गया, (अंज न्यूज़ मीडिया)
ज्ञात हो 2023 तक, मुख्य राजनैतिक दल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू) हैं। समता पार्टी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनता दल, जन अधिकार पार्टी और विकासशील इंसान पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी सहित कुछ छोटे क्षेत्रीय दल भी हैं, जो राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बिहार में वर्तमान में महागठबंधन का शासन है।
राजद एक सामाजिक न्याय की पार्टी है। जिसकी स्थापना 1997 में लालू प्रसाद यादव ने की थी। पार्टी का आधार यादव, मुस्लिम और अन्य पिछड़ी जातियों में है। भाजपा एक हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी है। जिसकी स्थापना 1980 में हुई थी। पार्टी का आधार ऊंची जातियों और कुछ पिछड़ी जातियों के बीच है। जेडीयू एक क्षेत्रीय पार्टी है। जिसकी स्थापना 1990 में हुई थी। पार्टी का आधार कुर्मी, कोइरी और अन्य पिछड़ी जातियों में है।
बिहार की राजनीति में परंपरागत रूप से जाति की राजनीति हावी रही है। हालाँकि, हाल के वर्षों में विकासोन्मुख राजनीति का चलन बढ़ा है। यह इस तथ्य के कारण है कि बिहार भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक रहा है, और बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी ढांचे की मांग बढ़ रही है।
बिहार में मौजूदा राजनैतिक स्थिति अस्थिर है। फिलहाल, महागठबंधन सत्ता में है, लेकिन राज्य विधानसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। अगला विधानसभा चुनाव 2025 में होना है। और इसमें दोनों मुख्य गठबंधनों के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है।
बिहार की राजनीति के कुछ प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं:
गरीबी और विकास: बिहार भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक है, और यहां बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी ढांचे की मांग बढ़ रही है।
जाति की राजनीति: बिहार की राजनीति में जाति परंपरागत रूप से एक प्रमुख कारक रही है। हालाँकि, हाल के वर्षों में विकासोन्मुख राजनीति का चलन बढ़ा है।
भ्रष्टाचार: बिहार में भ्रष्टाचार का एक लंबा इतिहास रहा है। राज्य सरकार पर धन के दुरुपयोग और अयोग्य ठेकेदारों को ठेके देने का आरोप लगाया गया है।
कानून व्यवस्था: बिहार में कानून व्यवस्था का रिकॉर्ड खराब है। राज्य अपहरण, जबरन वसूली और हत्या सहित अपराध से त्रस्त है।
बिहार की राजनीति में ये कुछ प्रमुख मुद्दे हैं। राज्य को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन बदलाव की मांग भी बढ़ रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वर्षों में बिहार में राजनैतिक परिदृश्य कैसे विकसित होता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति चमक रही है। उसे हवा दे रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद। उनके ही नक़्शे- कदम पर चल रहे हैं उनके पुत्र उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव।
जाहिर हो सूबे बिहार की राजनीति दलों की दलदल में फंसी हुई है। इसकी सुर्खियां देश ही नहीं, विदेशों भी है। इसी माहौल में वर्ष- 2024 में लोकसभा की चुनाव भी होनी है। चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं दलों के नेता। दिग्गज नेताओं की दांव-पेंच, तोड़- जोड़ की राजनीति हावी है। लोकसभा की मुख्य चुनावी जंग एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच ही है। एक तरफ बीजेपी की टीम है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की। देखना है, अबकी किसकी राजनैतिक पलड़ा भारी होता है।
इस बार की चुनावी लड़ाई- शेर और सवा शेर के बीच होगी। जो बड़ा ही रोचक होगा। चुनावी जंग की जुबानी जंग जारी है। एक तरफ बीजेपी- तो – दूसरी तरफ कांग्रेस है। भिड़ंत काफी मजेदार है। महंगाई की मार झेलते देशवासियों का दिल किधर जाएगा- इंडिया गठबंधन की तरफ या एनडीए गठबंधन की तरफ।
देश की जनता जो मन बना लिया है, वही करेगा। जनता मालिक के दरबार से कैसी फैसला निकलेगी, वो वक्त बताएगा।