अक्षरजीवी- पत्रकार अंज का साहसिक ग़ज़ल


लेखक- पत्रकार अंज की साहसिक रचना
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बना है पैर, काँटों से ना डरने के लिए।
हर कदम पे है साँस, जीने मरने के लिए॥

अक्षरजीवी- पत्रकार अंज का साहसिक ग़ज़ल,AnjNewsMedia, AN Media
अक्षरजीवी- पत्रकार अशोक कुमार अंज का साहसिक ग़ज़ल 

क्षणभंगुर फूल, बहुत मजा नहीं देता
दर्द जरूर है, हर एक घाव भरने के लिए॥

भरपूर कोशिश ही, साहसों की जिंदगी है
घूंट-घूंट कर मरना होगा, तैरने के लिए॥

बुलंद हौसला का ताज है, दृढ़- प्रतिज्ञा
सौ काम को हाथ ही है, करने के लिए॥

झूक जायेगा हिमनग, राहगीर की चाल पे
इतिहास विवश है, संग चलने के लिए॥

बना है पैर, काँटों से ना डरने के लिए।
हर कदम पे है साँस, जीने मरने के लिए॥

*बिहार सरकार की “बिहार” पत्रिका में प्रकाशित साहसिक ग़ज़ल*

अक्षरजीवी,
अशोक कुमार अंज
लेखक- कवि- फिल्मी पत्रकारबाबू
वजीरगंज, गया, बिहार

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