वाहन नीलामी तथा सुनवाई की रिपोर्ट


मध्य निषेध अभियान में जप्त 38 वाहनों की नीलामी

नीलाम वाहनों से छब्बीस लाख वैयालिस हजार छह सौ रूपया सरकारी राजस्व के रूप में सरकारी खाते में जमा

गया : जिलाधिकारी अभिषेक सिंह के आदेशानुसार अपर समाहर्ता राजकुमार सिन्हा की अध्यक्षता में गठित नीलामी समिति द्वारा मद्यनिषेध अभियान के तहत जब्त/राज्यसात वाहनों की नीलामी सम्पन्न की गई। जिनमें दो पहिया वाहन-20,तीन पहिया वाहन 07 और चार पहिया वाहन -11 कुल 38 वाहनों की नीलामी हुई। उक्त नीलाम वाहनों से छब्बीस लाख वैयालिस हजार छह सौ रूपया सरकारी राजस्व के रूप में सरकारी खाते में जमा हुआ।

द्वितीय अपील में कुल 26 मामलों पर सुनवाई

अनुपस्थित पदाधिकारी पर लगा अर्थदंड

लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के द्वितीय अपील में जिला पदाधिकारी, गया अभिषेक सिंह ने कुल 26 मामलों की सुनवाई की। कुछ मामले का निपटारा ऑन द स्पॉट कर दिया गया।
वाहन नीलामी तथा सुनवाई की रिपोर्ट
मामलों पर सुनवाई करते डीएम अभिषेक सिंह
अपीलार्थी राजदेव सिंह, ग्राम – तिताईगंज, टिकारी द्वारा सरकारी भूमि पर टाइटल बाद दायर करने हेतु आवेदन दिया गया था। प्रतिउत्तर में कार्यपालक अभियंता, नगर पंचायत, टिकारी द्वारा बताया गया कि मापी करा कर जल्द ही वाद दायर कर ली जाएगी, परंतु दिए जा रहे निर्देशों के बावजूद भी अभी तक कार्यपालक अभियंता, नगर पंचायत, टिकारी द्वारा कार्य नहीं किया गया, जिसके लिए जिलाधिकारी ने ₹5000 का अर्थदंड के साथ साथ विभागीय कार्रवाई करने की अनुशंसा की।
अपीलार्थी अंजनी कुमार शर्मा, कनीय अभियंता, टिकारी द्वारा परिवाद पत्र दायर किया गया है की रैयती भूमि पर बिना निबंधन कराए सामुदायिक भवन का निर्माण किया गया है, जिसमें व्यय हुई राशि जमा कराने का आदेश गलत आरोप लगाने के संबंध में आवेदन दिया गया था। पूर्व में जिला पदाधिकारी द्वारा ही रैयती भूमि पर सामुदायिक भवन गलत निर्माण हो जाने के कारण तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी, टिकारी, कनीय अभियंता अंजनी कुमार शर्मा एवं अखिलेश्वर प्रसाद सिन्हा, योजना लिपिक अनंत कुमार सिंह, टिकारी, पंचायत सचिव, ब्रह्मदेव राम से क्रमशः कुल राशि 2,55,804 रुपए की वसूली की गई, जो पूर्ण राशि नहीं है, जिसमें जिलाधिकारी ने 15 दिनों के अंदर पूर्ण राशि वसूली करने का आदेश दिया। यदि कोई राशि जमा नहीं करता है तो वेतन अवरुद्ध एवं नीलाम पत्र दायर करने का निर्देश दिया। कुछ मामलों में संबंधित पदाधिकारी या उनके प्रतिनिधि उपस्थित नहीं थे, जिन पर जिलाधिकारी ने ₹500 का अर्थदंड लगाने का निर्देश दिया।

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