CM नीतीश की पलटमार राजनीति से हिली दिल्ली की गद्दी
उसने दुनिया को सिखाया पलटमार राजनीति
पलटू चा… की ऐतिहासिक पलटमार नीति
उसने दिल्ली को हिला कर कमाल कर दिया
अक्षरजीवी : अशोक कुमार अंज
8वीं बार CM पद की शपथ लेते नीतीश कुमार (पलटूचा) Advertisement
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सिर्फ मुख्यमंत्री की बोलबाला है। जहां देखिए ! वहां एक ही चर्चा, मुख्यमंत्री नीतीश ने खूब पलटीमारा, उसने इतना पलटीमारी की राजनीति में इतिहास रच दिया। उसने चाणक्य नीति को फेल कर दिया। दुनिया का सबसे बड़ा राजनैतिक ओहदा रखते हैं नीतीश। उनकी अद्भुत नीति से दिल्ली हिली ही, दुनिया हिल गया।
कलजुग का सबसे बड़ा राजनीतिज्ञ बने नीतीश कुमार। उनकी विशाल राजनीति से गृहमंत्री अमित शाह तो किया, पीएम नरेंद्र मोदी हिल गए। BJP को ऐसी झटका दी, कि दुनिया देखते रह गई।
नीतीश की विषमता वाली फैसले से गृहमंत्री शाह और पीएम मोदी की होश उड़ गई। नीतीश कुमार पलटीमार कर, आठवीं बार मुख्यमंत्री बने। जो इतिहास में दर्ज है। समझो, उनके सामने चाणक्य नीति बौना हो गया। और पालटू चा… सबसे ऊपर। दुनिया भर में उनका कोई जोड़ ही नहीं। नीतीश ने BJP से गठबंधन की दोस्ती तोड़ कर महागठबंधन से जा मिले। महागठबंधन से मिल कर नई सरकार बना ली। इस फैसले से BJP में भूचाल आ गया। उनके दिग्गज नेतागण भौंचक रह गए।
पलटू चाचा के साथ युवा भतीजा मुख्यमंत्री नीतीश एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी |
सिद्धांत ख़त्म, सत्ता हावी। उससे आगे कुछ भी नहीं। बस, सत्ता की मलाईदार कुर्सी से चिपके रहो। बिहार में है हीं क्या? मलाय खाओ और बमबम रहो। इस कलयुग में सेवक का चलता ! मालिक का नहीं। जनादेश लो उधर से और….. ?
फिर, मजे से इधर से उधर और उधर से इधर होते रहो। भाई, कमाल के नेता हैं नीतीशजी। उनकी नीति और सिद्धांत से सीना चौड़ा हो जाता है। बांछे खिल उठती है। सच, कलयुग के बेजोड़ नेता हैं नीतीशजी। वे आदर्श है इस जमाने का। बदलते परिवेश में वैसे ही नेता पूज्य हैं, और टिकाऊ भी। इस तरह 15 साल से सत्ते जमे हुए हैं। वैसा गुण किसी विरले नेता में होता है।
बिहार में चुनौतियों की पहाड़ है, अधूरे विकास की गाथा है। बस, सत्ता की खेल है। मलाई मर सत्ता की…. नीतीश की नई कलयुग नीति की जय-जयकार है। असली नेता नीतीश हैं ही, रणनीतिकार भी। जो बदल देते हैं सत्ता और सत्ता की हवा को, ऐसी उनकी सत्तगिरि की कद है। वे चुनाव भी लड़ते नहीं, और बनते हैं सीधे मुख्यमंत्री। इसे कहते हैं तकद्दीर। … मिला तो छप्पर फाड़ कर।
इस घटनाक्रम से दिग्गज नेताओं की होश उड़ गई। देश की राजनीति को अलग हवा दे दी, जिससे दिल्ली की गद्दी खतरे में पड़ गया। बिहार की सियासी घटना ने दिल्ली की राजनैतिक हवा को मोड़ दिया। झकझोर दिया पीएम मोदी को, जिससे उनकी भी होश उड़ गई। दिन में तारे दिखने लगा। इसका बड़ा असर राजनीति पर पड़ा है। बिहार राजनीति की विषाक्त हवा से मोदीजी सत्ता से उड़ सकते हैं। क्योंकि यह चाल छोटी नहीं, बहुत बड़ी जाल की चाल है। जो पीएम मोदी की चाल को पटकनिया दे सकता है।
बिहार में बदलाव से ज्यादा राजनीति हुई है। प्रदेश आधे- अधूरे हालत में है। बातें बहुत हुई परन्तु उत्थान नहीं। गरीबों के चेहरे पर आज भी उदासी का बादल छाया हुआ है। मलिन मानवता ! सिर्फ वोट की राजनीति के लिए है। जिस पर खुल कर राजनीति होती है।
उठापटक की बयानबाजी सिर्फ दिखावटी है। राजनीति करने की तरीका है, सत्ता हासिल करना।
जनादेश के साथ विश्वासघात, सिर्फ मुहावरा बन कर रह गया है। जिसे जहां मौका मिलता है, वह उसका फ़ायदा उठता है। सारा खेल जनादेश के साथ सत्ता की है। जो जनादेश को कुचल कर सत्ता हथियाते हैं। ये कार्य सभी पार्टी और दल वाले नेता करते हैं। तोड़- जोड़ में हीं असली नेता की पहचान होती है। और फिर चमक उठती है नेतागिरी।
ऐसी नेतागिरी में कई नेता माहिर थे, जो हैं भी और रहेगें भी। लेकिन बदलते दौर में नीतीशजी की राजनीति सबसे अव्वल दर्जे का है। जिसने पीएम मोदी को भी हिला दिया। पीएम मोदी के लिए रोड़ा बने हैं CM नीतीश। क्योंकि दिल्ली की राजगद्दी पर उनका निशाना है।
दिल्ली की राजगद्दी के लिए तोड़- जोड़ शुरू हो गया है। अबकी निशाना है- दिल्ली की राजगद्दी। भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी से देशवासी त्रस्त हैं। सिर्फ बयानबाजी से राजनीति बहुत लंबी दूरी तय नहीं कर सकती। जनता-जनार्दन ! सब समझती है। सत्ता मिलने के बाद सेवक ही मालिक बन जाता है। जनता वोट देकर वेवकूफ बन जाती है। और सेवक ! बड़ी आसानी से जनादेश के साथ विश्वासघात कर जाता है।
अशोक कुमार अंज अक्षरजीवी- व्यंग्यकार वर्ल्ड रिकार्ड्स जर्नलिस्ट स्क्रीनप्ले राइटर- फिल्मस्टार (फ़िल्मी पत्रकारबाबू ) |
सत्ता पर बैठा हुआ सेवक ! जनता को कभी भी मालिक नहीं समझता है। जब वोट लेने की बारी आता है, तभी तक जनता मालिक होता है। सच, विषमता का ही नाम राजनीति है।
राजनीति में केवल सत्ता प्यारी है। यही वजह है कि राजनीति में कुछ भी संभव है। वहां असंभव की गुंजाइश नहीं। क्योंकि तोड़- जोड़ ही राजनीति की आत्मा है।