दिव्यांग डा. प्रोफेसर का आत्मबल

दिव्यांग डा. प्रोफ़ेसर सुरेन्द्र कुमार शर्मा
यदि बुलंद हौसला, दृढ़- इच्छाशक्ति हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं। वैसे लगन और मजबूत इच्छाशक्ति के धनी पुरूष हैं दिव्यांग डा. सुरेन्द्र कुमार शर्मा।
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वह संकट से जूझते हुए बड़ी मुश्किल से मगध विश्वविदयालय से पढ़ाई पूरी किये। सम- विषम परिस्थितियों से गुज़रते हुए मंज़िल पाये हैं। ऐसे शख़्सियत हैं पाँव से दिव्यांग डा.प्रोफेसर सुरेन्द्र। जो अपने गाँव की पहचान हैं। वे अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के बदौलत ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा में इतिहास विषय के सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हुए हैं। जाहिर हो प्रतिभावान दिव्यांग प्रोफ़ेसर सुरेन्द्र कुमार शर्मा, गया जिले के मोहनपुर प्रखंड क्षेत्र के ग्रामपंचायत लाड़ू के निवासी हैं। उनके पिता स्वर्गीय परशुराम शर्मा थे। विदित हो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं डा. सुरेन्द्र। जिनका चयन बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा विज्ञापन संख्या 53/ 2014 के अनुसार इतिहास विषय में सहायक प्राचार्य के पद पर नियुक्ति हेतु हुआ है। आयोग द्वारा 15-11-2018 से 12 – 12- 2018 एवं 19 – 12-2018 से24-12- 2018 के बीच उनका साक्षात्कार हुआ, जिसमें वे सफल हुए। ज्ञात हो कुल 1207 आमंत्रित सीटों में से 867 उपस्थित हुए थे जिनमें से 827 के अनुसार 261 को विभिन्न विश्वविद्यालय के लिए हुआ।
पाँव से दिव्यांग डा. प्रोफ़ेसर सुरेन्द्र
इसी में दिव्यांग तेजस्वी सुरेन्द्र कुमार शर्मा को ललित नारायण विश्वविद्यालय, दरभंगा के लिए चयन हुआ। जो दृढ़ हौसले की प्रतीक है। उनकी मेहनत कामयाब हुआ, जो औरों के लिए प्रेरणाप्रद है। दिव्यांग डा. प्रोफेसर सुरेन्द्र कुमार शर्मा ने हर्षित हृदय की गहराई से कहा कि बड़ी मुश्किल से सपने सच हुए। जिससे सारा परिवार उत्साहित है। उन्होंने कहा जीवन में कभी हार नहीं मानना, सफलता जरूर कदम चूमेगी। बस, अपने लक्ष्य पर अडिग रहना चाहिए। वे अपने जीवन में कभी हार नहीं माने, वैसे साहसी संकल्पी पुरूष हैं दिव्यांग प्रोफ़ेसर डा. सुरेन्द्र। वे अपने आत्मबल की शक्ति को शिक्षा जगत के क्षेत्र में उतारे हैं। जो काबिले तारीफ है। उसने दिव्यांग होते हुए भी साहस का परिचय दिया है। जो कमाल का है। इसी साहस के वजह से वे आदर्श पुरूष की श्रेणी में स्थान पाये हैं। अब प्रोफेसर बन, वे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में शिक्षा की अलख जगाएगें। लोग उनके जज्बे को प्रणाम, सलाम करते हैं। वे अब विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में शिक्षा के जरीय नई उर्जा संचारित करेंगे। उनके सपने सच हुए ही, परिजनों का भी। इस तरह अपने दम पर सफलता की बुलंदियों को हासिल किये हैं दिव्यांग डा. प्रोफेसर सुरेन्द्र। जिनकी कामयाबी से गया ही नही, बिहार गौरवांवित है।
डा. प्रोफेसर सुरेन्द्र कुमार शर्मा
का 
दिव्यांगता प्रमाणित प्रमाण-पत्र
ऐसे शख्स हैं डा. प्रोफेसर सुरेन्द्र कुमार शर्मा। उनकी जज्बे  से दिव्यांगों के जज्बों में मजबूत बल भरेगा, ऐसी उम्मीद। जिससे उनके सपने टूटेगें नहीं, बल्कि कामयाबी की मंजिल हासिल कर के ही दम लेगा। वे ऐसी इतिहास रचे हैं, जो कमाल का है। वे गरीबी, लाचारी और भुखमरी झेलते हुए कामयाबी का मुकाम हासिल किये हैं। बड़ी मुश्किल से सफलता मिली है। जिससे उनकी बांछें खिल उठा है।
लेखक,
अशोक कुमार अंज
साहित्यकार- फिल्मी पत्रकार बाबू
आकाशवाणी- दूरदर्शन, पटना से अनुमोदित





लेखक,
अशोक कुमार अंज
साहित्यकार- फिल्मी पत्रकार बाबू
आकाशवाणी- दूरदर्शन, पटना से अनुमोदित
वजीरगंज, गया, बिहार 

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