एनएच- 82 वजीरगंज सड़क पथ जर्जर
बस, सड़क दुरूस्त होने की उम्मीद…
राजधानी वाले साहब ! ज़रा जल्द करेंगे
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साहब, सड़क की सूरत ऐसी ! देखिए |
बदलते बिहार की ऐसी सड़क पथ है। गढ्ढेनुमा कचड़ायुक्त सड़क पर आमजन चलने को विवश हैं। क्योंकि साहब की नज़र सड़क की जर्जर दुर्दश पर नहीं है, यही वजह है कि सड़क निर्माण कार्य में अटक गया है। प्रशासनिक प्रक्रिया हुई परंतु फ़ाईल राजधानी पटना में अटक गई। जिसके वजह से जर्जर सड़क निर्माण की कार्य योजना बीच में ही अधर में लटक गई। यह हाल है ! राजधानी पटना में सड़क निर्माण की दब कर अटक गई। भला, ऐसे में वजीरगंज एनएच- 82 सड़क मार्ग कैसे बने। सुशासन में भी अच्छी सड़क के लिए झेल रहे।
जर्जर एनएच- 82 वजीरगंज सड़क पथ |
ना जानूँ, साहब ! कब फ़ाईल को हरि झंडी देंगे। जाहिर हो इस एनएच- 82 मुख्य सड़क मार्ग राजगीर- नवादा, नालंदा- पावापुरी बाबाधाम को जाती है। इस मार्ग से बड़ी संख्या में यात्रियों की आवाजाही होती है। इसी मार्ग से कांवरियों की वाहन गुज़रती है। यह मार्ग तपोवन, राजगीर, नालंदा, पावापुरी सहित बोधगया आने- जाने का मुख्य सड़क मार्ग है। जो बौध सर्किट पथ से भी जुड़ा है। इस मार्ग से देशी- विदेशी यात्रियों के छोटे-बड़े वाहन बड़ी संख्या में गुज़रती है। जो लंबी यात्रा की मुख्य सड़क पथ है। भला ऐसे में सुखद यात्रा के वजाय यात्रा दुखदाई हो जाती है। मार्ग से गया, नवादा, राजगीर और बिहारशरीफ की यात्री बसें प्रत्येक दिन गुज़रती है। ऐसे में सड़क की ऐसी हाल है। हमारा वजीरगंज शहर सड़क की बदहाली झेल रही है। जल्द कोई उपाय निकालें ! साहब। ताकि सड़क राजधानी पटना की सड़क की तरह चकाचक हो सके। देखिए ! फिलवक्त, शहर की सड़क कितना बदहाल है। समझो, गड्ढे में सड़क। जिससे शहर की लूक चौपट हो चुका है। बारिश हो गई तो शहर की सड़क पर चलना मुश्किल।
सड़क दुरुस्त होने की उम्मीद ! कुछ कीजिए, सोचिए साहब |
साहब ! ज़रा ग़ौर फ़रमाते हुए सड़क की दुर्दशा पर विचार करें कि जल्द दुरूस्त हो जाय। और सड़क पर सुशासन झकाझक दिखे। ताकि सुशासन बाबू का स्वप्न, बदलता बिहार सड़क पर झलके। विदित हो बारिश में शहर की स्थिति तालाब सी हो जाती है। क्योंकि सड़क के दोनों किनारे जो नाली का निर्माण सरकार द्वारा कराया गया, वह नाली शहरवासियों की मेहरबानी से भर चुका है। वैसे में जल- जमाव से शहर की स्थिति नरकीय हो जाती है। शहरवासियों ने नाली को कूड़ादान बैठे, कूड़ादान डाल- डाल कर नली- नाला के भर दिया। समझो, समस्या खड़ी ?।
सड़क की दुर्दशा ऐसी ! सड़क तालाब सा, चलना मुश्किल |
स्थिति ऐसी की शहर का पानी का निकास सड़क पर ही, देख लीजिए ! सड़क तालाब सा हो गया है। यह है सड़क पर जल-जमाव की स्थिति। बारिश में सड़क के दोनों छोर पानी से लबालब भर जाता है। यदि मौसम साफ़ रहा तो सड़क पर धूल उड़ती है। वैसे में श्वास लेना भी मुश्किल होती है। ऐसा प्रतीत होता, शहर की एनएच-82 सड़क नहीं, ग्रामीण सड़क। वजीरगंज शहर इन दिनों बस झेल रहा है, सब झेलते चल रहे हैं। लोग विवश हैं साहब ! सड़क निर्माण वाली फ़ाईल को शीघ्र ही निर्माण कार्य की हरि झंडी दें। यही लोग निहोरा कर रहे। जल्द ही सड़क की दुर्दशा से लोगों के मुक्ति मिल सके। सड़क निर्माण में लगी एक कंस्ट्रक्शन वाले ने गड्ढे में तब्दील सड़क को समतल तो कर दी परंतु कालीकरण की प्रक्रिया में काफी बिलंब हो रही है। जिससे लोगों में नाराजगी पनप रही है। वहीं शहर के दुकानदारों के दुकान के आस- पास सड़क और भी बद से बत्तर हो चुका है। इससे स्कूली बच्चें भी काफी परेशान हैं। बदहाल सड़क छोटे वाहनों के दूर्घटना का कारण भी बना है।
साहब ! ना जानूँ, वजीरगंज शहर की लूक कब बदलेगी, मर्ज़ी आपकी। वजीरगंज शहर ऐसा है जहाँ से बड़े- बड़े माननीय जन प्रतिनिधियों, प्रशासनिक पदाधिकारियों की गाड़ियाँ गुज़रती है परंतु नजर नहीं आती क्योंकि साहब लोग बंद शीशे के वातानुकूलित वाहन के मज़े में होते हैं। यही वजह है कि साहबों को बाहरी लूक नहीं दिखती। बस, सड़क दुरूस्त होने की उम्मीद… राजधानी वाले साहब ! ज़रा जल्द करेंगे।
@ रिपोर्ट : अशोक कुमार अंज, लेखक- फिल्मी पत्रकारबाबू