बुद्ध तप:स्थली से ज्ञानस्थली तक ज्ञान यात्रा

बुद्ध के प्रागबोधि तपस्वी स्थल डुंगेश्वरी पर्वत

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4 गया : प्रकृति के ख़ूबसूरत मनोरम वादियों में स्थित है बुद्ध का प्रागबोधि तपस्वी स्थल डुंगेश्वरी तथा ज्ञान स्थली बोधगया। महाबोधि मंदिर तो विश्व धरोहर में शामिल है परंतु तपस्वी स्थल, डुंगेश्वरी फिलवक्त तपस्वी स्थल हीं बना है। ज़ाहिर हो डुंगेश्वरी की गुफा में आदिशक्ति माता की आकर्षक मूर्ति विराजमान है। उन्हीं की शरण में बुद्ध तपस्या किये थे और जहाँ बुद्ध को बुद्धि की प्राप्ति हुई, उस पवित्र स्थल पर भोले भंडारी शिव शंकर की मंदिर अवस्थित है, प्राचीनता ऐसी। यूँ, कहा जाय देवी- देवताओं की असीम कृपारूपी दया से बुद्ध को बुद्धि हासिल हुई। बुद्ध को सफलता मिली कठोर त्याग- तपस्या के बल पर। जो बेमिसाल है। वह अनुकरणीय है। बहुतो लोग उनके मार्ग का अनुशरण में लीन हैं। ख्याति लब्ध स्थल, बुद्ध के तपस्वी स्थल डुंगेश्वरी पर्वत से बुद्धि स्थल महाबोधि मंदिर तक ज्ञान यात्रा आयोजित होता है। जो क़रीब आठ किलोमीटर की यह ज्ञान यात्रा होती है। आगामी 10 जनवरी को प्रागबोधि (डुंगेश्वरी) से महाबोधि मंदिर तक ज्ञान यात्रा का आयोजन ज़िला प्रशासन गया की ओर से की गई है। यह ज्ञान पद यात्रा डुंगेश्वरी पर्वत से 10 जनवरी के प्रात: 7 बजे से आरंभ होगा। जिसमें ज़िलाधिकारी अभिषेक सिंह सहित प्रशासनिक पदाधिकारियों के अलावे बड़ी संख्या में देशी- विदेशी श्रद्धालुगण भाग लेंगे। यह ऐतिहासिक यात्रा कई साल से निरंतर जारी है, जो साल में एक बार आयोजित होता है। ज्ञात हो बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति के लिए इसी डुंगेश्वरी पर्वत की गुफा में कठोर तपस्या किये थे। जहाँ तपस्यारत महापुरूष बुद्ध का शरीर मानव कंकाल के रूप में तब्दील सा हो गया था। यह पावन स्थल तपस्वी बुद्ध के घोर- कठोर तपस्या की प्रतीक है। जो त्याग- तपस्या का प्रेरणादायक स्थल है। ऐसा अद्भुत अनोखा स्थल डुंगेश्वरी पर्वत की चोटी पर अवस्थित है। वहाँ पहुँचने का पहाड़ी डगर बड़ा ही मुश्किल भरा दुर्गम था। जो पूर्व में घनाघोर जंगली इलाक़ा था परंतु अब वह स्थल धीरे- धीरे विकसित हुआ है। वहाँ आवागमन का सुलभ सड़क मार्ग सहित सुगम पहाड़ी मार्ग बना है। उस विकट पर्वत श्रृंखला पर मंदिर भी निर्मित है। जहाँ महात्मा बुद्ध की मूर्ति भी संग्रहित है। बड़ी संख्या में देशी- विदेशी पर्यटक यात्रीजन तपस्वी बुद्ध के तपस्वी स्थल का भ्रमण- दर्शन करने आते- जाते हैं। पर्वत श्रृंखला पर अवस्थित यह स्थल धार्मिकता से ओतप्रोत है। जो हमें कठोर कर्म की प्रेरणा देती है। यहाँ से तपस्या उपरांत हीं बुद्ध को बोधगया के पावन पीपल वृक्ष के पास बुद्धि की प्राप्ति हुई। ऐसे, कठोर तपस्वी बुद्ध को बुद्धि हासिल हुई और वे ज्ञानी बने। महामना बुद्ध ज्ञान प्राप्त कर बौद्ध धर्म के प्रचार- प्रसार में जुटे। इसी ऐतिहासिकता को लेकर तपस्वी स्थल डुंगेश्वरी से लेकर बुद्धि स्थल महाबोधि मंदिर तक ज्ञान यात्रा की जाती है ताकी पौराणिक यादगार जीवंत रहे। इसी को जीवंत करने के ख़्याल से लोग ज्ञान यात्रा करते हैं। बुद्ध के कठीन मार्ग पर चल कर कठोर कर्म की अनुभूति करते और जीवन में उतारने की कोशिश करते है। जो महान कर्मयोगी महापुरूष बुद्ध के अदम्य साहस, दृढ़- संकल्प और जीवटता का द्योतक है। जो हमें त्याग, सादा जीवन और ऊँच विचार की सिख देती है। एकला चलें, कठोर कर्म से सफलता हासिल होती है और फिर जमात में तब्दील हो जाती। वह महान कर्म पूजनीय बन, प्रभु की संज्ञा तक पहुँचाती है। जिससे असंभव भी संभव बन जाता है। फिर उस नक़्शेक़दम पर जमात चलने लगती है। समझो ! जीवन सफल, सपने साकार।

महात्मा बुद्ध के प्रागबोधि तपस्वी स्थल डुंगेश्वरी पर्वत से बुद्धि स्थल महाबोधि मंदिर तक ज्ञान यात्रा

बुद्ध तप:स्थली से ज्ञानस्थली तक ज्ञान यात्रा

गया : प्रकृति के ख़ूबसूरत मनोरम वादियों में स्थित है बुद्ध का प्रागबोधि तपस्वी स्थल डुंगेश्वरी तथा ज्ञान स्थली बोधगया। महाबोधि मंदिर तो विश्व धरोहर में शामिल है परंतु तपस्वी स्थल, डुंगेश्वरी फिलवक्त तपस्वी स्थल हीं बना है। ज़ाहिर हो डुंगेश्वरी की गुफा में आदिशक्ति माता की आकर्षक मूर्ति विराजमान है। उन्हीं की शरण में बुद्ध तपस्या किये थे और जहाँ बुद्ध को बुद्धि की प्राप्ति हुई, उस पवित्र स्थल पर भोले भंडारी शिव शंकर की मंदिर अवस्थित है, प्राचीनता ऐसी। यूँ, कहा जाय देवी- देवताओं की असीम कृपारूपी दया से बुद्ध को बुद्धि हासिल हुई। बुद्ध को सफलता मिली कठोर त्याग- तपस्या के बल पर। जो बेमिसाल है। वह अनुकरणीय है। बहुतो लोग उनके मार्ग का अनुशरण में लीन हैं। ख्याति लब्ध स्थल, बुद्ध के तपस्वी स्थल डुंगेश्वरी पर्वत से बुद्धि स्थल महाबोधि मंदिर तक ज्ञान यात्रा आयोजित होता है। जो क़रीब आठ किलोमीटर की यह ज्ञान यात्रा होती है। आगामी 10 जनवरी को प्रागबोधि (डुंगेश्वरी) से महाबोधि मंदिर तक ज्ञान यात्रा का आयोजन ज़िला प्रशासन गया की ओर से की गई है। यह ज्ञान पद यात्रा डुंगेश्वरी पर्वत से 10 जनवरी के प्रात: 7 बजे से आरंभ होगा। जिसमें ज़िलाधिकारी अभिषेक सिंह सहित प्रशासनिक पदाधिकारियों के अलावे बड़ी संख्या में देशी- विदेशी श्रद्धालुगण भाग लेंगे। यह ऐतिहासिक यात्रा कई साल से निरंतर जारी है, जो साल में एक बार आयोजित होता है। ज्ञात हो बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति के लिए इसी डुंगेश्वरी पर्वत की गुफा में कठोर तपस्या किये थे। जहाँ तपस्यारत महापुरूष बुद्ध का शरीर मानव कंकाल के रूप में तब्दील सा हो गया था। यह पावन स्थल तपस्वी बुद्ध के घोर- कठोर तपस्या की प्रतीक है। जो त्याग- तपस्या का प्रेरणादायक स्थल है। ऐसा अद्भुत अनोखा स्थल डुंगेश्वरी पर्वत की चोटी पर अवस्थित है। वहाँ पहुँचने का पहाड़ी डगर बड़ा ही मुश्किल भरा दुर्गम था। जो पूर्व में घनाघोर जंगली इलाक़ा था परंतु अब वह स्थल धीरे- धीरे विकसित हुआ है। वहाँ आवागमन का सुलभ सड़क मार्ग सहित सुगम पहाड़ी मार्ग बना है। उस विकट पर्वत श्रृंखला पर मंदिर भी निर्मित है। जहाँ महात्मा बुद्ध की मूर्ति भी संग्रहित है। बड़ी संख्या में देशी- विदेशी पर्यटक यात्रीजन तपस्वी बुद्ध के तपस्वी स्थल का भ्रमण- दर्शन करने आते- जाते हैं। पर्वत श्रृंखला पर अवस्थित यह स्थल धार्मिकता से ओतप्रोत है। जो हमें कठोर कर्म की प्रेरणा देती है। यहाँ से तपस्या उपरांत हीं बुद्ध को बोधगया के पावन पीपल वृक्ष के पास बुद्धि की प्राप्ति हुई। ऐसे, कठोर तपस्वी बुद्ध को बुद्धि हासिल हुई और वे ज्ञानी बने। महामना बुद्ध ज्ञान प्राप्त कर बौद्ध धर्म के प्रचार- प्रसार में जुटे। इसी ऐतिहासिकता को लेकर तपस्वी स्थल डुंगेश्वरी से लेकर बुद्धि स्थल महाबोधि मंदिर तक ज्ञान यात्रा की जाती है ताकी पौराणिक यादगार जीवंत रहे। इसी को जीवंत करने के ख़्याल से लोग ज्ञान यात्रा करते हैं। बुद्ध के कठीन मार्ग पर चल कर कठोर कर्म की अनुभूति करते और जीवन में उतारने की कोशिश करते है। जो महान कर्मयोगी महापुरूष बुद्ध के अदम्य साहस, दृढ़- संकल्प और जीवटता का द्योतक है। जो हमें त्याग, सादा जीवन और ऊँच विचार की सिख देती है। एकला चलें, कठोर कर्म से सफलता हासिल होती है और फिर जमात में तब्दील हो जाती। वह महान कर्म पूजनीय बन, प्रभु की संज्ञा तक पहुँचाती है। जिससे असंभव भी संभव बन जाता है। फिर उस नक़्शेक़दम पर जमात चलने लगती है। समझो ! जीवन सफल, सपने साकार।

बुद्धि स्थल महाबोधि मंदिर 

 

तपस्वी स्थल डुंगेश्वरी पर्वत

बुद्ध तप:स्थली

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