गुरुनानक देवजी का 550वां प्रकाश पर्व


राजगीर में मना गुरुनानक देवजी का 550वां प्रकाशपर्व
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गुरुनानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु थे। गुरुनानकजी के व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्म संस्थापक, समाज सुधारक, कवि, देशभक्त-विश्वबंधु के गुण मिलते हैं। कर्मयोगी नानक ने शांति, दया एवं मानवता का पवित्र संदेश देने के लिये चारों दिशाओं में बड़े पैमाने पर यात्राएं की थीं। जो ‘उदासी’ नाम से प्रसिद्ध है।

गुरुनानक देवजी का 550वां प्रकाश पर्व, AnjNewsMedia
गुरुनानक देवजी का 550वां प्रकाश पर्व राजगीर में धूमधाम से मना

गुरुनानक देवजी महाराज के 550वें प्रकाश पर्व राजगीर में तीन दिवसीय आयोजन किया गया। यह पर्व 27 से 29 दिसंबर 2019 तक धूमधाम से मनाया गया। राजगीर में जहां गुरुनानक देवजी ने जमीन पर अपना चरण छुआकर शीतल जल प्रकट कर दिया था। वह स्थान शीतल कुंड के नाम से जाना जाता है। राजगीर में उसी स्थान पर गुरुद्वारा शीतल कुंड का निर्माण भी कराया जा रहा है। गुरुनानक देव जी के समरस समाज बनाने के सपने को पूरा करने के लिये काम किया जा रहा है। गुरुनानक देवजी ने ‘इक ओकांर’ का नारा दिया था यानी ईश्वर एक है। गुरुनानक देवजी कहा करते थे कि किसी  भी तरह के लोभ को त्याग कर, अपने हाथों से मेहनत कर तथा न्यायोचित तरीकों से धन का अर्जन करना चाहिए। कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए बल्कि मेहनत- ईमानदारी की कमाई में से जरूरतमंदों की भी सहयोग करनी चाहिए। गुरुनानक देव जी के संदेशों को अपने जीवन में उतारना चाहिए। तभी जीवन में सुख- शांति और समृद्धि हासिल हो पाएगा और मन्नतें पूरी होगी। जिससे जीवन ख़ुशहाली से भर जाएगा।

गुरुनानक देवजी का 550वां प्रकाश पर्व, AnjNewsMedia
गुरुनानक देवजी का 550वां प्रकाश पर्व की धूम

श्री गुरु नानक देवजी का 550वां प्रकाश पर्व राजगीर में जोशोखरोस के साथ आयोजित किया गया। इस मौके पर राजगीर में श्री अखंड पाठ भी हुआ। राजगीर में पूरी भक्तिमय वातावरण का माहौल था।प्रकाश की जगमगाहट से नानक शीतल कुंड कार्यक्रम स्थल जगमगा उठा था। रौशनी की आकर्षक छंटा मनभावन था हीं, मनलुभावन भी। वहां लंगर की भी भव्य व्यवस्था की गई थी। दोपहर में कीर्तन दरबार सजा एवं लंगर की पूरी व्यवस्था रही। इस ऐतिहासिक समागम में शामिल होने पंजाब से रागी जत्था, प्रचारक, कवि, कविसरी जत्था पहुंचा। गुरु नानक देवजी अपनी पहली उदासी धार्मिक प्रचार यात्रा के क्रम में राजगीर हीं आए थे। वहां गर्म जल के 22 कुंड हैं। मान्यता ऐसी है कि स्थानीय लोगों एवं साधुओं के आग्रह पर गुरु नानक देवजी ने वहां शीतल जल का कुंड प्रकट किया। जो बिहार प्रदेश के लिए गौरवशाली है हीं, ऐतिहासिकता से भरपूर भी। जो महान तथा पूज्य धरोहर है। इस पावन भूमि पर गुरु नानक देवजी को नमन करने लोग दूर-दूर से आये और छक कर लंगर का प्रसाद पाये। यहाँ पधार कर भक्तगण अपने- आपको धन्य समझते हैं। सिख समुदाय के लोगों के लिए ऐतिहासिक पर्व रहा। बढ़चढ़ कर लोग इस पर्व में गर्मजोशी के साथ शिरकत किये।

अक्षरजीवी- पत्रकार,
अशोक कुमार अंज
वजीरगंज, गया, बिहार

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