आवाजाही के मुख्यधारा से वंचित रह गया सुदूरवर्ती गाँव
वजीरगंज में पुलिया से हो रहा वोट की राजनीति
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गया : बिहार प्रदेश के वजीरगंज प्रखंड स्थित मडरडीह- बुधौल के वर्षों पुराना पुलिया राजनीति की चक्कर में नहीं बन सका। वह निर्माणाधीन हीं रह गया। भला, ऐसे में सुदूरवर्ती इलाके का विकास कैसे संभव। इस तरह विकास की मुख्यधारा से कैसे जुड़ पाएगा।
निर्माणाधीन पुलिया से हो रहा राजनीति |
अब तक, इस निर्माणाधीन पुलिया को लेकर बहुत वोट की राजनीति हुई। पूर्व विधायक से लेकर वर्तमान विधायक तक पुलिया निर्माण की झूठा दिलासा देकर, वोट ली। वे जीते भी परंतु मडरडीह- बुधौल को जोड़ने वाली निर्माणाधीन पुलिया बन नहीं सका।
पुलिया निर्माण के नाम पर वोट लेकर नेता विधायक बन गया परंतु पुलिया नहीं बना। ऐसी होती है, वोट की राजनीति। बस, केवल अपना उल्लू सीधा करने में नेता लगे रहते हैं।
उन्हें सिर्फ और सिर्फ वोट से मतलब होता है। पुलिया नहीं बना, परंतु नेताजी अब भी वोट माँगने जाते हैं। वह मतलबी ऐसा। समझिए, उन्हें किसी तरह वोट चाहिए।
बात हो रही है सुदूरवर्ती क्षेत्र के इलाके के विकास की। कई सरकारें आई, और गई परंतु पुलिया नहीं बना। जिसका दर्द आमजनों को है। वजीरगंज विधानसभा के जनप्रतिनिधि ऐसे ठगते हैं भोली-भाली जनता को। यह मुद्दा वर्ष 1992- 93 की है।
निर्माणाधीन पुलिया कई सुदूरवर्ती गाँव को जोड़ती है। इतना हीं नहीं, उस पुलिया के निर्माण होने से दो प्रखंड, वजीरगंज तथा मोहड़ा प्रखंड जुड़ जाती। परंतु राजनीति की चक्कर में पुलिया अधर में लटक गई। सुदूरवर्ती इलाक़ा सरकार की मुख्यधारा से जुड़ते- जुड़ते दम तोड़ दिया।
जाहिर हो 1992-93 की योजना की आवंटित राशि थी 11 लाख 11 हजार, छह सौ चौंतीस। उस वक़्त जेई थे अजय कुमार वर्मा। यह पुलिया गया के तत्कालीन डीएम अमृतलाल मीणा की पहल से बनना प्रारंभ हुई थी। क्योंकि सुदूरवर्ती जनहित के लिए आवागमन उत्थान के लिए जरूरी।
परंतु उपेक्षा का भेंट चढ़ गया। और विकास से पीछे रह गया इलाक़ा। आवागमन सुगम बनाने की पहल आधे- अधूरे स्थिति में रह गया। अब स्थिति ऐसी है कि ग्रामीणों को नदी के पानी में पार होना पड़ता है। बहुत घुम कर मरीज़ को अस्पताल ले जाना उनकी बड़ी मजबूरी है। परंतु वजीरगंज विधानसभा के मतलबी प्रतिनिधि को ग्रामीणों के दर्द से मतलब नहीं। उन्हें मतलब है तो सिर्फ वोट से।
यह निर्माणाधीन पुलिया सरकार के मुँह पर ज़ोरदार तमाचा से कम नहीं। विकास से वंचित है यह इलाक़ा। अगर इस पुलिया का निर्माण हो गया होता तो इस सुदूरवर्ती इलाके के लोगों के आवाजाही सुगम होता।
अगर, यह पुलिया बन गया होता तो पर्यटन स्थल, तपोवन- राजगीर, हड़ाहीस्थान-कुर्किहार जुड़ गया होता है। आवाजाही से क्षेत्र और भी विकसित होता तथा सरकार की विकासात्मक मुख्यधारा से जुड़ कर विकसित हो जाता। परंतु राजनीति मंशा की भेंट चढ़ गया मदरडीह की जनहितकारी पुलिया।
विदित हो निर्माणाधीन पुलिया के निर्माण से वजीरगंज प्रखंड सहित मोहड़ा प्रखंड के कई गाँव आवागमन से विकसित हो जाता है। परंतु राजनीति की चक्कर में सब चौपट हो गया। इस पुलिया पर खूब हुई वोट की राजनीति। नेताओं का तो भला हुआ परंतु सुदूरवर्ती इलाके का भला नहीं हुआ।
फिर चुनाव आ गया, मुद्दा गर्मा गया। जाहिर हो वजीरगंज प्रखंड के सुदूरवर्ती गाँव बुधौल, बथनी, बरबीघा, झाबेगंज, सुंदरपुर महादलित टोला, बहालपुर महादलित टोला, मदरडीह, सहित मोहड़ा प्रखंड के भलुआही, मलबीघा, इमामगंज, केन्दुआचक, मोहड़ा महादलित टोला तथा अतरी प्रखंड के भी दर्जनों गाँव की आवाजाही पुलिया से एकदम सुगम हो जाता।
श्रमदान से पुलिया निर्माण में समाजसेवी चिंटूभाईया करेंगे योगदान |
वोट का मुद्दा बन कर रह गया मदरडीह- बुधौल को जोड़ने वाली निर्माणाधीन पुलिया। यह पुलिया मंगूरा नदी में बननी थी परंतु राजनीति का शिकार हो गया।
क्षेत्रीय जनता ने अब इस निर्माणाधीन पुलिया को श्रमदान से बनाने का ठाना है।
जिसमें समाजसेवी- युवाकर्णधार- वजीरगंज के भविष्य चितरंजन कुमार चिन्टूभैया का अहम योगदान होगा। श्रमदान से पुलिया निर्माण में समाजसेवी चिंटूभाईया करेंगे योगदान। उन्होंने कहा सामाजिक कार्य में सहयोग हमारी प्राथमिकता। जनसरोकार के कार्यो में करता रहता हूँ मदद। जनसरोकार से जुड़ा है यह पुलिया, ऐसे बनना जरूरी।
➖@AnjNewsMedia➖