*
बुद्धिस्थल बुद्धमय*
धर्मगुरू दलाईलामाजी, परम पावन
बुद्धिस्थल जगमग, अमृतमय प्रवचन॥
भक्तिमय में गूँजे, प्रभु बुद्ध का महाप्राण
गुरू दलाई लामा जी, करते गूँजायमान
प्रवचन ग्रहण करते, श्रद्धालुभक्तजन॥
वातावरण बुद्धमय, बुद्धि बोधमय जीवनी
उपकार भरा धर्मधारा, जीवन का संजीवनी
बुद्धभूमि पावन से, महापावन॥
बुद्धके अमृतवाणी में, मिलता जीवन का सार
उसमें जीने का सुख, विश्व शांति का रसधार
बोधगया में, अमृतवचन का सावन॥
प्रणेता,
*अशोक कुमार अंज*
लेखक- कवि- पत्रकार
वजीरगंज, गया, बिहार