- कम्यूनिटी लेवल क्वालिटी इंप्रूवमेंट के तरीकों को अपनाने की प्रक्रिया पर कार्यशाला Advertisement
- गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग तथा व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान देना जरूरी
- गर्भावस्था के चार माह पर आयरन और फोलिक एसिड टेबलेट का सेवन जरूरी
गया, 28 जून (अंज न्यूज़ मीडिया) पोषण तथा एनीमिया को लेकर कम्यूनिटी लेवल क्वालिटी इंप्रूवमेंट के तरीकों को अपनाने की प्रक्रिया और परिणाम को साझा करने के लिए बुधवार को बोधगया के एक निजी होटल में कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का आयोजन एलाइव एंड थ्राइव तथा पीरामल स्वास्थ्य के सहयोग से किया गया. कार्यक्रम के दौरान जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम नीलेश कुमार, बोधगया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी मनोज कुमार, सीडीपीओ कल्पना कुमारी, डीसी सबा सुल्ताना, डिप्टी डायरेक्टर डॉ अनुपम श्रीवास्तव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रवीण शर्मा, एएनएम सुशीला कुमारी, पीरामल स्वास्थ्य से नीरज कुमार तथा रवि रंजन, गांधी फेलो मार्था एवं ब्यूटी तथा दूसरे प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी तथा सीडीपीओ मौजूद रहें
डाॅ अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रक्रिया को अपनाने के लिए बोधगया और वजीरगंज प्रखंड को चुना गया था. वजीरगंज में बच्चों के पोषण में सुधार तथा बोधगया में गर्भवती महिलाओं में एनीमिया कम करने के लक्ष्य तय किये गये थे. क्वालिटी इंप्रूवमेंट एप्रोच को अपनाने के लिए बोधगया में गोठी उप स्वास्थ्य केंद्र तथा वजीरगंज के अमेटी उप स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को चयनित किया गया.
इसके बाद वहां आंगनबाड़ी, आषा और एएनएम को अलाइव एंड थ्राइव दवारा प्रषिक्षण दिया गया था. फलस्वरूप इन दोनों विषयों में अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं. परिणाम देखने के बाद दोनों प्रखंडों के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पीरामल संस्था के सहयोग से लागू किया गया है.
कार्यषाला में मौजूद सीडीपीओ कल्पना कुमारी ने बताया चयनित क्षेत्र में आंगनबाड़ी सेविकाओं तथा एएनएम की मदद से गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की लगातार माॅनिटरिंग की गयी. गर्भावस्था के चार माह होने के साथ ही गर्भवती को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां देना जरूरी होता है.
गर्भावस्था में हीमोग्लोबिन की कमी प्रसव संबंधी कई प्रकार की जटिलताओं को जन्म देता है. इसके लिए गर्भवती महिलाओं को चिन्हित करते हुए उनके स्वास्थ्य का अनुश्रवण किया गया तथा काउंसलिंग तथा व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान दिया गया.
बताया कि बोधगया को एक मॉडल के रूप में विकसित किये जाने का काम किया गया है. गर्भवती महिलाओं में एनीमिया दूर करने के लिए उनके खानपान के साथ आयरन एवं फोलिक गोलियों के सेवन कराने का काम किया गया. उच्च आयरन वाले भोज्य पदार्थ तथा आयरन और फोलिक एसिड वाले टैबलेट के नियमित सेवन के प्रति काउंसलिंग की गयी.
इस प्रकार देखा गया कि नियमित अनुश्रवण तथा काउंसलिंग से गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की दर कम होते देखने को मिल रही है. इससे संबंधित डाटा का संकलन किया जा रहा है.
एनएफएचएस 5 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए डीपीएम ने कहा कि 64 प्रतिषत 15 से 49 वर्श की 64 प्रतिषत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित होती हैं. स्वास्थ्य विभाग तथा आइसीडीएस के सहयोग से गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की दर को कम करने के लिए काम किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग एनीमिया दूर करने के लिए आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां का वितरण कर रही है जिसे शिक्षा विभाग तथा आइसीडीएस द्वारा गर्भवती तक पहुंचाना सुनिश्चित कराया जाये.