अब थोड़े जमीन-थोड़े पानी से होगा मछली उत्पादन
बायोफ्लाॅक मछली उत्पादन की उन्नत तकनीक
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बिहार के कृषिमंत्री, पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग, डाॅ॰ प्रेम कुमार ने गया जिला मत्स्य पदाधिकारी गणेश राम से मत्स्य निदेशालय द्वारा क्रियान्वित बायोफ्लाक तकनीक से मत्स्य उत्पादन योजना की प्रगति की जानकारी प्राप्त किया।
बायोफ्लाॅक मछली उत्पादन की उन्नत नई तकनीक : मंत्री प्रेम |
जानकारी लेने के बाद मंत्री ने कहा कि बायोफ्लाॅक मछली उत्पादन की एक उन्नत एवं नई तकनीक है। इस तकनीक से बहुत ही कम जमीन पर, कम पानी और पर्यावरण को बिना नुकसान पहुॅचाये मछली का गुणवत्तायुक्त उत्पादन किया जा सकता है।
योजना के माध्यम से मत्स्य कृषकों / युवाओं के लिये रोजगार के नये अवसर सृजत होंगें। उन्होने कहा कि बायोफ्लाॅक तकनीक में 5 टैंक एवं 10 टैंक के मत्स्य उत्पादन ईकाईयों को लगाने का प्रावधान है। 05 टैंक की ईकाई लगाने के लिये 2400 वर्ग फिट एवं 10 टैंक की ईकाई लगाने के लिये 3500 वर्ग फिट की आवष्यकता होती है।
राष्ट्रीय मात्सिकी विकास बोर्ड, हैदराबाद के निर्धारित मानक के अनुसार 05 टैंक वाले बायोफ्लाॅक यूनिट की इनपुट सहित लागत 8.5 लाख रुपये एवं 10 टैंक वाले बायोफ्लाॅक की यूनिट की इनपुट सहित लागत 13.60 लाख रुपये निर्धारित है।
योजनान्तर्गत अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग के लाभुक को ईकाई लागत का 75 प्रतिशत अनुदान एवं सामान्य वर्ग के लाभुक को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।
एक टैंक से साल में दो फसल प्राप्त होती है। एक फसल में 400 किलो ग्राम मछली उत्पादन होता है, इस प्रकार 05 टैंक से सालाना 4000 किलो ग्राम मछली का उत्पादन होगा, जिसे बेचकर आसानी से 08 से 10 लाख सलाना की आय हो सकती है।
जिला मत्स्य पदाधिकारी ने बताया कि गया में 05 टैंक वाले बायोफ्लाई लगाने के लिये सामान्य वर्ग का 03, अनुसूचित जाति का 01 एवं अति पिछड़ा वर्ग का 02 लक्ष्य है जबकि 10 टैंक की ईकाई लगाने के लिये सामान्य वर्ग में 01 ईकाई का लक्ष्य है, लक्ष्य के अनुसार सभी 07 बायोफ्लाॅक ईकाईयों का निर्माण कार्य पूर्ण करा लिया गया है।
-@AnjNewsMedia-
Very nice report ! Good news