गौपालन में स्वाभिमान और गौरव भी
हौसला और इच्छाशक्ति हो तो कठीन से कठीन काम भी आसान बन जाता है। एक शिक्षाविद् ने आधुनिक तरीके से दूध उत्पादन को स्वरोजगार बना कर लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।
सूचित कुमार, गौपालक, पूर्व अधिकारी- शिक्षाविद |
जबकि बदलते दौर में लोग पशुपालन धंधा को कठीन व्यवसाय मानते हैं। इस कठीन व्यवसाय को उन्होंने अपना कर धंधे को बढ़ाया और व्यापक पैमाने पर दूध उत्पादित करते हैं।
वे दर्जनों गाय को पाल कर दूग्ध स्वरोजगार को अपनाया और रोजगार को बड़ा रूप देकर दूध का कारोबार किया। वह दूग्ध स्वरोजगार सालों से फलफूल रहा है। बड़ी बारीक तरीके से गायों का खुद देखभाल करते और खाने में गाय को जैविक हरा चारा देते हैं।
वे गायों को बारहो मास जैविक हरा चारा खिलाते, जैविक हरा चारा स्वयं अपने खेत में उगाते हैं। वे गायों को हमेशा जैविक चारा हीं खाने को देते। ऐसे वे रसायनिक चारा के इस्तेमाल से गायों को बचाते हैं ताकी दूध शुद्ध रहे।
गौपालन स्वरोजगार |
शिक्षाविद् का इस स्वावलंबन कार्य का लोग प्रशंसा करते हैं क्योंकि पढ़े-लिखे लोग पशुपालन व्यवसाय से कोसों दूर भागते हैं। परंतु इन्होंने आधुनिक तरीके से पशुपालन करते हैं।
साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखते हुए गौ सेवा करते हैं। इस धंधे का प्रेरणा उन्हें अपने पिता से प्राप्त हुआ। वे शिक्षाविद् होते हुए भी इस कार्य को बड़े शौक से करते हैं।
यह धंधा गया जिले के वजीरगंज प्रखंड के कारीसोवा ग्राम के निवासी पूर्व अधिकारी, शिक्षाविद् सह स्कूल संचालक सुचित कुमार ने किया है। ग्रामीण इलाके में उनका दूग्ध उत्पादन स्वरोजगार व्यापक पैमाने पर फैला है।
जो लोगों का प्रेरणा स्रोत बना है। वजीरगंज प्रखंड के चैधरी मोड़ के पास उनका कारोबार चलता है। वह बड़े पैमाने पर दूग्ध उत्पादित करते हैं। इस कार्य से वे बेहद खुश हैं। जिसे लोग छोड़ते जा रहे हैं उसे वे अपना कर दूग्ध व्यवसाय को व्यापक रूप दिये हैं। जिसमें आधुनिकता है।
पूर्व अधिकारी, शिक्षाविद् सह स्कूल संचालक सुचित कुमार ने बताया कि गौ सेवा बड़ी सेवा है। यह मलिन व खराब कार्य नहीं है। चकाचौंधता की बदलते दौर में लोगों की मानसिकता बदल गया है कि पशुपालन कार्य निम्न कोटी का कार्य है परंतु वैसा नहीं है। इसमें स्वाभिमान है और गौ पालन में गौरव भी।
उन्होंने कहा कि इस कार्य में पूर्णता है हीं, व्यापकता भी। यह अनोखा धंधा है। धंधा कठीन नहीं, आसान है, करने में मजा आता है।
गाय से शुद्ध दूध, घी, दही मिलता हीं, मक्खन भी। जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी है। यह धंधा शर्म का नहीं, गौरव बढ़ता। गौ और गोबर दोनों हीं पूजनीय है। जो धार्मिकता से भी जुड़ा हुआ है।
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