सुप्रीम कोर्ट की फैसले से नियोजित शिक्षकों के समान काम के समान वेतन का हौसला हुआ पस्त
रिस्क गेम खेला गया था वेतन वृद्धि के लिए परंतु बात नहीं बनी
सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट ने बिहार टीचर्स को दी न्यायिक पटकनियाँ |
दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने बिहार प्रदेश के करीब 3.5 लाख नियोजित टीचर्स को जबर्दस्त पटकनियाँ दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार की अपील मंजूर करते हुए पटना हाई कोर्ट के फैसले को बिल्कुल खारिज किया है। हाई कोर्ट ने समान काम के समान वेतन की मांग को लेकर आंदोलनरत शिक्षकों के हक में फैसला सुना रखा था। परंतु उस फ़ैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने भी अपने बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस सुनवाई के क्रम में बिहार नियोजित शिक्षकों के दिग्गज नेता दिल्ली में हीं बैठे थे, परंतु न्यायालय अपनी उचित फ़ैसला सुनाई। ज्ञात हो शिक्षकों की माँग से संबंधित फैसले में जस्टिस अभय मनोहर स्प्रे और जस्टिस उदय उमेश ललित की बेंच ने आखिरी सुनवाई गत वर्ष 3 अक्टूबर को हीं की थी और फैसला सुरक्षित रख ली थी। विदित हो उन नियोजित शिक्षकों को वेतन के रूप में फिलवक्त 22 से 25 हजार देय किया जा रहा है। जाहिर हो वर्ष 2009 में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से बिहार में नियोजित शिक्षकों के लिए भी समान काम के समान वेतन की मांग याचिका पटना हाइकोर्ट में दाखिल किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से बिहार प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों से लेकर प्लस टू विद्यालयों के शिक्षक झटका खा कर बेदहबास हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हक के लिए यह रिस्क गेम खेला गया था वेतन वृद्धि के लिए परंतु बात नहीं बनी।