फिल्म क्षेत्र के तेजस्विनी बालका घोष
फिल्म क्षेत्र के जानी-मानी हस्ति हैं बालका घोष। कर्मठ कर्मयोगी महिला तेजस्विनी बालका घोष युवक- युवतियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। वे दृढ़- इच्छाशक्ति के धनी तेजस्विनी हैं। जिन्होंने फिल्म की दुनिया में मुक़ाम हासिल कर देश- दुनिया में नाम रोशन की हैं। जिन पर भारत को गर्व है। पर्वत पुरूष दशरथ माँझी के जीवन पर बनी डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘द मैन हू मूव्ड द माऊंटेन’ में भी अपना अहम योगदान प्रदान की हैं। वे ज़िंदादिल जुनूनी निर्माता- निर्देशक व लेखक हैं। उनकी हिम्मत तथा जज़्बे का प्रतिफल है फिल्म के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धि।
तेजस्विनी फिल्म निर्मात्री-निर्देशिका बालका घोष |
तकरीबन दो दशक से निरंतर फ़िल्म-निर्माण में सक्रिय हैं कलकत्ता निवासी कर्मवीर बालका घोष। वे अब तक कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। उनकी ख्याति से कलकत्ता हीं नहीं, भारत गौरवान्वित है। इनकी कई मशहूर फिल्में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सवों कान्स, सिनेमा दू रील, अंतर्राष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म समारोह एम्सटरडम, टेम्पियर, उप्साला, म्यूनिख, बर्लिन, सन फ्रांसिस्को, बिलबाओ आदि में प्रदर्शित किया जा चुका है। इतना हीं नहीं इनकी कई फिल्म-प्रोजेक्ट्स को आई.डी.एफ.ए एम्सटरडम, ए.एन.डी-डी.एम.जेड फंड – दक्षिण कोरिया, दूरदर्शन, आई.डी.एफ.ए- बर्था फंड, फ़िल्म डिविजन (फ़िल्म प्रभाग, भारत सरकार), आई.जी.एन.सी.ए (भारत सरकार), एन.एच.के टी वी जापान, बान्फ़ माउंटेन कल्च र (कनाडा), अल जजीरा अंग्रेजी प्रतिष्ठित अन्य स्थानों से भरपूर मदद मिला है। बालका घोष संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार में शोधकर्ता भी रही हैं। व्याख्यान के क्षेत्र में भी इनकी अच्छी पकड़ है। वे कई चर्चित राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म उत्सवों तथा समारोहों में जूरी की अहम भूमिका अदा की हैं। विदित हो वर्ष 2014 में इनकी दस्तावेजी फ़िल्म “फुटप्रिंट्स इन द डेजर्ट” का वर्ल्ड-प्रीमियर बुसान फ़िल्म फेस्टिवल, दक्षिण कोरिया में हुआ। हॉलीवुड तथा विश्व-सिनेमा के मशहूर नामों के साथ शामिल एवं दिशा-निर्देशन में एशिया-पैसिफिक स्क्रीन लैब, ऑस्ट्रेलिया के अंतर्गत फिल्म-प्रोजेक्ट “फाइव मेन एंड अ वुमन” फिलवक्त प्री प्रोडक्शन में जगह बनाईं हैं।
वर्ष 2017 में वे अपनी फिक्शन फ़िल्म “द फौग कैचर्स” के लिए एशियाई सिनेमा फण्ड, अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल, बुसान, साउथ कोरिया में प्रतिष्ठा पाया। ज्ञात हो उनकी फीचर फिल्म ‘काफ’ (CALF) एन.डी.एफ.सी के “फिल्म बाज़ार 2018” के लिए चयनित हुआ। जिसे खूब सराहा गया। जाहिर हो उनकी दस्तावेजी फिल्म “डेथ इन द सिटी” (पोस्ट प्रोडक्शन लेबल) को गोल्डन ट्री इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, फ्रैंकफर्ट, जर्मनी में सम्मानित हुआ। विभिन्न विधाओं में उनकी मजबूत पकड़ है। वे गुणों से समृद्ध हैं हीं, महिलाओं के लिए आदर्श भी। वे फिल्म के क्षेत्र में जो कीर्तिमान रचे हैं, वह अद्वितीय है। उनकी विशाल कीर्ति प्रेरणादायी है। ऐसी, तेजस्विनी को प्रणाम- सलाम- सैल्यूट।
लेखक- फिल्मी पत्रकारबाबू अशोक कुमार अंज |
– रिपोर्ट : अशोक कुमार अंज, लेखक- फिल्मी पत्रकारबाबू