तपोवन के तप्त जल में मकर स्नान

ब्रह्मकुंड के तप्त जल में स्नान से तन-मन शुद्ध होता हीं, तरोताज़ा भी
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जड़ी- बूट्टी मिश्रित तपोवन का तप्त निर्मल जल


बिहार सूबे के गया जिले का तपोवन हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए महान पावन तीर्थ स्थली है। जहाँ मकर मेला लगता है।

मकर संक्रान्ति के मौके पर तपोवन के तप्त जल में मकर स्नान का विशेष महत्व है। ब्रह्मकुंड के तप्त जल में स्नान से तन-मन शुद्ध होता हीं, तरोताज़ा भी। जड़ी- बूट्टी मिश्रित तप्त निर्मल जल मानव को पवित्र कर देता है। इस गर्म जल के सेवन से पाचन क्रिया भी दुरूस्त हो जाता है। तपोवन का जल लाभकारी है हीं, गुणकारी भी। तपोवन का पावन जल अमृत सा है। जो बेजोड़ है। 

यह स्थल गया जिले के मोहड़ा प्रखंड में आता है। तपोवन, टेटारू ग्राम के पावन भूमि पर अवस्थित है। जो मनोरम पहाड़ी वादियों से घिरा है। जहाँ का आकर्षक छंटा मनभावन, मनलुभावन, सुहावन है। 

जाहिर हो तपोवन में चार तप्त जल कुंड है। जो ब्रम्हा के चार मानस पुत्रों के नाम पर है। इस स्थल पर प्रभु ब्रम्हा तपस्या किये थे।

तपोवन मूल्त: तप:भूमि है। जहाँ महात्मा बुद्ध तपे, माता रुक्मणी तपी। यह शिव नगरी है। यहाँ चार गर्म कुंड का जलप्रपात है। प्रकृति का अद्भुत, अनोखा वरदान है। लोग तपोवन के पावन निर्मल जल में स्नान कर मकर संक्रान्ति पर्व मनाया। मकर संक्रान्ति 14 जनवरी धूमधाम से मनाया। कोरोना काल के वजह से पर्यटक यात्रियों के आवाजाही पर विपरीत असर पड़ा, फिर भी लोग तपोवन के पवित्र तप्तजल में महापावन स्नान किया। इस बार मकर संक्रान्ति 14 जनवरी को हीं पड़ा है। एक्कीसवीं सदी के नव वर्ष हो महा शुभ। 14 जनवरी मकर संक्रान्ति शुभ वेला आरंभ हुआ। जो जीवन के लिए विशेष फलदायक, सिद्धिदायक है।

गंगा स्नान सा हीं है तपोवन स्नान। तपोवन के तप्त जलधारा रूपी अमृत गर्म जलप्रपात में स्नान करना जीवन के लिए लाभकारी है। धार्मिकता से ओतप्रोत है अति प्राचीन ऐतिहासिक तपोवन। भक्तिमय वातावरण से गुंजायमान होता तप:स्थली। ऋषि- मुनियों के तप से सिंचित महा पावन सिद्धिदायिनी भूमि है। तपोवन में तीन दिवसीय राजकीय मेला आयोजित होता है। यह बिहार पर्यटन का धरोहर है। जहाँ देशी- विदेशी सैलानियों के निरंतर आवाजाही होती है। पर्यटकों के आवाजाही से तपोवन बारहो मास गुलज़ार होता है।

लोग सालोभर तप्त जल में स्नान करता है। जाड़े के दिनों में तप्त जल में स्नान आनंददायक होता है। तपोवन में पावन स्नान के उपरांत हीं दही, चूड़ा, गुड़ तथा तिलकुट का भोग लगाते हैं लोग। जो सुखद जीवन के लिए फ़ायदेमंद है हीं, वरदान सा। तपोवन में शांति की सुखद अनुभूति होती है। मकर संक्रान्ति की भर खचिया बधाई एवं शुभकामनाएँ। यह पर्व सबों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि सहित खुशहाली लेकर आए, सृष्टिकर्त्ता जगतपिता प्रभु बाबा विश्वकर्मा से ऐसी कामना।

➖ लेखक,

अशोक कुमार अंज

वर्ल्ड रिकार्डी जर्नलिस्ट,(फिल्मी पत्रकारबाबू)

आकाशवाणी- दूरदर्शन से अनुमोदित साहित्यकार- पत्रकार

वज़ीरगंज, गया, इंडिया

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