मुख्यमंत्रीजी फंसा पेंच ! क्या करे बिहार के लोहार
लोहार जाति को लेकर सरकार को स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट से आई फैसले की आलोक में अंज ने मुख्यमंत्री से की मांग
बिहार सूबे के लोहार जाति का सवाल
वर्ल्ड रिकार्ड्स जर्नलिस्ट अंज ने लोहार जाति के मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश से लगाई गुहार
बिहार : हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार सूबे में रहने वाले लोहार जाति के लिए जो फैसले सुनाई गई, उससे बिहार के लोहार जाति के भविष्य खतरे में दिख रहा है। विषम परिस्थिति से गुजर रहे हैं बिहार के लोहार। इसी मसले को लेकर वर्ल्ड रिकार्ड्स जर्नलिस्ट एवं फिल्मी पत्रकारबाबू अशोक कुमार अंज ने माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपनी मांग रखी है।
माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार |
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति यानी एस टी मानने और उन्हें अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करने संबंधी अधिसूचना को निरस्त कर दिया है। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के संबंध में बिहार सरकार द्वारा 23 अगस्त, 2016 को जारी अधिसूचना को निरस्त कर दिया।
अतः लोहार जाति को लेकर सुनाए गए फैसले के आलोक में राज्य सरकार को एक नोटिस जारी कर स्थित स्पष्ट की जानी चाहिए, ताकि इस समाज के लोगों के बीच कोई भ्रम की स्थिति नहीं रहे। फिलहाल लोहार जाति को यदि जाति प्रमाण पत्र बनवाना है तो किस कैटेगरी का प्रमाण पत्र बनेगा ?
लोहार जाति के वैसे छात्र/ छात्राएं जो अनुसूचित जनजाति वर्ग में आवेदन कर चुके हैं और अभी तक उस आवेदन का निपटारा नहीं हुआ है, उनका क्या होगा ? क्या जिन्हें आज लोहार जाति का प्रमाण पत्र जारी किया गया था क्या कल को उन्हें lohara लिखकर जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है या किया जाएगा ?
अभी तक जो अपनी जाति लोहार लिखते थे कल को वो हिंदी में अपनी जाति क्या लिखेंगे ? इसके अलावा अन्य जरूरी बिंदुओं पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए ताकि अभी तक विभिन्न प्रकार के परेशानियों को झेल रहे इस समाज को आने वाले समय में कोई परेशानी नहीं उठानी पड़े।
वर्ल्ड रिकार्ड्स जर्नलिस्ट अशोक कुमार अंज ने सूबे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह गुहार लगाई है। जिससे लोहार समाज का कल्याण हो सके, और भविष्य भी ना बिगड़े। इस विषम परिस्थिति को निपटाएंगे गरीब मसीहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ऐसी उम्मीद।