बसंतोत्सव

*सरस्वती पूजा व बसंतोत्सव*

गया : जिले भर में धूमधाम के साथ सरस्वती पूजा सह बसंत पंचमी मनाया गया तो कहीं रंगारंग- सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
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विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती वीणावादिनी की पूजा- अर्चना भक्तिमय वातावरण में किया गया।
विद्या संस्थानों में विद्यादात्री, हंसवाहिनी की पूजा अर्चना मूर्ति बैठा कर तो कहीं उनकी प्रतिमा रूपी तस्वीर पर श्रद्धा भक्ति, निष्ठा के साथ  उनकी आराधना कर, माँ भारती से विद्यार्थियों सहित लोगों ने विद्या- बुद्धि- विवेक की कामना की। बसंत के शुभागमन से दिल पुलकित हो, मन मोर की तरह झूम उठा। बच्चे, बुढ़े, जवान सभी सुहाना मौसम बसंत का तहेदिल से स्वागत किये।
आज के हीं शुभ दिन से होली का आग़ाज़ हो जाता है। बसंत पंचमी के बसंत बहार के साथ हीं साथ होली का लहार आरंभ हो जाता है। इस अवसर पर गाँव में होली गायन भी लोग किये। आज के पावन दिन से मन- मियाज एकदम मस्त हो जाता है। 
लोगों में नव ऊर्जा तथा आम वृक्ष में मंज़र निकल आते हैं। वहीं पेड़ों के नव कोमल पत्ते नवीनता का बोध कराता है। प्रकृति के साथ मानव भी नई ताजगी का एहसास करते हैं। जिससे मन पुलकित हो बाग़- बाग़ हो उठता है। सच, बेहद सुंदर, आत्मीय मौसम है बसंत। जिसका सभी जोशोखरोस के साथ स्वागत- सुस्वागत करते, अघाते नहीं। ऐसा है बसंत बहार, चारो ओर बहार हीं बहार। सचमुच, प्यारा, सुंदर, मनभावन है बसंत ऋतु। बसंत पंचमी के मौके पर लोग एक दूजे को गुलाल लगा कर बसंत का स्वागत करते और होली की अहसास करते हैं, ऐसे मन फूलों की तरह खिल कर खिलखिला उठता है। ऐसी शुभ दिन से ढोलक पर ताल ठोक कर होली गायन का श्रीगणेश होता है,  और फागुन का पारा चढ़ने लगता है। आज के इस मौके पर कई कार्यक्रम स्कूलों तथा कालेजों में होते हैं जिसमें विद्याथियों ने बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं। सबों में नई  जोश, नई  उमंग देखने को मिलता है

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