गया : जल जीवन हरियाली अभियान अंतर्गत सरकार द्वारा दिए गए निर्देश के आलोक में प्रत्येक माह के प्रथम मंगलवार को *जल जीवन हरियाली दिवस* का आयोजन गया जिला में किया गया। इस अवसर पर *पौधशाला सृजन एवं संघन वृक्षारोपण* विषयक परिचर्चा पर पदाधिकारियों एवं वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
जिला पदाधिकारी, गया श्री अभिषेक सिंह ने परिचर्चा में आए हुए पदाधिकारियों एवं वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि परिचर्चा का विषय बहुत ही महत्वपूर्ण एवं सामयिक है। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण का यह अनुकूल मौसम है। इस परिचर्चा के माध्यम से गया जिले के जल जीवन हरियाली विषयक जो समस्याएं हैं, सुझाव हैं, इस पर वृहत्त रूप से चर्चा की जाएगी।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक आम लोगों की सतत भागीदारी एवं जिम्मेदारी नहीं होगी, तब तक यह आयोजन अपने उद्देश्य में पूर्णरूपेण सफल नहीं हो सकता है। लेकिन आम लोगों का रुझान जल जीवन हरियाली अभियान के प्रति लगातार बढ़ रहा है जो स्वागत योग्य पहल है।
जिलाधिकारी ने कहा कि पौधरोपण के साथ-साथ इसे सुरक्षित रखने पर विशेष ध्यान देने का भी सुझाव दिया गया है। उन्होंने हर व्यक्ति से अनुरोध है कि प्रत्येक व्यक्ति को दो-दो पौधे दिए जाएंगे, जिसे वह सुरक्षित तरीके से लगाएं।
परिचर्चा में मुख्य रूप से वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री अभिषेक कुमार भाग लेते हुए कहा कि जल जीवन हरियाली की मुहिम की सफलता के लिए सभी वर्गों का सहयोग आवश्यक है। इस अभियान में महिला, पुरुष, जनप्रतिनिधि, जीविका दीदी, छात्र-छात्राएं सहित आम जनों का सामान्य रूप से सहयोग तथा जन जागरूकता आवश्यक है। उन्होंने बताया कि गया जिले में पिछले वर्ष 37 लाख पौधे लगाएं गए हैं, जो जिले के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ पौधे लगाना ही काफी नहीं है, बल्कि उनकी सुरक्षा एवं पोषण भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में बढ़ते विकास की गतिविधि के कारण औद्योगिक गतिविधि, वाहन, सड़क, पुल पुलिया, भवनों, रिहायशी मकानों, आवासों की संख्या में काफी वृद्धि होगी। अतः हम सबों को पर्यावरण की सुरक्षा एवं जल संरक्षण हेतु अधिक से अधिक प्रयास करने होंगे तथा प्रत्येक लोगों को इस मुहिम के साथ जोड़ना अनिवार्य होगा। उन्होंने बताया कि गया जिले में 28 नर्सरी हैं, जिसमें लगभग 50 लाख पौधे उपलब्ध हैं, जिन्हें लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों एवं अन्य बच्चों को *प्राकृतिक की पाठशाला* नामक योजना से जोड़ने पर कार्य किए जाएंगे, ताकि छात्र छात्राएं/बच्चों में पौधों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी। साथ ही जीविका दीदी को भी अधिक से अधिक पौधे दिए जाएंगे ताकि वे अपने घरों आसपास के क्षेत्र में पौधे लगा सकें। उन्होंने कहा कि कृषि वानिकी *”एग्रो फॉरेस्ट्री”* से किसानों कि आय में वृद्धि होगी तथा पर्यावरण संरक्षण भी हो सकेगा।
परिचर्चा में भाग लेते हुए नगर आयुक्त, गया नगर निगम श्री सावन कुमार ने कहा कि जीवन को बचाने हेतु जल और हरियाली दोनों आवश्यक है। पर्यावरण की सुरक्षा एवं वातावरण संतुलन हेतु वृक्षारोपण एवं जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए जल जीवन हरियाली अभियान प्रारंभ किया गया है। उन्होंने कहा कि शहरों/नगरीय/उपनगरीय क्षेत्रों में अधिक से अधिक पेड़ लगाने की आवश्यकता है, जिससे हमें लाभ ही लाभ होगा।
उप विकास आयुक्त, गया श्री सुमन कुमार ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि मनरेगा द्वारा इस वर्ष 11 लाख पौधे लगाए जाएंगे जबकि सरकार द्वारा लगभग 8 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया है। 4 लाख पौधे निजी जमीन पर एवं 80 हजार पौधे सड़कों के किनारे एवं जल संरचना क्षेत्रों में 6 लाख 20 हजार पौधे लगाए जाएंगे, जिसे वन विभाग के नर्सरी से प्राप्त किया जाएगा।
परिचर्चा में उप निबंधक, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया द्वारा कहा गया कि हम विकास करें, परंतु पर्यावरण की सुरक्षा की कीमत पर नहीं। हम बेहतर जल और बेहतर कल देने का प्रयास करें। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 14 हजार पौधे लगाए गए हैं, जिसमें सभी पौधे जीवित हैं। साथ ही 15,000 वर्ग मीटर तालाब का निर्माण कराया गया एवं 30,000 लीटर क्षमता का रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का विकास किया गया। उन्होंने अपनी पीढ़ी को एक शानदार पर्यावरण देने का अनुरोध किया, जिसमें जल और हरियाली की प्रचुरता हो।
परिचर्चा में शिक्षा विभाग, जिला कृषि पदाधिकारी, डीपीएम जीविका द्वारा भाग लेते हुए अनुरोध किया गया कि हम वातावरण एवं पर्यावरण के प्रति संजीदगी दिखाते हुए यह संकल्प ले की आम लोगों को वृक्षारोपण के प्रति सजग करें तथा उनमें अधिक से अधिक जागरूकता का भाव पैदा करें।
परिचर्चा में जीविका द्वारा बताया गया कि इस वर्ष जीविका दीदी द्वारा लगभग 8 लाख पौधे लगाने का कार्य किया जाएगा।
राज्य स्तर पर आज अधिवेशन भवन, पटना में जल जीवन हरियाली दिवस के अवसर पर परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें कई वक्ताओं ने अपने सुझाव से लोगों को वृक्षारोपण एवं पर्यावरण के प्रति प्रेरित करने का प्रयास किया।
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