इंटरनेशनल त्रिपिटक चैटिंग समारोह का उद्घाटन किये पूर्व राष्ट्रपति कोविंद
आपकी हर यात्रा संतोषजनक और सुखद हो: पूर्व राष्ट्रपति
विश्व शांति हेतु बौद्ध श्रद्धालुओं द्वारा सुत्तपाठ
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद |
गया : बोधगया स्थित विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर में आज 17 वां इंटरनेशनल त्रिपिटक चैटिंग समारोह का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।
यह समारोह 02 दिसंबर से प्रारंभ होते हुए 12 दिसंबर को संपन्न होगा। इसमें विश्व शांति हेतु बौद्ध श्रद्धालुओं द्वारा सुत्तपाठ किया जाएगा।
कार्यक्रम के प्रारंभ होंने के पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को गया हवाई अड्डा पर जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम, वरीय पुलिस अधीक्षक हरप्रीत कौर तथा अन्य वरीय पदाधिकारियों द्वारा पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। इसके पश्चात वह सीधे महाबोधि मंदिर पहुंचे।
महाबोधि मंदिर में सचिव बीटीएमसी एवं महाबोधि मंदिर के मॉन्क द्वारा उन्हें खादा देखकर स्वागत किया गया। इसके पश्चात महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में जाकर भगवान बुद्ध का पूजा- अर्चना की। उसके बाद उन्होंने बोधिवृक्ष का दर्शन एवं परिक्रमा किया एवं उपस्थित सभी श्रद्धालुओं का अभिनंदन भी किया।
17 वां इंटरनेशनल त्रिपिटक चैटिंग समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इस समारोह में महासंघ, विदेशी प्रतिनिधि, विशिष्ट अतिथि, देवियों और सज्जनों। आज यहां आप सभी के बीच आकर मैं बेहद प्रबुद्ध महसूस कर रहा हूं।
मैं यहाँ एकत्रित आप सभी का हृदय से स्वागत करता हूँ। पवित्र बोधि वृक्ष के सान्निध्य में होना बहुत खुशी की बात है, एक ऐसा स्थान जिसे मैंने हमेशा अपने मन में गहराई से संजोया है।
मैं यहां कई बार आया हूं और मैंने पाया है कि हर यात्रा एक गहरा अनुभव है। महाबोधि महाविहार को इतना भव्य देख कर मुझे प्रसन्नता हो रही है।
यह उस महान आध्यात्मिक परंपरा का एक उपयुक्त स्मारक है। जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है। मैं मंदिर के प्रभावशाली रखरखाव के लिए बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों की प्रशंसा करता हूं।
आयोजन को प्रायोजित करने और उसका नेतृत्व करने के लिए वांगमो डिक्सी, रिचर्ड और द लाइट ऑफ बुद्धधर्म फाउंडेशन के सदस्यों के प्रयासों की बहुत सराहना करते हुए खुशी हो रही है।
मैं लाइट ऑफ बुद्धधर्म फाउंडेशन के सक्रिय सदस्यों की सराहना करता हूं कि आप एक नेक काम में लगे हैं। मुझे अभी भी याद है कि जब मैं लगभग छह महीने पहले राष्ट्रपति भवन में था तब वे मुझसे मिले थे और उन्होंने मुझसे यहां प्रतिनिधित्व करने की इच्छा व्यक्त की थी।
मैं उनके प्रति काफी कृतज्ञ महसूस करता हूं और यह भगवान बुद्ध के आशीर्वाद है कि मैं इस आयोजन के अवसर पर यहां हूं। आप सभी विश्व शांति के दूत हैं।
उन्होंने कहा कि मैं सभी भारतीयों की ओर से, आप सभी को प्रबुद्धता की इस स्थान तक यात्रा करने और इस पवित्र स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में एकत्रित होने के लिए प्रयास करने के लिए धन्यवाद देता हूं।
दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका के बौद्ध समुदायों के इतने सारे वरिष्ठ प्रतिनिधियों को देखकर मुझे खुशी हो रही है।
उन्होंने कहा की आपने हमारे देश का दौरा करना चुना, पूरी उम्मीद है कि आपकी हर यात्रा संतोषजनक और सुखद होगी।
मैं बोधिवृक्ष को संपूर्ण मानवता के लिए पोषण के स्रोत के रूप में देखता हूं। जब मैं राष्ट्रपति भवन में रह रहा था, तब मैंने इस महान बोधिवृक्ष की छोटी- छोटी शाखाओं की व्यवस्था की थी और उन्हें राष्ट्रपति भवन में लगवाया था। मैंने इसे दो अलग- अलग जगहों पर करवाया। अब वे पौधे युवा वृक्ष बन गए हैं।
संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चित्त में कालुष्य के जन्म लेने से रोकने को साधना अर्थात चित्त को नियंत्रित करना जरूरी है। साधना का ही एक रूप है विपश्यना है, जो चीज जैसी है, उसे उसके सही रूप में देखना।
बोधिवृक्ष ही वह स्थान है, जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया। सारनाथ में प्रथम उपदेश धम्मचक्कप्रवर्तन किया। जिसमें उन्होंने दुख से मुक्ति का मार्ग बताया। बुद्ध के मार्ग पर चलकर हम करुणा, मैत्री के साथ शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं।
कार्यक्रम के पश्चात इंटरनेशनल त्रिपिटक चैटिंग समारोह के आयोजक द्वारा पूर्व राष्ट्रपति को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट की गई।
– AnjNewsMedia Presentation