पायलट बेटी
कहानी लेखक : अशोक कुमार अंज
महिलाएं साईकिल, कार चलाने से लेकर हवाई जहाज तक उड़ाने में सफल भागेदारी निभा रही हैं। उनकी पकड़ और मजबूत इरादा हर क्षेत्र में बढ़ती ही जा रही है। जमिं से लेकर आसमां तक छाईं हैं महिलाएं। वे हाई एजुकेशन में भी महारथ हासिल कर रही हैं। यूं कहें, वे निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर हैं। आधुनिक युग की बेटियां साहस और शक्ति में मर्दो से कम नहीं। वे आसमां में बेझिझक विमान उड़ाती हैं। सिविल प्रशिक्षु महिला पायलट प्रिंसी ने आकाश में हवाई जहाज उड़ा रही हैं। पायलट बनने का स्वप्न साकार हो चुका है। वे पायलट बनकर गगन में उड़ान भरने लगी है।
बेटी बनी पायलट |
उसकी बांछे गर्व से फूल की भांति खिल उठी है। पायलट प्रिंसी के माता-पिता, भाई-बहन, परिजन खुशी से झूम उठे हैं। प्रिंसी ने खानदान और नारी सशक्तिकरण दोनों का ही नाम रौशन करने का काम की ही है, देश और अपने राज्य का भी। अब वह हवा में उड़ती और बातें करती। सच, पायलट बनना आसान नहीं, एक चुनौती है। धुन और कर्म के धनी पायलट प्रिंसी ने मां-पिता की हसरतें पूरी की है। जो फक्र की बात है। हवाई उड़ान एक खवाब है। उड़ान की दास्तां, कुछ ऐसी है। आन्द्रप्रदेश के बादियों में ट्रेनी पायलट प्रिंसी ने हवाई उड़ान भरी, इसी बीच वह ऑटो पायलट लगाकर मोबाइल से बातचीत मेें एकदम मशगूल हो गई। कैसे उड़ रही है, किधर जा रही, सब भूल गई। और हवाई जहाज आसमां की ऊंच्चाई में मंडरा रही थी।
जज्बा से हासिल की सफलता |
वह करीब दो घंटे तक हवा में उड़ती रही और रास्ता भटक गई। उस जहाज (फ्लाइट) का इंधन भी खत्म ही होने वाला था। वहां विषम परिस्थिति उत्पन्न हो गई। मोबाइल वार्तालाप में व्यस्त होने के वजह से प्रिंसी ने एटीसी यानि एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क कर बातें नहीं कर पाई। और वे हालात का मैसेज देना ही भूल गई। वहां विकट संकट आ पड़ी। जिससे वह भौंचक रह गई। जबकि नियमानुसार उड़ान भरने के तुरंत बाद एटीसी से संपर्क करना अनिवार्य होता है। परंतु वे मोबाइल से बातें करती, बिंदास आकाश में विचरण करती रही यानि वे उड़ती रही। उसकी नो टेंशन ही आफत भरी टेंशन बनी। अंततः हवाई मार्ग भी भटक गई और वह हवाई पट्टी से काफी दूर निकल गई। वह उड़ान पायलट प्रिंसी की समझ से बाहर हो गई। उसके सामने एक बड़ी मुश्किल मुसीबत आ खड़ी हुई। आसमां में तेज रफ्तर विमान और अकेली ट्रेनी महिला पायलट प्रिंसी। नियंत्रण की उम्मीद टूट चुकी थी। विमान का इंधन भी समाप्ति के कगार पर ही था।
मोबाइल मौज की बातें ही परेशानी की सबब बनी। वह लक्ष्य से भटकी ही, हवाई पट्टी भी भटकी। वहां दो समस्या पनपी- हवाई मार्ग यानि रूट भटकना और विमान में इंधन यानि फ्यूल की कमी। पायलट प्रिंसी की तो होश ही उड़ गई। वे बूरी तरह वहां फंसी। काफी देर बाद एटीसी पदाधिकारी की नींद टूटी। वह ट्रेनी पायलट प्रिंसी और जहाज की खबर लेने मेें जुटे परंतु कोई समाचार तथा सूचना नहीं मिले। और एटीसी के पदाधिकारी अचानक हरकत में आ गए। ऊपर आसमां में प्रशिक्षु पायलट प्रिंसी परेशान तथा नीचे दफ्तर में एटीसी पदाधिकारी परेशान। वे सोंच रहे थे, आखिर हुआ तो किया। विकट वक़्त का दर्दनाक क्षण दिलो-दिमाग को एकदम झकझोर दिया। इंतेजार में आंखें भी पत्थरा रही थीं। हवाई रूट भटके विमान की त्वरित खोजबीन शुरू हुई। काॅल करने पर भी कोई जबाव नहीं मिल पा रहा था। वहां विकट संकट की घड़ी थी। क्योंकि वह वायर मोबाइल में व्यस्त था। जिससे संपर्क नहीं हो पा रहा था। मोबाइल के वजह से ही समस्या आई और संपर्क भंग हुआ। वह डैनजर टाईम बन चुका था। सवाल जिंदगी और मौत की थी। इसी बीच इस संबंध में क्वायलिटी प्रबंधक से एटीसी ने बातचीत किया। क्वायलिटी प्रबंधक ने जबाव दिया कि उड़ान भरे जहाज में पर्याप्त इंधन केवल दो घंटे का ही था।
आसमां में उड़ती हौसला |
पायलट प्रिंसी की उड़ान के करीब दो घंटे होने ही वाले थे। जांच में गलती सेक्यूरिटी मैनेजमेंट की भी पाई गई। क्योंकि वगैर जांच पड़ताल किए उड़ान की अनुमति दे दी गई थी। जो काफी डैनजर था। वहां बलंडर ये हुआ कि वगैर इजाजत के पायलट प्रिंसी ने उड़ान के दौरान मोबाइल साथ लेती गई और बातचीत में कायदे-कानून भूल गई। वहां विपरित स्थिति आ पहुंची थी। सारे पदाधिकारी परेषान हो उठे थे। परेशानी स्वाभाविक थी, क्योंकि सवाल जान और जहाज की थी। समस्त पदाधिकारी सक्रिय थे। फटाफट जहाज ढ़ूढ़ने का काम शुरू हुआ। आधे घंटे से ये सिलसिला जारी था। उस उड़ान की उड़तंक हो गई थी। सभी खासे बेचैन थे। पदाधिकारी ने एयर फोर्स बेस यानि हवाई सुरक्षा सैनिक से संपर्क साधा। pilot beti ki kahani
उन्होंने कहा कि रडार से उसे चिन्हित किया जाए कि उक्त खोया हुआ जहाज किस दिशा में उड़ान भर रहा है। इस मुश्किल कार्य के लिए प्रशिक्षु हवाई सुरक्षा सैनिक को भी अलर्ट कर दिया गया। यह मामला हवाई ट्रेनिंग का है। सभी को सूचना दी गई की प्रशिक्षु जहाज खो गया है। अनिवार्य सूचना के तहत उस जहाज का कलर तथा रजिस्ट्रेशन मार्क की भी जानकारी दी गई। फिर भी खोए हुए जहाज का अता-पता नहीं चल रहा था। स्थिति खतरनाक मोड़ लेती जा रही थी। आपरेशन कार्य में जुटे सारे लोग थक हार चुके थे। इसी बीच बड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार, प्रशिक्षु हवाई सुरक्षा सैनिक ने वापसी के दौरान उस भटके हुए जहाज को दूर से ही देखा। वह खोया हुआ विमान के पायलट प्रिंसी ने आन्द्रप्रदेश के घने जंगल के बीच जहाज को उतारने की कोशिश कर रही थी। लेकिन जंगल घना होने के वजह से काफी दूर तक मैदानी भाग कहीं नजर नहीं आ रही थी।
सपनें उड़ने लगी आसमां में.. |
बचाव की कोशिश करती आसमां में पायलट प्रिंसी उड़ती रही। प्रयत्न कर वह थक हार चुकी थी। वे आसमां में जीवन और मौत से जूझ रही थी। इसी बीच ट्रेनी हवाई फोर्स का ‘विंग राॅक’ का सहारा मिला। उस सहारा वाला इशारे को देख पायलट प्रिंसी का धीरज थोड़ा मजबूत हुआ। उस सहारे के इशारे पर सुरक्षित रूप से विमान को एक निश्चित स्थान पर लैंड की यानि जहाज को धरती पर उतारी। तब जाकर पायलट प्रिंसी को जान में जान आई और राहत की सांस ली। तब बेचैन पदाधिकारियों को भी चैन मिली। वह एक बड़ी हादसा होने से बची। वाक्या ये हुआ कि प्रशिक्षु सैनिक ने खोए हुए विमान के करीब गया और उसे इशारे से ‘विंग राॅक’ द्वारा गाइड किया। तब जाकर पायलट प्रिंसी ने सुरक्षित तरीके से एयर फोर्स बेस पर जहाज को उतारी। फिर उस जहाज की जांच हुई। घटना उपरांत पता चला कि भटके हुए जहाज में केवल कुछ चंद मिनटों का ही इंधन यानि फ्यूल बचा था। भारतीय वायु सुरक्षा सैनिक ने एक भयंकर दुर्घटना होने से बचा पाने में कामयाब हुआ।
कर्मवीर साहसी बेटी |
ये मुसीबत ट्रेनी पायलट प्रिंसी की नादानी की वजह से ही आई थी। खैर, वे संकट में भी होश नहीं खोई। आसमां से जहाज और जीवन दोनों ही सुरक्षित वापस जमिं पर आ गया। पायलट प्रिंसी को जीवन दान ही मिला। धैर्य से आकाश की हवा में वह कामयाब हुई। दृढ़-संकल्प तथा संयम ये दोनों ही हवाई उड़ान के पायलट के लिए अहम होते हैं। वहां सावधनी हर पल जरूरी है। पायलट प्रिंसी ने नई जिंदगी पाकर खुश है। आज वह एक कामयाब पायलट है। वहीं, प्रशिक्षु एयर फोर्स सैनिक ने बेहतर सहयोग के लिए गौरवांवित है। युग के साथ ही नारी भी बदल रही है। महिलाएं वखूबी, जिम्मेवारी निभाने में जुटीं हैं। अब वे अबला से सबला बन चुकी हैं। ये नारी सशक्तिकरण का तन्मयता है। मालूम हो कि विमान उड़ान मूल्तः स्व-विवेक पर ही निर्भर है। लेडीज पायलट की भागेदारी सराहनीय, प्रशंसनीय है ही, गौरवशाली भी। वे आसमां की बुलंदी छुने में पक्के इरादे से जुटी हैं। पहली दफा सोलो पर विषम परिस्थिति आने पर उस परिस्थिति को अनुकूल बना कर जहाज को लैंड करना बहुत ही बहादूरी का कार्य है। वैसी स्थिति को परखना बारीकी वर्क है। हवा से टकराते हुए सीमित आसमान में उड़ना है। समझो, आदमी को पंख लगी उड़ने की। वास्तविक में वह साहसिक और जोखिम भरा काम है। पीटीसी यानि पुस-टू-टॉक – सोलो एक्सपिरिएंस यानि प्रथम बार अकेले विमान उड़ाने का अनुभव विचित्र होता है। विमान को लेकर जमिं से आसमां की तरफ हवा मेें अकेले उड़ना होता है। ठीक, ऐन मौके पर उड़ान भरने के बाद महिला पायलट का विवेक थोड़ा नर्वस होने से उड़ान लड़खड़ाया।
आसमां में बेटी की शान |
पहली सोलो उड़ान में ही इंजन फेलियर। वह बिल्कुल घबरा गई। पायलट ने एटीसी के पदाधिकारी को फौरन काॅल दिया। परंतु डरे-सहमे होने के कारण पायलट की आवाज जुबान से निकल नहीं पा रही थी। वह ‘सर’ के अलावे कुछ विशेष कह नहीं पा रही थी। अचानक विवेक काम किया। वह हनुमान चालीसा की दोहा पढ़ना शुरू की, तब उसके अंदर जेहन में थोड़ा हिम्मत बढ़ा। और तब विषम परिस्थिति के बारे में पुनः एटीसी के पदाधिकारी को बताई। नर्वस पायलट ने कहा कि सर, उड़ान लड़खड़ा चुका है। मेरी समझ से परे है। उड़ान सम्भल नहीं पा रहा है। इस डैनजर मैसेज पर हवाई अधिकारी तुरंत हरक्कत में आए। एटीसी और सीएफआई यानि चीप फ्लाईंग इंस्टकटर ने कमान सम्भाला और उसे दिशा-निर्देश देना आरंभ्भ किया। निर्देशानुसार उसने एयरक्राप्ट को ग्लाइड में डाला। और एयर स्पीड 75 यानि पच्चहतर नॉट्स मेंन्टेन किया। तब उसकी घबराहट थमी। प्रशिक्षु पायलट ने अधिकारी के निर्देश का सही तरीके से पालन करते हुए इस्तेमाल किया। सुरक्षित चिन्हित स्थान को चयनित किया और उसी स्थान के लोकेशन पर सुरक्षित रूप से जहाज को उतारने का काम किया। चाहे जो भी हो, परंतु साहसी बेटी ने गगनचुम्बी उड़ानें भरीं।
pilot beti ki kahani
अशोक कुमार अंज वर्ल्ड रिकार्डी जर्नलिस्ट |
आकाशवाणी पटना से प्रसारित बेटी की प्रेरणाप्रद साहसिक कहानी
कहानीकार,
अशोक कुमार अंज
वर्ल्ड रिकार्डी जर्नलिस्ट
(फ़िल्मी पत्रकारबाबू)
आकाशवाणी- दूरदर्शन से अनुमोदित साहित्यकार- पत्रकार
वजीरगंज- 805131, गया, इंडिया
pilot beti ki kahani
प्रस्तुति : अंज न्यूज़ मीडिया
– Presentation : AnjNewsMedia