गया ज़िले की रिपोर्ट Gaya district report

लोक शिकायत के 19 मामलों की सुनवाई

गया : लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के अन्तर्गत जिलाधिकारी अभिषेक सिंह द्वारा कुल 19 मामलों की सुनवाई की गई। जिनमें कई मामलों का निष्पादन ऑन द स्पॉट किया गया।
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गया ज़िले की रिपोर्ट, Gaya district report, anj news media
लोक शिकायत के मामलों की सुनवाई करते डीएम अभिषेक सिंह
अपीलार्थी रीता देवी, नौड़ीहा, इमामगंज, द्वारा वाद दायर किया गया था कि मध्य विद्यालय, बिंदुआ, इमामगंज के प्राचार्य राजेश कुमार के द्वारा कार्य में अनियमितता के बावजूद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, इमामगंज द्वारा उनके विरुद्ध कोई भी कार्रवाई नहीं किया जाना व परिवादी को समिति के सदस्यों के द्वारा विधिवत सचिव पद पर चयन किए जाने के बावजूद प्राचार्य एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, इमामगंज के द्वारा बिना किसी समुचित कारण के समिति के सचिव पद से हटा दिया गया। जिसमें जिलाधिकारी गया द्वारा प्रखंड विकास पदाधिकारी इमामगंज को आरोप से संबंधित संपूर्ण जांच प्रतिवेदन की समीक्षा कर संबंधित कागजातों एवं पंजियों के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था। परंतु प्रखंड विकास पदाधिकारी अनुपस्थित रहें और प्रतिवेदन भी उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके कारण प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं मध्य विद्यालय, बिंदुआ, इमामगंज के प्राचार्य पर 500-500 जुर्माना लगाया गया।
अपीलार्थी भवन्त कुमार, ग्राम- पंडितपुर, थाना-अतरी, द्वारा अतिक्रमण मुक्त कराने से संबंधित आवेदन दिया गया था, जिसमें सुनवाई के क्रम में जिलाधिकारी ने अंचलाधिकारी, खिजरसराय को विधिवत जांच कर अतिक्रमण मुक्त कराने हेतु निर्देशित किया गया था। अंचलाधिकारी द्वारा मापी करा कर अतिक्रमण वाद चालू कर सरकारी भूमि से अतिक्रमण मुक्त कराया गया। 
अपीलार्थी अनुपम कुमारी, फतेहपुर द्वारा सरकारी भूमि पर लगे ताड़ के पेड़ काट लिए जाने पर थानाध्यक्ष द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने से संबंधित आवेदन दिया गया था। जिसकी जांच जिलाधिकारी ने अंचलाधिकारी, फतेहपुर से कराई। अंचलाधिकारी, फतेहपुर द्वारा बताया गया कि मेरे द्वारा पूर्व में भी प्राथमिकी दर्ज करने हेतु थानाध्यक्ष, फतेहपुर को लिखा गया था, परंतु उनके द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं किया जा रहा है। जिस पर जिलाधिकारी ने आदेश दिया कि अगर 1 सप्ताह के अंदर अंचलाधिकारी, फतेहपुर द्वारा अनुशंसा की गई मामले में थानाध्यक्ष, फतेहपुर द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं किया जाता है, तो उनपर ₹5000 का अर्थदंड एवं विभागीय कार्रवाई हेतु लिखा जाएगा। 
अपीलार्थी कुंती देवी, वजीरगंज द्वारा पूर्व में भी बिजली विभाग के विरूद्ध वाद दायर किया गया था, जिसमें अपीलार्थी के पति का बिजली के करंट से मृत्यु हो गई थी। जिलाधिकारी ने कार्यपालक अभियंता, विद्युत विभाग मानपुर को पूर्व में सुनवाई के क्रम में मृतक के लिए मुआवजा की राशि भुगतान करने का निर्देश दिया था। परंतु अभी तक बिजली विभाग द्वारा मुआवजा राशि संबंधी संतोषप्रद कार्य नहीं किया गया है, जिसके लिए जिलाधिकारी ने अंतिम चेतावनी देते हुए आदेश दिया की अगर 10 दिनों के अंदर नियमानुसार परिवादी के मामले में कार्रवाई नहीं की जाती है, तो आर्थिक दंड के साथ साथ कारवाई के जाएगी।

दशरथ मांझी महोत्सव की तैयारी

जिला अधिकारी अभिषेक सिंह की अध्यक्षता में उनके कार्यालय कक्ष में 17 अगस्त को आयोजित की जाने वाली दशरथ मांझी महोत्सव की तैयारी को लेकर समीक्षा बैठक की गई। पर्यटन शाखा के प्रभारी पदाधिकारी सह जिला पंचायती राज पदाधिकारी श्री सुनील कुमार द्वारा दशरथ मांझी आयोजन के कार्य योजना से सभी को अवगत कराया गया। 
उल्लेखनीय है कि अपनी कर्मठता की बदौलत लगातार 22 वर्षों में छेनी और हथौड़ी के सहारे पहाड़ का सीना चीरकर सुगम रास्ता बना देने वाले कर्मवीर दशरथ मांझी के सम्मान में यह महोत्सव प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा आयोजित की जाती है।
जिलाधिकारी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी दशरथ मांझी महोत्सव का आयोजन भव्य एवं आकर्षक रूप से किया जाए। इसके लिए सारी तैयारियां पूर्व से कर लेने का निर्देश पर्यटन शाखा के प्रभारी पदाधिकारी श्री सुनील कुमार को दिया गया। साथ ही उन्हें पूर्व में ही गहलोर अवस्थित दशरथ मांझी स्मारक स्थल का मुआयना कर लेने का निर्देश दिया गया। जिलाधिकारी ने उप विकास आयुक्त श्री किशोरी चौधरी को भी स्थल निरीक्षण कर सभी व्यवस्थाएं मुकम्मल कर लेने का निर्देश दिया। जिला जनसंपर्क पदाधिकारी को इस महोत्सव का व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया गया। बैठक में सभी संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।

स्मारिका तर्पण के प्रकाशन पर विमर्श

पितृपक्ष मेला महासंगम -2019 के अवसर पर प्रकाशित की जाने वाली स्मारिका तर्पण के प्रकाशन पर विचार विमर्श करने हेतु उप निदेशक जनसंपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में संपादक मंडल की बैठक संपन्न हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि लेखकों/ विद्वानों से पितृपक्ष, पिंडदान, गया की वेदियों, फल्गु नदी इत्यादि विषयों पर आधारित लेख आमंत्रित किए जाएं। बैठक में स्मारिका के विभिन्न पहलुओं पर विमर्श किया गया।

उत्तर बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत सामग्री से भरे वाहन को डीएम ने हरी झंडी दिखा किया रवाना

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बाढ़ राहत सामग्री को रवाना करते डीएम अभिषेक सिंह

शहर के रामसागर तालाब स्थित गायत्री शक्तिपीठ, गया के प्रांगण से बाढ़ राहत सामग्री से भरे वाहन को हरी झंडी दिखाकर जिलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह ने उत्तर बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए रवाना किया।
राहत सामग्रियों में चावल, दाल, फ़री, चूड़ा, दालमोट, शक्कर, मोमबत्ती, माचिस, नए कपड़े, बिस्कुट, दावा, पावरोटी, ओआरएस पाउडर, सोनपापड़ी, पानी इत्यादि सहित कुल 7 टन सामग्रियां थीं। 
इसके पूर्व गायत्री परिवार द्वारा तिलक,चंदन व मंत्र चादर देकर जिलाधिकारी का भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने माँ गायत्री का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद लिया। इस दौरान गायत्री परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्ता संजय शर्मा ने जिलाधिकारी को अखिल विश्व गायत्री परिवार,गया द्वारा हो रहे रचनात्मक कार्यों से अवगत कराया।
जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने गायत्री परिवार द्वारा किए जा रहे रचनात्मक कार्यों के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार की तरफ से बधाइयाँ दी और प्रत्येक कार्य को सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि गया शहरवासियों को ऐसे और उदाहरण पेश करने की आवश्यकता हैं।
बाढ़ राहत सामग्री एकत्र करने में गया, नवादा, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, सासाराम और कैमूर के गायत्री परिवार ने अहम भूमिका निभाई। इस अवसर पर सासाराम उपजोन के समन्वयके नीरज कुमार सिंह गायत्री परिवार गया के मीडिया प्रभारी सूरज राउत गायत्री परिवार से जुड़े सभी वरिष्ठ कार्यकर्ता युवा तथा युवती मंडल के सदस्य उपस्थित थे।

डीएम ने किया 5 दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन
कुपोषण को लेकर आयोजित की गई कार्यशाला

समेकित बाल विकास परियोजना, यूनिसेफ एवं सेंटर फॉर लर्निंग के द्वारा कुपोषण को लेकर गया और पूर्णिया जिला के लिए पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन बोधगया में किया गया।
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कार्यक्रम को सम्बोधित करते डीएम अभिषेक सिंह


इस कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी लोग इस विषय से जुड़े हुए हैं।समेकित बाल विकास परियोजना ने एक संकल्प लिया है कि जो हमारा कार्यक्रम है, वह एक नया आयाम दे सके। उन्होंने कहा कि गया पोषण के क्षेत्र में गया में सुधार की आवश्यकता है। पोषण एक महत्वपूर्ण विषय है किसी भी बच्चे के विकास के लिए। लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है उस अवधि में उसका मानसिक विकास होना। उन्होंने कहा कि उस अवधि में कैसे उनका बेहतर विकास हो सके। कैसे उन्हें एक अच्छा प्लेटफार्म दिया जा सके ताकि वे अपनी क्षमताओं का पूर्ण रूपेण विकसित कर सकें। उन्होंने कहा कि यू पी एस सी में उनका विषय मनोविज्ञान था और वे जानते हैं कि बच्चों के मानसिक विकास के लिए उचित प्लेटफॉर्म आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कई मायने में ग्रामीण बच्चों/ गरीब बच्चों को यह सुविधा नहीं मिलती जो शहरी क्षेत्र के बच्चों को मिलती है।
उन्होंने कहा कि आईसीडीएस एक महत्वपूर्ण योजना है जो स्वास्थ्य एवं शिक्षा दो विभाग के कार्य को लेकर चलती है। स्वास्थ्य के मदर एंड चाइल्ड हेल्थ केयर के तहत गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच एवं पोषण की व्यवस्था, संस्थागत प्रसव, प्रसव पूर्व जांच, प्रसव उपरांत जांच कराती है। कैसे बच्चों का विकास होना चाहिए, उनका टीकाकरण कराया जाता है, इसके उपरांत उन्हें प्रारंभिक शिक्षा का माहौल दिया जाता है। शब्दों को बेहतर ढंग से समझने की क्षमता विकसित की जाती है। 
प्ले स्कूल का कंसेप्ट बाद में आया है। खासकर शहरी क्षेत्र में छोटे बच्चों को प्ले स्कूल में भेजा जाता है ताकि वे खेल के माध्यम से शब्दों को समझ सकें। वहां उनका सर्वांगीण विकास हो सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीण बच्चों के पास भी उतनी ही क्षमता है केवल वह प्लेटफॉर्म नहीं मिलता जो शहरी बच्चों को मिलता है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने वाले वर्करों का उसी प्रकार का प्रशिक्षण आवश्यक है। यदि हम उन्हें वह प्लेटफार्म देने में कामयाब होते हैं तो लोगों कि जो अवधारणा आंगनबाड़ी केंद्र, सरकारी तंत्र और पदाधिकारियों के बारे में है। उसे बदल सकेंगे ।
दूसरा कि हम एक नई पीढ़ी में विनियोग कर रहे हैं, 20 वर्षों के बाद जो गया कि नई पीढ़ी होगी वह बेहतर होगी। उन्होंने कहा कि यह पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम इसमें सहायक होगी। बशर्ते की आंगनवाड़ी केंद्रों पर हूबहू इसका प्रयोग किया जाए और जो यहां बताया जा रहा है उसका प्रयोग आंगनबाड़ी केंद्रों पर हो सके। उन्होंने प्रतिभगी सभी सीडीपीओ को कहा कि 5 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में मनोयोग से भाग लेकर अपने आंगनबाड़ी केंद्र पर इसका क्रियान्वयन करावें तभी इस प्रशिक्षण को सफलता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि जब थर्ड पार्टी किसी कार्यक्रम में शामिल होती है तो व्यवस्था में बदलाव देखने को मिलता है। लेकिन जब थर्ड पार्टी हट जाती है तो पुनः व्यवस्था उसी तरह दिखने लगती है, जैसे पहले थी। यह नहीं होना चाहिए बदली हुई व्यवस्था में स्थायित्व होना चाहिए। गया और पूर्णिया के ऊपर यह एक दायित्व है कि वह अपने आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से यहां के बच्चों के कुपोषण को दूर करें और उन्हें एक वांछित प्लेटफार्म दे ताकि उनका समुचित शारीरिक एवं मानसिक विकास हो सके। कार्यशाला में एक आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र का डेमो भी दिखलाया गया।

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