15 दिवसीय विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला महासंगम का उपमुख्यमंत्री ने किया उद्घाटन
श्रीहरिश्रीहर विष्णु नगरी पिण्डदानियों से गुलफूल
गया : पितृपक्ष मेला महासंगम2019 का उद्घाटन उपमुख्य मंत्री सुशील कुमार मोदी के कर कमलों से दीप प्रज्वलन कर विष्णुपद मंदिर परिसर में किया गया। इसके पूर्व उपमुख्यमंत्री ने नारियल फोड़कर और फीता काटकर मुख्य द्वार पर मेले का शुभारंभ किया, इस अवसर पर बाल ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चार कर पूरे वातावरण को मंत्रो से गुंजायमान कर दिया।
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विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष राजकीय मेला का उद्घाटन किये उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी |
उपमुख्यमंत्री ने विष्णुपद मंदिर में विष्णु चरण की पूजा अर्चना की।उद्घाटन समारोह में सभी का हार्दिक अभिनंदन पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया गया तथा तीर्थ वृत्त सुधारनी सभा के अमरनाथ ढोकड़ी ने सभी मंचासीन अतिथियों को अंग वस्त्र ओढ़ाकर सम्मानित किया।
जिलाधिकारी अभिषेक सिंह द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया जिसमें पितृपक्ष मेला महासंगम 2019 के लिए की गई तैयारियों से सभी को अवगत कराया गया।
पितृपक्ष राजकीय मेला उद्घाटन के क्रम में तर्पण स्मारिका का लोकार्पण करते उपमुख्यमंत्री मोदी व अन्य गणमान्य अतिथिगण |
समारोह को संबोधित करते हुए पितृपक्ष मेला महासंगम 2019 के उद्घाटनकर्ता उपमुख्यमंत्री बिहार सरकार सुशील कुमार मोदी ने कहा की ‘हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमें मगध की धरती पर पैदा होने का अवसर मिला है। यह धरती काफी पावन है। यहां भगवान विष्णु का स्थान है। इसके बगल में 24वें तीर्थांकर भगवान महावीर पैदा हुए। मगध का क्षेत्र हिंदू, बौद्ध व जैन धर्मावलंबियों के लिए काफी पवित्र भूमि है। आज पूरी दुनिया विशेषकर बौद्ध देश बोधगया को पवित्र भूमि मानते हैं। 2000 ई0 में झारखंड के बंटवारे के बाद लोग मजाक करते थे कि खनिज संपदा, कोयला, कल-कारखाने सब झारखंड में चला गया। अब बिहार में कुछ नहीं बचा। मैंने कहा था कि हमारे पास जो है वह कहीं नहीं है। हमारे पास भगवान विष्णु, महात्मा बुद्ध और भगवान महावीर हैं। जैन धर्मावलंबियों को मुक्ति के लिए पावापुरी, बौद्ध धर्मावलंबियों को बोधगया तथा हिंदू धर्मावलंबियों को गया आना जरुरी है। इस इलाके के रोम-रोम में धार्मिकता व्याप्त है। गया एकमात्र ऐसा शहर है जिसे लोग गया जी बोलकर संबोधित करते हैं। गया और बोधगया के विकास के लिए 13 वर्षों में जो किया गया है। उसे आने वाले लोग महसूस कर सकते हैं। इसके लिए सीएम और पीएम बधाई के पात्र हैं। एक समय था जब पितृपक्ष मेला की तैयारियों के लिए आते थे तो बिजली विभाग के अधिकारियों को बिजली नहीं कटने देने का निर्देश देना पड़ता था। बिहार में जो लोग आते हैं पिंडदान के लिए वे हमारे ब्रांड अम्बेस्डर हैं। उन्हें वह सुविधा दें ताकि वे गया से लौटकर पूरे जीवन गया और बोधगया को याद रखें। इसके लिए सभी का सहयोग जरुरी है। पूरे वर्ष गया को स्वच्छ रखना है, लेकिन पितृपक्ष मेला के दिनों में कहीं भी गंदगी नहीं दिखनी चाहिए। पिंडदान की सामग्री के कारण फैलने वाली गंदगी को दूर करने के लिए कंपोस्ट बनाने की व्यवस्था की गई है। इसमें पंडा समाज के लोगों की काफी भूमिका होगी। दक्षिण के मंदिरों में इतनी स्वच्छता है कि ईश्वर में जिसे भरोसा नहीं है, उसे भी भरोसा हो जाता है। उत्तर भारत के मंदिरों में व्याप्त गंदगी के कारण वहां जाने का मन नहीं करता है। लेकिन, पीएम और सीएम ने मंदिरों का कायाकल्प कर दिया। कंद्र सरकार ने हृदय योजना और पीएम पैकेज के जरिए जो पैसा दिया। उससे सभी तालाबों और पिंडवेदियों को स्वच्छ और सुंदर बनाया गया। सरकार द्वारा सभी तालाबों में नए पानी पहुंचाने और पुराने पानी को निकालने की व्यवस्था की गई है। हर तीर्थस्थल पर आवारा पशुओं की समस्या होती है। नगर निगम और जिला प्रशासन द्वारा इससे लोगों को बचाने की व्यवस्था की गई है। डीएम इस बात को सुनिश्चित करें कि मेला क्षेत्र में एक भी आवारा पशु नजर न आए। हर दुकानदार अपनी दुकानों के सामने डस्टबिन रखे। पिंडदान एप्प के जरिए मेला की पूरी जानकारी प्राप्त कर उसका लाभ उठाएं पिंडदानी। पितृ वाटिका में अपने पितरों के नाम पर अवश्य लगाएं पौधे। 40 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य है पितृ वाटिका में। 145 करोड़ की लागत से बोधगया में ढाई हजार लोगों की क्षमता का आॅडिटोरियम बन रहा है। आॅडिटोरियम बनने के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार और गोष्ठी का आयोजन शुरु हो जाएगा। पटना में जितने होटल नहीं हैं। उतने होटल बोधगया में हैं। पूर्व पीएम अटल बिहार वाजपेयी के कार्यकाल में गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का उद्घाटन किया गया था। गया के अंदर जो परिवर्तन हुआ है।बाढ़ के समीप से गंगा नदी से पानी का निकास कर गया, नवादा और नालंदा पहुंचाया जाएगा। प्रेतशिला, ढुंगेश्वरी और ब्रह्मयोनि में रज्जू मार्ग के निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है। टेंडर की प्रक्रिया जारी है। जलवायु परिवर्तन की चुनौती से लड़ने के लिए सूबे के सभी आहर, पईन, पोखर, नदी तालाबों का सर्वे कर उनकी उड़ाही कराई जाएगी। सभी आहर पईन को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा। कोई भी अतिक्रमणकारी बच नहीं सकेगा। सभी तालाबों-पोखरों को अतिक्रमणमुक्त कराकर उनकी उड़ाही कराकर पुनर्जीवित किया जाएगा। दो अक्तूबर से सरकार जल-जीवन-हरियाली अभियान शुरु करेगी। तीन वर्ष में 24 हजार करोड़ रुपए इस अभियान पर खर्च किए जाएंगे। कुओं को भी पुनर्जीवित किया जाएगा। घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की जा रही है। पंजाब में वाटर लेवल तीन सौ फीट चला गया है। दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, वैशाली में टैंकर से पानी की सप्लाई करनी पड़ी है। जल का संचय और जल का संरक्षण आवश्यक है। डेढ़ करोड़ पौधे लगाए गए हैं इस वर्ष। अगले साल पांच करोड़ पौधे लगाए जाएंगे बिहार में। सड़क, नहर, पोखर के किनारे पौधे लगाए जाएंगे। पूजा का मतलब केवल मंदिर में पूजा नहीं है। स्वच्छता और पौधारोपण भी पूजा है। पूरी दुनिया में बौद्ध और हिंदू धर्म ही ऐसा है जहां पेड़, तालाब, पहाड़ी व जीव-जंतुओं की पूजा होती है। पृथ्वी को बचाने के लिए जल व हरियाली को बचाना होगा। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है। पितृपक्ष मेला के दौरान केंद्र व राज्य सरकार की ओर से आश्वस्त करना चाहूंगा कि बोधगया, गया और मगध के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। बोधगया में विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है केंद्र सरकार के द्वारा। केंद्र व राज्य सरकार मिल गए तो बिहार और गया-बोधगया के विकास को कोई नहीं रोक सकता है। गया-बोधगया को विश्वस्तरीय रुप से विकसित किया जाएगा।’
पितृपक्ष राजकीय मेला महासंगम के मंच पर मंचस्थ उपमुख्यमंत्री, मंत्रीगण व अतिथिगण |
इस अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री पर्यटन विभाग, बिहार सरकार कृष्ण कुमार ऋषि ने कहां कि “‘पितृपक्ष मेला के दौरान पटना हवाई अड्डा पर भी पितृपक्ष मेला को लेकर सूचना केंद्र बनाया गया है। गया आने-जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था की गयी है। गया और बोधगया के विकास के लिए केंद्र व राज्य सरकार वृहत योजना बना रही है। ताकि ये विश्वस्तरीय मानचित्र पर नजर आए। इसके अतिरिक्त कई अन्य धरोहरों को भी विकसित करने की योजना है। पर्यटन विभाग द्वारा उन्हें चिह्नित कर उनका विकास किया जाएगा। बिहार में पर्यटन को सरकार ने उद्योग का दर्जा दिया है। मेला अवधि में एक बार फिर दौरा कर विकास कार्यों की समीक्षा की जाएगी।”
मंत्री शिक्षा विभाग बिहार सरकार सह प्रभारी मंत्री गया जिला कृष्णनंदन वर्मा ने कहा कि “पितृपक्ष मेला 2019 आज उद्घाटन समारोह में हम सम्मिलित हैं। सचमुच हम कितने सौभाग्यशाली हैं कि हम गया जिला के निवासी हैं। अंतर्राष्ट्रीय मेला होने के कारण गया और बिहार को काफी सम्मान मिलता है। यहां दूसरे राष्ट्र सहित अन्य राज्यों से तीर्थयात्री आकर अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह सिलसिला कई वर्षों से चला आ रहा है। मेले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्वयं सीएम इसकी तैयारियों की समीक्षा करते हैं। जिला प्रशासन की व्यवस्था काफी अच्छी है। पहले यहां मेला के दौरान काफी गंदगी रहती थी। लेकिन, अब जिला में प्रवेश करते ही लगता है कि यहां काफी बड़ा आयोजन हो रहा है। सारे पदाधिकारियों पर सुशासन का असर है और वे पूरे मन से इस कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे रहते हैं ताकि बिहार का नाम रौशन हो। दूसरे स्थानों से आने वाले तीर्थयात्रियों को कोई शिकायत न हो। प्रतिवर्ष व्यवस्था में सुधार हो रहा है। बिहार में विभिन्न धर्मावलंबियों का कार्यक्रम आयोजित होता है। पिछले दिनों प्रकाशोत्सव के आयोजन के लिए बिहार के लोगों का काफी नाम हुआ था। जो सेवा यहां के लोगों ने की उससे राज्य का गौरव और मान-सम्मान बढ़ता है। गया के पितृपक्ष मेला का ऐतिहासिक महत्व है। यह हमारी पहचान है। गया की वजह से हमें बाहर के राज्यों में काफी सम्मान मिलता है। इसलिए लोगों का कर्तव्य है कि बाहर से आए तीर्थयात्रियों की सेवा पूरे मनोभाव से करें। बिहार सरकार काफी अच्छा कार्य कर रही है।
समारोह को संबोधित करते हुए बिहार के कृषि मंत्री डाॅ. प्रेम कुमार ने कहा कि “गया की पावन धरती भगवान विष्णु की पावन नगरी है। यहां विश्व के कोने-कोने से प्रतिवर्ष लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए आते हैं। मुख्यमंत्री द्वारा प्रत्येक वर्ष मेला की तैयारियों की समीक्षा की जाती रही है। हमारी संस्कृति और परंपरा अतिथि देवो भवः को निभाने के लिए गया के नागरिक हमेशा तत्पर रहते हैं। जलवायु परिवर्तन का असर फल्गु नदी पर भी हो रहा है। मैं गुजरात गया था, वहां देखा कि देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 800 किलोमीटर का कैनाल बनाकर नर्मदा नदी से पूरे राज्य में पेयजल संकट को समाप्त किया गया। वहां से लौटा तो गंगा नदी को गया-बोधगया लाने के लिए प्रस्ताव दिया। आने वाले समय में गया और मगध के लोगों सहित नालंदा के लोगों के लिए राज्य सरकार की पहल पर गया के लोगों को पानी की दिक्कत नहीं होगी। और पितृपक्ष मेला के दौरान तीर्थयात्रियों को भी पानी का संकट नहीं झेलना पड़ेगा। 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आई। केंद्र सरकार ने देश के 12 शहरों को हेरिटेज सिटी में शामिल किया। इसमें गया को भी शामिल किया गया। इस योजना के तहत गया की विभिन्न वेदियों का चेहरा बदल गया है। 12 सौ करोड़ रुपए खर्च कर सरकार गया जी की सूरत बदलने में जुटी है। आने वाले समय में देवघाट से सीताकुंड जाने के लिए लक्ष्मणझूला बनाया जाएगा। जैसे कृषि रोड मैप बनाया गया है। उसी प्रकार पर्यटन मैप भी सरकार द्वारा बनाया गया है। गया मोक्ष व ज्ञान की भूमि है। हमारी सरकार आने वाले समय में प्रेतशिला, रामशिला, ब्रह्मयोनि, ढुंगेश्वरी में पेयजल की किल्लत को दूर किया गया। पीएम ने विशेष पैकेज 1 लाख 65 हजार करोड़ दिया था, इसमें दो सौ करोड़ रुपए से एएनएमएमसीएच को सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने का काम शुरु है। पहले सिलिंडर के लिए लोगों को दौड़ना पड़ता था। अब पाइपलाइन के जरिए गैस की आपूर्ति का कार्य शुरु कर दिया गया है। 350 करोड़ की लागत से पानी का संकट दूर करने के लिए योजना का क्रियांवयन किया जा रहा है। केंद्र व राज्य सरकार बिहार के विकास को गति देने का कार्य कर रही है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए जल-जीवन-हरियाली योजना का संचालन किया जा रहा है। अबतक गया में 11 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं। इसे सफल बनाने में आम लोगों का सहयोग आवश्यक है। आने वाले दिनों में क्लीन इंडिया-ग्रीन इंडिया के नारे को पूरा किया जाएगा। सबके सहयोग से पितृपक्ष मेला सफल होगा।”
पितृपक्ष मेला के मौके पर उद्घाटन अतिथि उपमुख्यमंत्री मोदी का स्वागत करते डीएम अभिषेक |
इस अवसर पर समारोह की अध्यक्षता कर रहे मंत्री राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग रामनारायण मंडल ने कहा कि ‘पिछली बार भी आया था उद्घाटन में। उद्घाटन के बाद अपने पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान भी किया। पिछली बार मैंने दो दिन रहकर व्यवस्थाएं देखी थी। आज काफी परिवर्तन दिखाई पड़ रहा है। राजकीय मेला का दर्जा पितृपक्ष मेला को देने के बाद सीएम-डिप्टी सीएम के नेतृत्व में चल रही सरकार लगातार इस राज्य को विकास की ओर ले जा रही है। इसी का परिणाम है कि गया में भी काफी परिवर्तन और पितृपक्ष मेला में भी काफी परिवर्तन दिखाई दे रहा है। डीएम ने जो राशि मांगी थी, उसे उपलब्ध कराया गया है। धन की कोई कमी नहीं है। जितनी राशि की जरुरत होगी। पूरा किया जाएगा। जब मनुष्य का जन्म होता है और वह धरती पर आता है तो उनको सबसे जरुरी इस धरती पर यह भूमि चाहिए। सभी को भूमि की आवश्यकता है, लेकिन भूमि की विवाद को दूर करने के लिए लगातार सरकार प्रयत्नशील है। सरकार के प्रयासों से भूमि के विवादों में काफी कमी आई है। जमीन को लेकर भाई-भाई, रिश्तेदारों में विवाद होता रहता है। राज्य सरकार द्वारा इस दूर करने के लिए राज्य सरकार ने 50-50 रुपए का बंटवारानामा बनाने के बाद आॅनलाइन म्युटेशन होगा। भूमि विवादों के निबटारे के लिए शनिवार को थाना में थानाध्यक्ष और सीओ द्वारा मामलों का निष्पादन कर रहे हैं। इसके अलावा एसडीओ व डीएम भी मामलों का निष्पादन कर रहे हैं। भूमि मालिकों की परेशानी कम करने की कोशिशों में राज्य सरकार जुटी है। डीएम और मगध प्रमंडलायुक्त को प्राथमिकता के आधार पर भूमि संबंधी कार्यों के निष्पादन कराने का निर्देश दिया। स्वच्छता के लिए जनता का सहयोग आवश्यक है। गयाधाम में पितृपक्ष मेला में काफी परिवर्तन आया है। तीर्थयात्रियों को हरसंभव सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।’
इस अवसर पर स्मारिका तर्पण-2019 का विमोचन कर लोकार्पण किया गया। उद्घाटन समारोह में आयुक्त मगध प्रमंडल असंगबा चुबा आओ, पुलिस महानिरीक्षक मगध क्षेत्र पारस नाथ, विधायक टिकारी अभय कुमार सिन्हा, विधायक गुरुवा राजीव नंदन, विधायक शेरघाटी विनोद प्रसाद यादव, विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह, कृष्ण कुमार सिंह, अध्यक्ष जिला परिषद लक्ष्मी देवी, वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा उपस्थित थे।धन्यवाद ज्ञापन नगर आयुक्त सावन कुमार द्वारा किया गया।
अशोक कुमार अंज लेखक- फ़िल्मी पत्रकारबाबू |
@ रिपोर्ट : अशोक कुमार अंज
लेखक-फ़िल्मी पत्रकारबाबू
लेखक-फ़िल्मी पत्रकारबाबू