मीजल्स से विश्व में होने वाली मौत में 36 % भारत में होती : डीएम

9 माह से 15 साल के 16 लाख 30 हज़ार बच्चों को लगेगा मीजल्स रूबेला टीका
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*राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार जिला प्रशासन और यूनिसेफ के द्वारा मीडिया कार्यशाला का आयोजन*


समाहरणालय सभाकक्ष में बैठक करते जिला पदाधिकारी अभिषेक सिंह व अन्य 
गया : समाहरणालय सभाकक्ष में जिला पदाधिकारी अभिषेक सिंह की अध्यक्षता में राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार और यूनिसेफ के द्वारा मीजल्स रुबैला टीकाकरण को लेकर मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। मीडिया कार्यशाला में गया के सिविल सर्जन डॉ राजेंद्र कुमार सिन्हा, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, डॉ सुरेन्द्र चौधरी, उप निदेशक , सूचना एवं जनसंपर्क विभाग नागेन्द्र कुमार गुप्ता, जिला कार्यक्रम प्रबंधक मो कबीर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के एस आर टी एल डॉ. राजीव रंजन एसएसएमसी अजय केरोबिम, वाई एन रॉय और जिला कार्यक्रम प्रबंधक मनीष कुमार उपस्थित थे. मीडिया कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने कहा कि मीजल्स और रूबैला ऐसी बीमारियां हैं जो छोटे बच्चे को ज्यादा प्रभावित कर रही है. पूरे भारत से मिजल्स और रूबेला को समाप्त करने के लिए भारत में 40 करोड़ बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बिहार में 4 करोड़ और गया में 16 लाख 30 हजार बच्चों (9 माह से 15 साल तक के) को आगामी 15 जनवरी से एमआर के टीके लगाए जाएंगे.
बैठक करते जिला पदाधिकारी अभिषेक सिंह

पहले चरण में सभी निजी, सरकारी विद्यालयों और मदरसों में पढने वाले बच्चों का टीकाकरण किया जायेगा. आमतौर पर लोगो में टीकों को लेकर भ्रान्तियां है कि इससे बुखार आता है, कमजोरी होती है या सुजन हो जाता है परन्तु ऐसी कोई बात नहीं है. इसके लिए लोगों को जागरूक होना होगा और इसमें मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हमें अपने आने वाले बच्चों को सुरक्षित रखने और उनको इस संक्रामक बीमारी से बचाने के लिए जरूरी है कि हर अभिभावक तक हम मीडिया के सहयोग से यह सन्देश पहुचाएं कि शत प्रतिशत टीकाकरण ही इस बीमारी से बचने का एक मात्र उपाय है। गया के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ सुरेंद्र चौधरी ने कहा कि इस टीकाकरण अभियान की तैयारी के लिए आशा, आंगनवाड़ी और एएनएम के द्वारा हर गांव, हर स्कूल और हर घर का सर्वे किया गया है और सही लक्ष्य निर्धारित किया गया है. सरकार की ओर से सारी तैयारी कर ली गई हैं. गया के लक्षित 16 लाख 30 हज़ार बच्चों के लिए टीके सम्बंधित स्थानों पर भेजे जा चुके हैं. यह टीका हर प्रकार से सुरक्षित है. इस टीकाकरण अभियान में ऑटो डिसेबल सिरिंज का प्रयोग किया जा रहा है। इसमें एक सिरिंज से सिर्फ एक बच्चे को ही टीका दिया जा सकता है ताकि बच्चे सुरक्षित रहें. सभी बच्चों को टीकाकरण से पहले कुछ नास्ता कर लेना चाहिए और शिक्षकों और स्वास्थ्य कर्मियों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। 5 सप्ताह में इस अभियान में निजी विद्यालय, सरकारी स्कूल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र और बाहर के बच्चों को माइक्रोप्लान के अनुसार टीके लगाए जाएगें। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एसआरटीएल डॉ. राजीव रंजन ने कहा कि आज से 3 दिन पहले तक पूरे भारत में 20 करोड़ बच्चों को यह टीका सुरक्षित रूप से लगाया जा चुका है. इस बीमारी में खसरा में दाने निकलता हैं, खांसी होती है और आंखे लाल होती है। रूबैला जैसे जर्मन मीजल्स का ज्यादा प्रभाव गर्भवती महिलाओं में होता है। इससे प्रभावित होने पर गर्भ में ही बच्चे की मौत हो जाती है. खसरा और रूबैला का कोई इलाज नहीं है केवल टीकाकरण ही इसका बचाव है। बिहार सहित 4 अन्य राज्यों में एमआर अभियान 15 जनवरी 2019 से 5 सप्ताह के लिए शुरू होगा। इस मीडिया कार्यशाला का उद्देश्य मीडियाकर्मियों को मीजल्स रूबेला टीकाकरण अभियान से जुड़ी जानकारियों, योजनाओं और सरकार द्वारा की गयी तैयारी के संबंध में जानकारी मुहैया करवाना और एक अभियान को लेकर एक सकारात्मक माहौल बनाना है। इस अवसर पर विभिन्न मीडिया संस्थानों के लगभग 30 प्रतिनिधियों के साथ ही विभिन्न धार्मिक संगठनों के 20 प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

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