- चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम’ से पीछे हटना एवं स्नातक प्रथम वर्ष नामांकन पर रोक लगाने का आदेश जारी करना बिहार के युवाओं के साथ धोखा Advertisement
- के.के. पाठक बिहार की शिक्षा व्यवस्था की दिशा निर्धारित करने वाले कौन होते हैं?
गया, 27 जून (अंज न्यूज़ मीडिया) बिहार की शिक्षा व्यवस्था नीतीश-राजद सरकार में लगातार रसातल में जा रही है, गुणवत्ताविहीन शिक्षा के कारण आज बिहार से हजारों युवाओं का पलायन हो चुका है लेकिन फिर भी बिहार सरकार के पास स्थिति में सुधार का कोई रोडमैप नहीं है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम लागू करने से बिहार सरकार के हाथ खींचने और स्नातक प्रथम वर्ष नामांकन पर रोक लगाने के आदेश को कड़े शब्दों में निन्दा करती है, इस कदम से स्पष्ट हो गया है कि नीतीश-राजद सरकार प्रदेश के युवाओं के भविष्य को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं है।
महामहिम राजेन्द्र आर्लेकर के बिहार राज्यपाल के रूप में सकारात्मक प्रयासों पर बिहार सरकार अपनी दिशाहीनता के कारण रोड़े अटकाने का काम कर रही है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यह मांग करती है कि नीतिश कुमार यह बताएं कि बिहार की गर्त में जा चुकी शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए वे क्या कर रहे हैं! आज बिहार में शैक्षणिक संस्थानों में बुनियादी ढांचे के अभाव, भारी संख्या में शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक पदों की रिक्तियां, सत्र में विलंब, भारी भ्रष्टाचार के कारण प्रदेश के युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बिहार के शिक्षा क्षेत्र में इन स्थितियों पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश सह-मंत्री सूरज सिंह ने कहा कि,” बिहार की शिक्षा व्यवस्था नीतीश कुमार की निम्नस्तरीय तथा मूल्यहीन राजनीति का शिकार हो गई है। नीतीश-राजद सरकार की नीतियों के कारण युवाओं का भविष्य अंधकारमय तथा अनिश्चितताओं से भर गया है। चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम लागू करने से पीछे हटना एवं स्नातक प्रथम वर्ष नामांकन पर तत्काल रोक लगाना बिहार सरकार का अब तक का सबसे निम्न स्तरीय कृत्य है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में दो लिस्ट जारी होने के बाद नामांकन पर रोक लगाने से छात्र-छात्राओ का भविष्य अंधकारमय हो गया है अगर मगध विश्वविद्यालय के पदाधिकारी स्नातक प्रथम वर्ष नामांकन प्रकिया पर रोक लगाती है उग्र आंदोलन होगा मगध विश्वविद्यालय के सभी काॅलेजो में जिसकी जवाबदेही सरकार होगी।
अभाविप के जिला संयोजक राजीव रंजन कुमार ने कहां कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था जब बर्बाद हो रही थी,तब केके पाठक जैसे अधिकारी कहां थे? के के पाठक सहित अन्य अधिकारियों को राज्य की बदहाल शिक्षा व्यवस्था के पीछे के कारकों का अध्ययन करना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसे विजनरी नीति का अध्ययन भी किया जाना चाहिए। राजभवन की मर्यादा तथा सम्मान के साथ बिहार सरकार खिलवाड़ कर रही है। शिक्षा मंत्री कुलपतियों के साथ घर बैठक कर रहे हैं, जबकि उन्हें राजभवन के साथ सार्थक संवाद रखते हुए यह प्रक्रिया करनी चाहिए। बिहार सरकार को अपने कुत्सित प्रयासों द्वारा गलत परंपरा की बुनियाद रखने से बचना होगा।
गया कॉलेज,गया अध्यक्ष विनायक कुमार ने कहा कि,” बिहार के युवाओं के भविष्य को अंधकारमय तो पहले ही नीतीश कुमार कर चुके हैं, अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से पीछे हटकर बची हुई आशाओं को भी सरकार तिलांजलि देना चाहती है। शिक्षा मंत्री और नीतीश कुमार को राजभवन के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए था, लेकिन यहां तो नीतीश कुमार सकारात्मक बदलावों पर कुंडली मारकर बैठ गए हैं। इस तरह की स्थिति पूरी तरह बदलनी चाहिए।
इस मौके पर मौके पर बिहार प्रदेश सह मंत्री सूरज सिंह,विभाग संयोजक प्रवीण यादव,जिला संयोजक राजीव रंजन कुमार,प्रदेश कार्यकारणी सदस्य सत्यम कुशवाहा,सुबोध पाठक,प्रिया सिंह,अजित कुमार,खेल कुद प्रमुख अरब सिंह,रंजीत कुमार, विनायक कुमार,साजन चंद्रा,हर्ष कुमार, अरविंद कुमार,धर्मेंद्र कुमार,विपिन कुमार,कृति कुमारी,नंदनी कुमारी, कौशिकी कुमारी,रोहम सिंह,रोहित शरण सिंह,गौरव सिंह,रोहन कुमार,रोशन रयान आदि मौजूद थे।