सरकार भुगतान नहीं कर रही पेंशन की राशि
बिहार सरकार के पास करीब 50 लाख है बकाया, उपेक्षा ऐसी की सरकार नहीं कर रही भुगतान : पूर्व विधान परिषद कृष्ण कुमार सिंह
विधानपरिषद और विधानसभा काजल की कोठरी : कुमारबाबू
गया: जानेमाने लोकप्रिय नेता सह पूर्व विधान परिषद का सदस्य कृष्ण कुमार सिंह उर्फ़ कुमारबाबू बिहार सरकार की उपेक्षा से खासा नाराज हैं। फिलवक्त, उनका दिल इतना दुखी है की बिहार सरकार से उनका दिल- जिगर टूट चूका है। इस भारी नाराजगी की वजह यह है की उनका
पेंशन नहीं मिलने की नाराजगी पूर्व विधान परिषद सदस्य कृष्ण कुमार सिंह उर्फ़ कुमारबाबू |
पूर्व विधान परिषद सदस्य कृष्ण कुमार सिंह ने सूबे की नीतीश सरकार से बेहद नाराज हैं। वे कहते हैं कि पेंशन के लिये लगता है, अब परिषद में सत्याग्रह करना पड़ेगा। क्योंकि सत्याग्रह के बिना सरकार सुनने वाली नहीं है। लंबे समय से पेंशन नहीं मिलना अत्यंत ही खेदजनक है और दुखदाई भी। उन्होंने कहा बिहार विधान परिषद में भी इस तरह का खेल, गोलमाल और महा घोटाला हो रहा है। वे कहते हैं मैं सत्य और साफ बोलता हूँ। परिषद के समिति के दस्तख़ती बैठकों के विरोध के कारण मेरा भत्ता, सिटीगं अलाउंस के अलावे मेरा आज तक का पेंशन भी नहीं दिया जा रहा है। जो बेहद दुखदाई है।
उन्होंने कहा मैं विधान परिषद का सदस्य 2020 तक रहा। और अभी मैं जिन्दा हूँ परन्तु मेरा बकाया का भुगतान नहीं हो पाया है। वह बकाया की राशि क़रीब 50 लाख की राशि से ज्यादा होता है। सुशासन बाबू के इशारे पर मेरा भुगतान रोक रखा गया है। सरकार की इस रवैय्या से मैं काफी दुखी हूँ।
Bihar government is not paying pension amount Kumarbabu angry. – Exclusive Report
उन्होंने नाराजगी भरे शब्दों में कहा कि लगता है अब मुझे पेंशन के लिये सत्याग्रह करना पड़ेगा। इसके सिवा दूसरा कोई उपाय ही नहीं सूझ रहा है। अपनी हक के लिए इस ढलती उम्र में भी लगता है परिषद में सत्याग्रह करना ही पड़ेगा। तब सुशासन बाबू की कुम्भकर्णी नींद टूटेगी। भुगतान रोक कर मेरा हक मारा जा रहा है। सरकारी उपेक्षा से पूरी तरह उपेक्षित हूँ। ऐसी सरकार से मैं दिल की गहराई से दुखी हूँ।
पूर्व विधान परिषद सदस्य कृष्ण कुमार सिंह उर्फ़ कुमार बाबू ने नाराजगी भरे शब्दों में कहे मेडिकल बिलों के भुगतान, कैंटीन व्यवस्था, इत्यादि में कमीशन का खेल है। इसी वजह से मैं ने कभी मेडिकल बिल के भुगतान के लिये क्लेम नहीं किया। विधान परिषद और विधानसभा काजल की कोठरी हैं। इस तरह से कुमारबाबू का भरोसा सरकार से टूट चूका है।
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