बच्चा पाया जाता है तो उसे तुरंत समीप के पीएचसी में भेजवाए। यदि घर वाले नहीं भेजना चाहते हैं तो संबंधित पीएचसी में फोन करें। यदि किसी प्रकार का विधि व्यवस्था का समस्या उत्पन्न होने की संभावना प्रतीत होती है तो संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी से संपर्क करें।
खतरनाक बीमारी से वचाब के टिप्स देते आयुक्त |
उन्होंने कहा कि अत्याधिक ज्वर से पीड़ित बच्चे को अंतिम समय में सीधे मेडिकल कॉलेज भेजने पर एक-दो घंटे का समय लग जाता है। जिसके कारण बच्चे की स्थिति नाजुक हो जाती है। इसलिए समय रहते उसे पीएचसी में भेजवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि प्रभावित गांवों में जहां से मरीज आ रहे हैं, 24 घंटे के अंदर वहाँ के नालियों में, जमे हुए पानी में केरोसीन या ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराना सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त सर्वे कराकर जलजमाव वाले स्थलों पर पीएचसी के माध्यम से ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराएं। उन्होंने कहा कि मच्छर की वजह से भी यह बीमारी होती है। इसलिए संबंधित क्षेत्र में नियमित रूप से फॉगिंग कराते रहने का निर्देश दिया गया। इसके लिए राशि, रोगी कल्याण समिति से अनुमोदन कराकर व्यय करने को कहा गया। उन्होंने कहा कि छूटे हुए बच्चों का जे. ई. टीकाकरण करा दिया जाए। सिविल सर्जन ने बताया कि इस बीमारी से गया के 18 गांव प्रभावित है। जिनमें से 12 गांव में टीकाकरण हो गया है शेष 6 गांव में टीकाकरण एक दो दिन में करा दिया जाएगा। साथ ही 9 गांव में फॉगिंग हो गया है।
टीकाकरण शत-प्रतिशत हुआ है या नहीं इसका सर्वेक्षण सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को करवाने का निर्देश दिया गया है। जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने कहा कि यह बीमारी हमारे लिए एक चुनौती है। उन्होंने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को कहा कि जहां भी फागिंग मशीन खराब है, उसे 3 दिनों के अंदर बनवा लें तथा जहां से बीमार बच्चे आ रहे हैं उस गांव अथवा टोले में 24 घंटे के अंदर फॉगिंग कराना सुनिश्चित करें। यदि संसाधन की आवश्यकता होगी तो हम शत प्रतिशत संसाधन उपलब्ध कराएंगे। बैठक में डीआईओ डॉ सुरेंद्र चौधरी, एस.आर.टी.एल.डब्ल्यू.एच.ओ. डॉ राजीव, स्टेट कंसलटेंट रणवीर कुमार सिंह, एस.आई.ओ. एन के सिन्हा, यूएनडीपी डॉ कुणाल, एस.आर.सी. यूनिसेफ आशा कुमारी, एस.एम.सी. यूनिसेफ अजय केरोबिम एवं संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।