मगही सलोगन के जरीये चुनावी मतदान जगरूकता
भोट देबे ज़रूरे जइबै
अप्पन फरज निभइबै
जे बिकास के करथिन काम
भोट करबै उनखे नाम
भोटवा हे हम्मर अधिकारबा
नै करबै एकरा बेकारबा
सभे काम छोड़ देहो
सभे से पहिले भोट देहो
उ चाहे नर हो ईया नारि
मतदान हे सभे के जिमेबारी
लोकतन्त्र मे हिसेदारी
हम्मनी सभे के हे जिमेबारी
लोकतन्त्र के मान-समान करबै
निडर हो मतदान करबै
नै जात पर, नै धरम पर
बटम दबइबा, करम पर
आबऽ मिल के अलख जगाबऽ
सभे मिल के मतदान कराबऽ
बनऽ देस के भाग बिधाता
अव जागऽ पियारे मतदाता
नै करबऽ अगर मतदान
होतै बहुते नुकसान
छोड़ऽ अप्पन सभे काम
पहिले चलऽ करेला मतदान
बहकाबा मे नै तु अइहऽ
सुझबुझ के बटम दबइहऽ
जे बाटै दारू, सड़िया, नोट
उनखा कभियो, नै दीहऽ भोट
निडर हो के मतदान करबै
देस के हमहुँ, समान करबै
नै नसा से, नै नोट से
किसमत बदलतै, भोट से
हम्मरो ई समझाना हे
सभे को भोट दिलबाना हे
लोकतन्त्र हो तबे महान
सभे करै जाहाँ मतदान
रिसता- नाता खुबे निभइबै
पर पहिले मतदाने करबइबै
सत आउ इमान से
सरकार बनैबै, मतदान से
घरे- घरे संदेसा देबै
भोट देहो, भोट देहो
मगही मतदाता जगरूकता सलोगन,
*अशोक कुमार अंज*
लेखक- फिल्मी पत्रकारबाबू, गया
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