बारिश का जल संचय करना होगा : डीएम
गया : जल शक्ति अभियान अंतर्गत किसान मेला सह कृषि प्रदर्शनी का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र मानपुर में किया गया। जिलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह को पुष्पगुच्छ एवं अंग वस्त्र देकर उनका हार्दिक अभिनंदन किया गया। इसके उपरांत जिलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह, संयुक्त सचिव कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार, उप विकास आयुक्त द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।
डीएम ने कहा जल बचाएँ |
जिलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 2 वर्षों से सुखाड़ की स्थिति से गया जूझ रहा है साथ ही पिछले वर्ष कुछ क्षेत्र में रोपनी नहीं हुई थी और इस वर्ष भी कुछ क्षेत्र प्रभावित है। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले जो खेती की स्थिति थी उसमे अब परिवर्तन हो गया है। खेती के लिए पानी मुश्किल होता जा रहा है। यह कहीं न कहीं प्राकृतिक का सचेत करनेवाला संकेत है और हम लोगों को सचेत होना पड़ेगा। सरकार इसके लिए मुआवजा देती रही है चाहे वह फसल सहायता योजना के माध्यम से, डीजल अनुदान के माध्यम से या कृषि इनपुट के माध्यम से। इस वर्ष माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी द्वारा नई सहायता की शुरुआत की जा रही है। जिस तरह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ प्रभावित लोगों को सहायता दी जा रही है उसी प्रकार सुखाड़ के क्षेत्र में भी सुखाड़ से प्रभावित लोगों को सहायता दी जा रही है। इसके लिए उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया और कहा कि यह सहायता क्षतिपूर्ति को भरपाई के लिए है। लेकिन खेती न होने से समाज को जो नुकसान हो रहा है, जो खाद्यान्न की कमी होगी उसकी भरपाई नहीं हो पाएगी। जो अन्न पैदा होकर बाजार जाता था और बाजार से लोगों के घर में जाता था उसमें भारी कमी आ जाएगी और हमें बाहर से खाद्यान्न आयात करना पड़ेगा। कृषि पर हमारी एक बड़ी जनसंख्या निर्भर है। इसमें कमी आने पर वे लोग प्रभावित होंगे। कृषकों को सहायता मिल जाता है लेकिन जो कृषक मजदूर हैं उनके लिए भी जीविकोपार्जन की व्यवस्था करनी पड़ती है। जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। उन्होंने कहा कि नदी, आहर, पाइन से सिंचाई होती है लेकिन उसमें भी कमी रह जाती है। इसके लिए वर्षा का जल जो बह कर चला जाता है, उसे उपयोग में लाने की जरूरत है। इसके लिए सरकार द्वारा जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है।
जल ही जीवन है ! जल का संचय करें |
उन्होंने कहा कि यह अभियान अब 2 से 4 महीने तक चलने वाला नहीं है बल्कि आने वाली पीढ़ी तक चलाना होगा। इसके लिए एक्शन प्लान बनाया गया है। जितने भी हमारे जल स्रोत हैं उसका संरक्षण करना होगा। इसके लिए हमारे क्षेत्र में जितने आहर, पाइन, पोखर हैं उसे अतिक्रमण मुक्त कराना है। पहले तालाब से सिंचाई होती थी पर अब उस तालाब को भर दिया गया है। पहले कुँए थे जिसके पानी से भूगर्भ जल रिचार्ज होता था परंतु आज के समय में उसे भी भर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सिंचाई के लिए बिजली की व्यवस्था सरकार के स्तर से कराई जा रही है लेकिन बिजली का उपयोग तब ही कर पाएंगे जब जल उपलब्ध रहेगा। उन्होंने कहा कि नल जल योजना में भी जल संरक्षण करने की आवश्यकता है। इसीलिए हम लोगों को आसपास के सभी जल स्रोतों का संरक्षण करने की आवश्यकता है। शहरी क्षेत्र में जीविकोपार्जन पानी पर निर्भर नहीं करता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में जीविकोपार्जन पानी पर ही निर्भर है। 89% बिहार की जनता एवं 87% गया की जनता गांव में निवास करती है और खेती इनका मुख्य स्रोत है। इसलिए इन बातों को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें हरियाली को भी कायम करना होगा। एक पेड़ अपने आसपास के क्षेत्र में काफी परिवर्तन लाता है। उन्होंने कहा कि पेड़ जड़ों के माध्यम से जल को भूगर्भ में ले जाने का कार्य करता है। पेड़ जलवायु एवं तापमान को नियंत्रित करता है। लेकिन हम लोग यह भूल जाते हैं। पहले हम बगीचे में खेलते थे लेकिन अब बगीचे नहीं बचे। घर बनाने के लिए पेड़ों को काट रहे हैं, वन विभाग के पेड़ों को भी काट रहे हैं। पेड़ लगाना कोई बड़ी बात नहीं है और इसके लिए जरूरी नहीं कि पेड़ लगाना सिर्फ सरकार या वन विभाग का ही कार्य है। एक व्यक्ति साल में एक पेड़ जरूर लगा सकता है। पेड़ लगाना और उसका संरक्षण करना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जलाशयों के आसपास, चेकडैम के पास, तालाब, पोखर के समीप पेड़ पौधे लगाएं और उसका संरक्षण करें। उन्होंने लोगों से पेड़ लगाने की अपील की और हीट स्ट्रोक का उदाहरण दिया और कहा कि हीट स्ट्रॉक वही हुआ जहां हरियाली की कमी थी, भूगर्भ जल एवं सतही जल का अभाव था। उन्होंने सरकार एवं प्रशासन के द्वारा किए गए वृक्षारोपण के आंकड़े प्रस्तुत किए एवं लोगों से अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की अपील की।
कार्यक्रम को सहायक निदेशक कपड़ा मंत्रालय भारत सरकार एवं अन्य अतिथियों द्वारा भी संबोधित किया गया। इस अवसर पर जिला कृषि पदाधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक एवं संबंधित प्रखंड के किसान उपस्थित थे।