गया: आज हैमर मैन शिवु मिस्त्री से भेंट करने इलाहाबाद से पहुंचे राष्ट्रीय पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी दिलीप योगीराज। विश्वकर्मा शंकराचार्य दिलीप योगीराज ने उनसे मिल कर बेहद प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि उनकी कृति की चर्चा सुन कर मैं इनसे मिलने पहुंचा हूँ। हथौड़ा पुरूष शिवु की अनूठी सेवा की उन्होंने प्रशंसा करते हुए कहा उनकी सेवा अद्वितीय है। जिन्होंने 22 वर्ष नि:शुल्क छेनी- हथौड़ा दशरथ मांझी को प्रदान किया पहाड़ तोड़ कर रास्ता बनाने के लिए। जो बेमिशाल योगदान का अनमोल नमूना है। उन्होंने कहा ऐसा उदाहरण कहीं और नहीं मिलता। जो शिवु मिस्त्री ने कर गुजरे हैं। उनके छेनी- हथौड़ा को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिलनी चाहिए। वगैर विश्वकर्मा के सहयोग के पहाड़ नहीं टूट सकता था। उनके छेनी- हथौड़े के बल पर दशरथ मांझी का स्वप्न साकार हुआ। यदि विश्वकर्मा का योगदान नहीं मिलता तो वह कार्य संभव नहीं होता। हैमरमैन शिवु मिस्त्री का ऐतिहासिक सेवा प्रशंसनीय एवं उनका छेनी- हथौड़ा ऐतिहासिक धरोहर है।हथौड़ा पुरूष शिवु ने विश्वकर्मा समाज का नाम रौशन किये हैं। विश्वकर्मा शंकराचार्य दिलीप योगीराज ने कहा छेनी- हथौड़े के बल पर ही असंभव कार्य संभव हो पाया। यदि शिवु मिस्त्री ने छेनी- हथौड़ा का सहयोग नहीं देते तो संभव नहीं हो पाता, और ना तो दशरथ पर्वत पुरूष बन पाता। परंतु यह संयोग्य ही है की दशरथ- शिवु की जोड़ी ने इतिहास रची। जो गौरवशाली बनी। उनके छेनी- हथौड़े के बल पर 22 वर्ष 1960 से 1982 तक पर्वत पुरूष दशरथ मांझी ने पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बनाये थे।
Hammer Man Shivu & Vishwkarma Shankaracharya Dilip Yogiraj
हैमरमैन शिवु ने दशरथ को बनाया माऊंटेनमैन
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