सरकारी स्कूल की शिक्षा, सिर्फ कहने भर का
बिहार सरकार की सरकारी पाठ्यपुस्तक में छपा उल्टा राष्ट्रध्वज बच्चों के भविष्य को कर रहा प्रभावित सरकार मौन |
सरकारी स्कूल के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाने वाली पुस्तक में राष्ट्र गान के साथ उल्टा प्रकाशित है राष्ट्रीय तिरंगा। जो घोर लापरवाही की प्रतीक है ही, बिहार सरकार पर सवालिया निशान खड़ा करती है। सरकारी विद्यालय के तृतीय कक्षा की पुस्तक ‘पर्यावरण और हम’ के पिछले पृष्ठ पर उल्टा ध्वज प्रकाशित है। जो राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है। सुशासन बाबू इस पर उचित कार्रवाई करें। क्योंकि पुस्तक ज्ञान की ख़ज़ाना है। सही ज्ञान देना शिक्षा विभाग का असली कर्तव्य है। ऐसे में स्कूली बच्चे वास्तविक ज्ञान कैसे हासिल कर सकते हैं। शिक्षा और पुस्तक से बच्चों के भविष्य निखरती है। भला, ऐसे में शिक्षा का अस्तित्व शिक्षा पर खरे नहीं उतर रही। जो बच्चों के भविष्य को कर रहा है प्रभावित। नन्हें- मुन्ने स्कूली बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के साथ खेलवाड़ है। जो गंभीर सोचनीय तथा चिंतनीय है। सूबे की सुशासन की सरकार में पुस्तक पर उल्टा राष्ट्रध्वज शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह है ही, शिक्षा व्यवस्था पर ज़ोरदार तमाचा भी। यह कैसी शिक्षा व्यवस्था है। गौरवशाली बिहार इससे शर्मसार हुआ है। बिहार की शिक्षा में कितनी गुणवत्ता है इससे जाहिर होता है। पुस्तक पर उकेरे गए तिरंगे की कलाकृति शिक्षा की गुणवत्ता को उधेड़ कर रख दिया है, जिससे सरकारी पाठ्यपुस्तक की हाल उजागर हुई है। इससे साफ जाहिर होती है की सरकार शिक्षा और बेहतर शिक्षा के प्रति कितनी गंभीर है। वैसे भी सरकारी स्कूल की शिक्षा, सिर्फ कहने भर का ही है, जिसका उदहारण है उल्टा तिरंगा।