गया, 13 नवंबर (अंज न्यूज़ मीडिया) Chhath Puja 2023 ! जाहिर हो लोक आस्था के महापर्व छठ के पावन मौके पर सूर्यदेव- छठीमैया अपने भक्तों के पुराते हैं हरेक मनोकामनाएं। भरते हैं उनके भंडार। घर में आती है सुख- शांति- समृद्धि सहित खुशहाली। डूबते और उगते हुए सूर्य देव- छठी मैया को दिया जाता है अर्ध्य।
Chhath Puja 2023 ! डूबते और उगते हुए सूर्य देव- छठी मैया को दिया जाता है अर्ध्य ! की जाती है सूर्योपासना
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Chhath Puja 2023 ! अबकी छठ पूजा 17 नवंबर से 20 नवंबर तक | Chhath Puja 2023 Date
- 17 नवंबर, दिन मंगलवार को नहाय खाय
- 18 नवंबर, दिन बुधवार को खरना
- 19 नवंबर, दिन गुरुवार को डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य
- 20 नवंबर, दिन शुक्रवार को उदीयमान उगते सूर्य भगवन भास्कर को दिया जाएगा अर्घ्य। और इसी के साथ सूर्य पूजा का समापन होता है।
Chhath Puja 2023 ! सूर्योपासना का महापावन पर्व छठ
जाहिर हो Chhath Puja (छठ) पूजा चार दिवसीय हिंदू का त्योहार है। यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक निर्धारित होता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की Chhath Puja के लिए खास होता है।
Chhath Puja 2023 ! ज्ञात हो यह छठ पूजा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और नेपाल में भी आयोजित होती है। भगवन सूर्य की यह विशेष पूजा के रूप में लोग मानते हैं। यह पर्व लोक आस्था का महा पावन- पवित्र पर्व है। जो धार्मिकता से ओतप्रोत होता है।
इस Chhath Puja में व्रती 36 घंटे तक निर्जल उपवास करते हैं। और डूबते और उगते दोनों वक़्त भगवन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा से भक्तों की मुरादें पूरी होती है। ऐसी धार्मिक मान्यता है।
Chhath Puja 2023 ! छठ पूजा महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है। जो मुख्य रूप से बिहार सहित पूर्वी भारत के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। जीवन में छठ पूजा का बड़ा महत्व है। यह पर्व सूर्य देव- छठी मैया के आराधना का प्रतीक है। सूर्य देव की कृपा से ही जीवन गुलफूल होता है। उनका आशीर्वाद प्राप्ति के लिए ही छठ पूजा धूमधाम से की जाती है।
Chhath Puja 2023 ! छठ पूजा में विशेष तौर पर सूर्य देवता की आराधना- साधना की जाती है। भगवन सूर्य देव- छठ माता अपने भक्तों के हरेक कष्ट हर लेते हैं और सुख- समृद्धि देते हैं। उनकी असीम कृपा से भक्तगण आह्लादित हो उठाते हैं। ऐसी उनकी असीम कृपा कल्याणकारी होता है। जो भक्तों को भाता है। सूर्य ! साक्षात देवता हैं। जिनका दर्शन- पूजन हितकारी- उपकारी सहित शुभकारी होता है।
Chhath Puja 2023 ! Chhath Puja (छठ पूजा) सपरिवार व अन्य दोस्तों के साथ साझा किया जाता है। छठ पूजा के दौरान, लोग आपसी- भाईचारे के साथ मिलजुल कर पूजा करते हैं। और इस दौरान छठ का प्रसादी भी ग्रहण करते हैं। यह पर्व परिवार और दोस्तों के बीच प्रेम- स्नेह सहित एकजुटता को बढ़ावा भी देता है। जो बिल्कुल, अनोखापन लिए हुए होता है।
Chhath Puja 2023 ! सूर्य पूजा से भक्तों का संकट होता दूर
Chhath Puja 2023 ! धार्मिकता से ओतप्रोत छठ पूजा विशेष लाभकारी होता है। इस पूजा का ख़ास लाभ मानव पर पर झलकती है :
- भक्तों को सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती।
- जिंदगानी में सुख, समृद्धि सहित विशेष खुशहाली आती।
- घर- परिवार समेत बच्चों की लंबी उम्र एवं बेहतरीन स्वास्थ्य की प्राप्ति होती।
- आपसी प्रेम- स्नेह सहित एकजुटता में बढ़ोतरी होती।
Chhath Puja 2023 ! यह पूजा धरिक तौर पर महत्वपूर्ण पवित्र पर्व है। यह मूलतः प्राचीन सूर्योपासना का पर्व है। जिसमें सूर्य समेत छठी मैया की पूजा की जाती है। जो जगजाहिर है।
छठ पर्व की प्राचीन परंपरा बड़ी पुरानी ! अतिप्राचीन है। जिसका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णित है। यह पर्व हिंदू धर्म का अनूठी सूर्योपासना का पर्व है। जो बेजोड़ है।
इस पर्व को धार्मिक वातावरण में चार दिनों तक मनाया जाता है। इस लोक आस्था के पवित्र पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। नहाय-खाय के दिन व्रती स्नान कर के नए वस्त्र पहनते और शुद्ध सात्विक भोजन करते हैं।
वहीं, दूसरे दिन खरना का विधान होता है। उस दिन व्रती उपवास करते हैं। संध्या में शुद्ध सात्विक भोजन का प्रसादी ग्रहण करते हैं।
और अगले, तीसरे दिन सूर्यास्त से पहले व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य देने के लिए नदी, तालाब- पोखर में स्नान कर के नदी- तालाब- पोखर के तट सूर्य को अर्घ्य प्रदान करते हैं। इस दिन व्रती उपवास पर रहते हैं। शाम को छठी मैया की पूजा की जाती है। इस दौरान व्रती धार्मिक नियमों का पालन करते हैं।
Chhath Puja 2023 ! इसी कड़ी में, सूर्योपासना के चौथे दिन उदीयमान भगवान भास्कर सूर्य देव- छठी मैया को व्रती नदी, तालाब या पोखर के किनारे जाकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उसके बाद पर्व का समापन होता है।
Chhath Puja 2023 ! लोग पर्व की ख़ुशी में छठी मैया के गीत गाते हैं। इस तरह से छठी मैया की पूजनोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
सचमुच, यह पर्व धार्मिक आस्था, विश्वास सहित भक्तिमय समर्पण का महान महापर्व है छठ। पर्व की प्रमुख परंपराएं ऐसी है :
- पवित्र नहाय- खाय :- छठ पर्व की शुरुआत। व्रती स्नान कर करतीं सात्विक भोजन।
- पावन खरना :- दूसरे दिन खरना। व्रती का व्रत जारी। संध्या में किया जाता है शुद्ध सात्विक प्रसाद ग्रहण।
- अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य :- तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को दिया जाता ही अर्ध्य। नदी, सरोबार के किनारे दिया जाता है भगवान सूर्य को अर्घ्य।
- सूर्यदेव- छठीमैया की पूजा :- तीसरे दिन शाम को धूमधाम से छठ घाट पर छठी मैया की होती है पूजा।
- उदीयमान सूर्य अर्घ्य :- चौथे दिन उदीयमान भगवान भास्कर सूर्य देव को नदी, सरोबार के किनारे दिया जाता है अर्घ्य।
महापर्व छठ के दौरान प्रतिमा पूजा :
- सूर्य प्रतिमा: सूर्य प्रतिमा की पूजा।
- छठी मैया प्रतिमा: छठी मैया की प्रतिमा पूजा।
महापर्व डाला छठ की प्रमुख वस्तुएं :
- गन्ना : गन्ना प्रसाद।
- फल- फूल : विभिन्न फलों का प्रसाद।
- नारियल : नारियल गोला प्रसाद।
- पुआ- पकवान : पुआ- पकवान सहित अन्य मेवा- मिष्ठान प्रसाद।
- धूप- दीप : धूप- दीप, घी- दूध व पलटा का वस्त्र अन्य विभिन्न आवश्यक सामग्री।
Chhath Puja 2023 ! इस पर्व को देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा बिहार का प्रमुख पर्व है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस पूजा को सूर्य देव सहित छठी मैया की पूजा का पर्व माना जाता है। जाहिर हो यह छठ पूजा बिहार समेत झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं नेपाल में भी मनाया जाता है।
Chhath Puja 2023 ! सूबे बिहार में छठ पूजा गंगा नदी सहित नदी- सरोबार- पोखर के किनारे मनाई जाती है। राजधानी पटना के गंगा घाटों पर छठ पूजा का उत्साह झलकती है। बिहार के अन्य प्रमुख शहरों जैसे गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा आदि में भी छठ पूजा बड़े पैमाने पर धूमधाम के साथ मनाई जाती है।
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी छठ विशेष तौर पर मनाया जाता है। जिसका ख़ास महत्व है। छठ पूजा के दौरान महिलाएं और पुरुष व्रत रखते हैं। इस दौरान डूबते एवं उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ ! बिहार का सबसे लोकप्रिय पर्व है। यह पर्व बिहार की संस्कृति सहित परंपराओं को भी दर्शाता है। जिसमें भगवान सूर्य की पूजा व्यापक पैमाने पर की जाती है। छठ पूजा के दरम्यान व्रतीगण सूर्य देवता को प्रसन्न करने के लिए व्रत करते हैं। जीवन में सूर्य पूजा का बहुत बड़ा पारंपरिक महत्व है। यह ब्रह्मांड सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित है। भगवान सूर्य के वगैर अँधेरा दूर नहीं हो सकता है। जो सत्य है। और पूज्य भी।
Chhath Puja 2023 ! ज्ञात हो सूर्य पूजा हिंदू धर्म की प्राचीन परंपरा है। उगते- डूबते साक्षात सूर्य को हिंदू धर्म में देवता माना जाता है। पूजा का उद्देश्य सूर्य देव की कृपा प्राप्त करना होता है। उनके आशीर्वाद से जिंदगानी सफलता सहित समृद्धि से भर जाता है। और मानव खुशियों से आह्लादित हो उठता है।
सूर्य पूजा के पारंपरिक महत्व :
- सूर्य जीवन का स्रोत हैं। सूर्य से प्रकाश सहित हमें ऊर्जा मिलती है। जो मानव जीवन के लिए अनिवार्य है। सूर्य पूजा कर के लोग भगवान सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं।
- सूर्य ! आरोग्य देवता हैं। सूर्य की किरणें विटामिन डी का बड़ा और बेहतरीन स्रोत है। जो हड्डियों समेत दांतों के स्वास्थ्य के लिए जरुरी है। सूर्य पूजा कर के लोग सूर्य देव से आरोग्य प्राप्त करने की कामना भी करते हैं।
- सूर्य ! ज्ञान सहित बुद्धि का भी देवता हैं। सूर्य की किरणें आंखों के लिए लाभकारी है। वह देखने की शक्ति के लिए अनिवार्य है। सूर्य पूजा कर के लोग सूर्य देव से ज्ञान समेत बुद्धि- विवेक प्राप्त करने की भी कामना करते हैं।
- सूर्य ! सफलता का देवता हैं। सूर्य की किरणें हमें ऊर्जा प्रदान करने का व्यापक स्रोत है। वह कार्य करने की शक्ति के लिए बेहद जरुरी है। सूर्य पूजा कर के लोग सूर्य देव से सफलता प्राप्त करने की भी कामना करते हैं।
उनकी पूजा के अन्य पारंपरिक तरीकों में शामिल है :
- सूर्य नमस्कार: सूर्य नमस्कार ! योग अभ्यास है। जो सूर्य देव को अर्पित। सूर्य नमस्कार से शरीर स्वस्थ होता ही, मजबूत भी होता।
- सूर्य अर्घ्य: सूर्य अर्घ्य धार्मिक अनुष्ठान है। सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता। सूर्य अर्घ्य करने से मन को शांत- सुकून में बेहद मदद मिलती।
- सूर्य मंत्र: सूर्य मंत्र सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए जपा जाता है। सूर्य मंत्र जपने से मन- मियाज को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती।
Chhath Puja 2023 ! यह सूर्य पूजा महत्वपूर्ण अनोखी हिंदू परंपरा है। सफलता एवं समृद्धि प्राप्त करने में मदद मिलती।
जाहिर हो छठ पूजा परंपरा की शुरुआत कब हुई। यह निश्चित रूप से नहीं वर्णित किया जा सकता है। मान्यता ऐसी यह अनूठी परंपरा प्राचीन काल की है। और वह अनवरत चली चल रही है। जिसकी शुरुआत शायद, वैदिक काल में हुई, मणि जाती है। यह अद्भुत परंपरा हिंदू धर्म के सूर्य देव की उपासना से जुड़ी है।
इस पूजा का उल्लेख प्राचीन धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। जैसे ! ऋग्वेद, अथर्ववेद सहित अन्य धार्मिक ग्रंथों में। ऋग्वेद में सूर्य देव को “सूर्य” और “विश्वकर्मा” नाम से भी जाना जाता है। अथर्ववेद में सूर्य देव को “सूर्य देवता” और “सूर्य नारायण” नाम से भी जाना जाता है।
बिहार में छठ पूजा के लिए लोकप्रिय मंदिरों में शामिल :
- उलार सूर्य मंदिर: यह मंदिर बिहार के पटना जिले में स्थित है। मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है।
- परसाधाम सूर्य मंदिर: मंदिर बिहार के झंझारपुर जिले में स्थित है।
- गंगासागर पोखरा काली मंदिर: मंदिर बिहार के मधुबनी जिले में स्थित है। लोग मंदिरों में भगवान सूर्य की पूजा करते, मत्था टेकते और उनका आशीर्वाद लेते।
Chhath Puja 2023 ! छठ पूजा अनोखी और महत्वपूर्ण पर्व है। जो एकजुटता एवं भाईचारे का प्रतीक है। बिहार प्रदेश में कई प्राचीन सूर्य मंदिर है। जिनमें से कुछ देश के सबसे प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में शामिल है। इन मंदिरों में भगवान भास्कर सूर्यदेव की मूर्तियाँ स्थापित है। वह आकर्षक कलात्मक मंदिर सूर्योपासना, सूर्य पूजा के लिए खास मशहूर है।
बिहार प्रदेश के सुप्रसिद्ध कलात्मक सूर्य मंदिर :
- देव सूर्य मंदिर, औरंगाबाद
औरंगाबाद जिले में स्थित यह कलात्मक मंदिर बिहार का सुप्रसिद्ध सूर्य मंदिर है। यह मंदिर 12 वीं शताब्दी के निर्मित है। जो नागर शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर में सूर्य देव की विशाल मूर्ति स्थापित है। सात रथों पर सवार भगवान सूर्यदेव कलात्मक रूप में स्थापित हैं। मंदिर सूर्योपासना पूजा के लिए विशेष महत्त्व रखता है। - पुण्यार्क सूर्य मंदिर, बाढ़
पटना जिले में स्थित यह मंदिर गंगा नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर 12 वीं शताब्दी में बनाया गया था। जो बिहार के पुराने सूर्य मंदिरों में से एक है। मंदिर में सूर्य देव की विशाल मूर्ति स्थापित है। जो सिंहासन पर बैठी कलात्मक कृति है। - उलार्क सूर्य मंदिर, पालीगंज
पटना जिले में स्थित यह मंदिर 12 वीं शताब्दी में निर्मित की गई थी। मंदिर नागर शैली का उत्कृष्ट पेशकश है। वहां मंदिर में सूर्य देव की विशाल मूर्ति है। जो सिंहासन पर बैठी हुई है। - बड़गांव सूर्य मंदिर, नालंदा
नालंदा जिले में स्थित यह मंदिर 12 वीं शताब्दी का निर्मित है। मंदिर भी नागर शैली का उत्कृष्ट कलात्मक पेशकश है। वहां सूर्य देव की विशाल मूर्ति स्थापित है। जो सिंहासन पर बैठी हुई है। - ओंगार्क सूर्य मंदिर, ओंगरी
जाहिर हो औरंगाबाद जिले में स्थित यह मंदिर 12 वीं शताब्दी का निर्मित है। ये मंदिर नागर शैली का ही उत्कृष्ट कलात्मक पेशकश है। इस मंदिर में सूर्य देव की विशाल मूर्ति स्थापित है। जो सिंहासन पर बैठी बेहद आकर्षक है।
इनके अलावे ! बिहार प्रदेश में कई प्राचीन सूर्य मंदिर हैं। जो भव्य खूबसूरती एवं धार्मिक महत्व के लिए बेहद मशहूर है। प्रदेश में छठ पूजा के लिए अन्य महत्वपूर्ण लोकप्रिय तीर्थस्थल हैं। जिन में शामिल है :
- बेलाउर में मोनिया बाबा सूर्य मंदिर
- बेगुसराय में चंदनपुर सूर्य मंदिर
- समस्तीपुर में कल्याणपुर सूर्य मंदिर
- सीतामढ़ी में त्रिवेणीधाम
- मुंगेर में बाबा गरीबनाथ मंदिर
Chhath Puja 2023 ! छठ पूजा सूबे बिहार का धार्मिक महत्वपूर्ण पर्व है। जो सूर्य देवता की पूजा के लिए है। सूर्योपासना के दौरान व्रती सूर्योदय और सूर्यास्त के वक़्त जल में खड़े होकर भगवान भास्कर सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करते हैं। छठ ! शुद्ध पावन सात्विक व्रत है। जो उपवास पर आधारित है। जो काफी कठिन व्रत है।