दिल्ली पुलिस ऊंचाईयों को छुआ : गृहमंत्री
केन्द्रीय गृहमंत्री का संबोधन
- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने की दिल्ली पुलिस के 75वें स्थापना दिवस पर समारोह संबोधन Advertisement
- केन्द्रीय गृह मंत्री ने दिल्ली पुलिस की परेड की सलामी ली और उत्कृष्ट सेवा और वीरता के लिए दिल्ली पुलिस के अधिकारियों और जवानों को पदकों से सम्मानित किया
- श्री अमित शाह ने रोहिणी में नवनिर्मित उपायुक्त कार्यालय परिसर का भी उद्घाटन भी किया
- केन्द्रीय गृह मंत्री ने पिछले दो वर्षों में कोरोनाकाल के दौरान जनसेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले दिल्ली पुलिस के 79 कर्मियों को श्रद्धांजलि दी
- सेवा और कर्तव्यपरायणता का जो जज़्बा आपने दिखाया है, वो ना सिर्फ़ दिल्ली बल्कि पूरे देश के पुलिस बलों के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत होगा
- आज़ादी-पूर्व की पुलिस व्यवस्था स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने और अंग्रेज़ों की सत्ता बनाए रखने के लिए काम करती थी
- आज़ादी के बाद देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस की स्थापना हुई और उसके बाद शांति, सेवा और न्याय के सूत्रवाक्य के साथ दिल्ली पुलिस ने अपना काम शुरू किया
- आज़ादी के साथ ही दिल्ली पुलिस का नया कलेवर और स्वरूप देश की जनता के सामने आया है
- देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश की जनता के सामने कई लक्ष्य रखे हैं
- आज़ादी के अमृत महोत्सव का पहला उद्देश्य है कि 1857 से 15 अगस्त, 1947 तक आज़ादी की जंग में अपनी जान गंवाने, अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले बहादुरों के उज्ज्वल इतिहास से देश के युवा परिचित हों और उनसे प्रेरणा लेकर नए और मज़बूत भारत के निर्माण के लिए अपने आप को समर्पित करें
- दूसरा उद्देश्य है कि आज़ादी का अमृत महोत्सव पूरे देश की जनता के लिए संकल्प का वर्ष बने और देश के 130 करोड़ लोग इस वर्ष में एक संकल्प लें जो हमारे देश को आगे बढ़ाने, मज़बूत करने, समृद्ध, शिक्षित और स्वस्थ बनाने वाला हो
- 75 से 100 साल की यात्रा को देश के प्रधानमंत्री ने अमृत काल कहा है और इन 25 वर्षों में हर क्षेत्र में देश को ऊंचाईयों और दुनिया में प्रथम स्थान पर ले जाने का हमें संकल्प करना है
- ये 25 वर्ष संकल्प सिद्धि, पुरूषार्थ की पराकाष्ठा और लक्ष्य सिद्धि के 25 वर्ष होने चाहिए
- पिछले 8 दशकों में दिल्ली पुलिस ने कई ऊंचाईयों को छुआ, कठिन समय में अपने आप को साबित किया और सभी चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने स्वरूप में बहुत बदलाव किया
- ये वर्ष दिल्ली पुलिस के लिए दो प्रकार के लक्ष्य तय करने का वर्ष है
- पहला लक्ष्य, 75 से 80 साल के कालखंड में दिल्ली पुलिस में हर क्षेत्र में जहां भी जो भी गैप दिखाई देते हैं उन्हें भरें
- दूसरा लक्ष्य, अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में दिल्ली पुलिस स्वंय को किस स्थान पर पहुंचाना चाहती है
- पांच साल और 25 साल के लक्ष्यों का निर्धारण समयबद्ध तरीक़े और रोडमैप के साथ दिल्ली पुलिस को करना चाहिए
- कोरोनाकाल और दिल्ली दंगों में जिस प्रकार की भूमिका दिल्ली पुलिस ने निभाई है, विशेषकर दिल्ली दंगों की जांच कर दंगाईयों को अदालत के सामने खड़ा करने का काम किया है, इसके लिए दिल्ली पुलिस बधाई की पात्र है
- दिल्ली पुलिस को राजधानी की पुलिस होने के नाते देश के सभी संवैधानिक पदों पर आसीन गणमान्य लोगों की सुरक्षा करनी होती है
- उसे गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस समेत देश के बड़े कार्यक्रमों का सुरक्षित आयोजन सुनिश्चित करना और विदेशी मेहमानों की सुरक्षा सहित सभी चीजों को बहुत अच्छे तरीके से निभाना होता है
- देश की राजधानी होने के नाते आतंकवाद, नारकोटिक्स और डिप्लोमेटिक एरिया की सुरक्षा की भी चुनौतियां दिल्ली पुलिस के सामने हैं
- दिल्ली पुलिस ने समय के साथ और आने वाली चुनौतियों के साथ-साथ अपने आपको तैयार किया है और बदला भी है और इसीलिए दिल्ली पुलिस का आज दुनिया भर में सम्मान है
- कोरोनाकाल के दौरान जो काम दिल्ली पुलिस ने किया वो काम शायद ही कभी किसी पुलिस दल ने किया होगा
- उसी कालखंड में कई ऐसी वारदातें होने की संभावनाएं थी जिन्हें दिल्ली पुलिस ने बहुत मुस्तैदी के साथ होने से पहले ही रोका और इस कारण आज हम सुरक्षित महसूस करते हैं
- नारकोटिक्स, आतंकवाद, साइबर हमले, फेक करंसी और रोजमर्रा के अपराधों की समस्या जैसी चुनौतियों का दिल्ली पुलिस ने बहुत अच्छे से सामना किया है
- दिल्ली पुलिस के सुधार के लिए कई गतिविधियां चल रही हैं, दिल्ली पुलिस में परसेप्शन मैनेजमेंट विभाग भी बनाया गया है
- परसेप्शन मैनेजमेंट विभाग पुलिस विभाग की कठिनाइयों को जनता के सामने तो रखेगा ही साथ ही कठिन जीवन के कारण स्वभाव में जो परिवर्तन आता है उसको भी किस प्रकार से मैनेज किया जा सके, इसका भी काम करेगा
- पुलिस की ड्यूटी को एक अलग नजरिए से हमें देखना होगा, कुछ कहानियों और किस्सों के आधार पर पुलिस के त्याग, तपस्या, बलिदान और उनके फर्ज निभाने की गंभीरता को हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए
- हम जब रक्षाबंधन के दिन बहन से राखी बंधवाते हैं, तब दिल्ली और देश की पुलिस का जवान चौराहे पर खड़ा होकर, कोई हादसा न हो इसकी चिंता करता है
- जब हम होली, दीपावली और ईद मनाते हैं उस दिन भी पुलिसकर्मियों को कानून व्यवस्था की चिंता करनी होती है, ना यहां ओवर टाइम होता है, ना ही ड्यूटी के घंटे
- सबसे कठिन ड्यूटी देशभर की पुलिस निभाती है और देश की आंतरिक सुरक्षा को संभालते हुए, सभी सीएपीएफ और सभी राज्यों की पुलिस के 35000 जवान शहीद हुए हैं
- 2019 में हाउसिंग सेटिस्फेक्शन अनुपात 19% था, उसे हम 2024 से पहले 40% तक ले जाने में सफल होंगे
- जब आजादी और दिल्ली पुलिस की शताब्दी मनाई जाएगी, उस वक्त दिल्ली पुलिस समग्र विश्व के पुलिसबलों में सर्वश्रेष्ठ पुलिस के नाते दुनिया में अपनी साख स्थापित करने में सफल होगी
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस के 75वें स्थापना दिवस को किया संबोधित। Delhi- Bihar Special News.
गृहमंत्री ने दिल्ली पुलिस की परेड की ली सलामी |
केन्द्रीय गृह मंत्री ने दिल्ली पुलिस की परेड की सलामी ली और उत्कृष्ट सेवा और वीरता के लिए दिल्ली पुलिस के अधिकारियों और जवानों को पदकों से सम्मानित किया। श्री अमित शाह ने रोहिणी में नवनिर्मित उपायुक्त कार्यालय परिसर का भी उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री देव सिंह चौहान, केन्द्रीय गृह सचिव और दिल्ली पुसिल आयुक्त सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 75 सालों तक देश की राजधानी को दिल्ली पुलिस ने जिस प्रकार से सुरक्षित रखा और इसके बदलते स्वरूप के अनुसार स्वंय को बदला उसकी झलक परेड में देखने को मिली।
उत्कृष्ट सेवा और वीरता के लिए पदक |
उत्कृष्ट सेवा और वीरता के लिए पदक प्राप्त करने वाले दिल्ली पुलिस के अधिकारियों और जवानों को शुभकामनाएं देते हुए श्री शाह ने कहा कि किसी भी बल में अच्छे काम का अनुमोदन पूरे बल को उत्साहित करने वाला होता है।
उन्होंने दिल्ली पुलिस के 79 कर्मियों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने पिछले दो वर्षों में कोरोनाकाल के दौरान जनसेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। सेवा और कर्तव्यपरायणता का जो जज़्बा आपने दिखाया है, वो ना सिर्फ़ दिल्ली बल्कि पूरे देश के पुलिस बलों के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत भी होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली पुलिस का 75वां स्थापना दिवस है और देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी के साथ ही दिल्ली पुलिस का नया कलेवर और स्वरूप देश की जनता के सामने आया है।
उसके बाद शांति, सेवा और न्याय |
आज़ादी पूर्व की पुलिस व्यवस्था आज़ादी के आंदोलन को कुचलने और अंग्रेज़ों की सत्ता बनाए रखने के लिए काम करती थी। लेकिन आज़ादी के बाद देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस की स्थापना हुई और उसके बाद शांति, सेवा और न्याय के सूत्रवाक्य के साथ दिल्ली पुलिस ने अपना काम शुरू किया।
श्री अमित शाह ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश की जनता के सामने कई लक्ष्य रखे हैं। आज़ादी का अमृत महोत्सव जोशो-ख़रोश के साथ मनाया जा रहा है।
इसका पहला उद्देश्य है कि 1857 से 15 अगस्त, 1947 तक आज़ादी की जंग में अपनी जान गंवाने, अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले बहादुरों के उज्ज्वल इतिहास से देश के युवा परिचित हों और उनसे प्रेरणा लेकर नए और मज़बूत भारत के निर्माण के लिए अपने आप को समर्पित करें।
दूसरा उद्देश्य है कि आज़ादी का अमृत महोत्सव पूरे देश की जनता के लिए संकल्प का वर्ष बने। देश के 130 करोड़ लोग इस वर्ष में एक संकल्प लें जो हमारे देश को आगे बढ़ाने, मज़बूत करने, समृद्ध, शिक्षित और स्वस्थ बनाने वाला हो। 130 करोड़ लोगों का संकल्प कि जब देश आज़ादी की शताब्दी मनाएगा तब देश को हम दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर बिठाएंगे, इसका हमें पूरा विश्वास है।
उन्होंने कहा कि 75 से 100 साल की यात्रा को देश के प्रधानमंत्री ने अमृत काल कहा है। इन 25 वर्षों में हर क्षेत्र में देश को ऊंचाईयों और दुनिया में प्रथम स्थान पर ले जाने का हमें संकल्प करना है। ये 25 वर्ष संकल्प सिद्धि, पुरूषार्थ की पराकाष्ठा के और लक्ष्य सिद्धि के 25 वर्ष होने चाहिएं।
दिल्ली पुलिस ने ऊंचाईयों को छुआ |
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पिछले 8 दशकों में दिल्ली पुलिस ने कई ऊंचाईयों को छुआ, कठिन समय में अपने आप को साबित किया और सभी चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने स्वरूप में बहुत बदलाव किया।
ये वर्ष दिल्ली पुलिस के लिए दो प्रकार के लक्ष्य तय करने का वर्ष है। पहला, 75 से 80 साल के 5 साल के कालखंड में दिल्ली पुलिस में हर क्षेत्र में – अनवेषण, अनुशासन, जवानों के स्वास्थ्य, कल्याण, आतंकवादी चुनौतियों का सामना करने, नारकोटिक्स की रोकथाम, साइबर चुनौतियों का सामना करने तक – जहां भी जो भी गैप दिखाई देते हैं, उन्हें भरेंगे। दूसरा लक्ष्य है कि दिल्ली पुलिस की स्थापना के शताब्दी वर्ष के समय इसे किस स्थान पर स्वंय को पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि पांच साल और 25 साल के लक्ष्यों का निर्धारण समयबद्ध तरीक़े और रोडमैप के साथ दिल्ली पुलिस को करना चाहिए।
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श्री अमित शाह ने कहा कि कोरोनाकाल और दिल्ली दंगों में जिस प्रकार की भूमिका दिल्ली पुलिस ने निभाई है, विशेषकर दिल्ली दंगों की जांच करके दंगाईयों को अदालत के सामने खड़ा करने का काम किया है, इसके लिए दिल्ली पुलिस बधाई की पात्र है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की कठिनाईयां कई बार दिखती नहीं हैं। राज्य की पुलिस के लिए लॉ एंड आर्डर और राज्य के सामने आई चुनौतियों का सामना करना होता है।
दिल्ली पुलिस को राजधानी की पुलिस होने के नाते देश के सभी संवैधानिक पदों पर आसीन गणमान्य लोगों की सुरक्षा करनी होती है, देश के बड़े कार्यक्रमों का आयोजन सुरक्षित तरीक़े से सुनिश्चित करना, चाहे आजादी का पर्व हो, चाहे गणतंत्र दिवस हो, स्वतंत्रता दिवस हो, संसद का सत्र हो, अनेक प्रकार के विदेशी मेहमान यहां आते हैं, इन सभी चीजों को बहुत अच्छे तरीके से निभाना होता है।
इसके साथ-साथ देश की राजधानी होने के नाते आतंकवाद, नारकोटिक्स और डिप्लोमेटिक एरिया की सुरक्षा की भी चुनौतियां दिल्ली पुलिस के सामने हैं। दुनिया में कोई भी घटना होती है इसकी प्रतिक्रिया भारत की राजधानी में होना स्वाभाविक है और उस वक्त यह डिप्लोमेटिक एरिया की सुरक्षा भी दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी होती है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज पीछे मुड़कर देखें तो दिल्ली पुलिस का मूल अगर ढूंढने जाएं तो बहुत कठिन है, मगर मुझे लगता है कि कोतवाली से शुरू होकर आज दिल्ली पुलिस जहां पहुंची है, इस परिवर्तन के कारण दिल्ली पुलिस आज चुनौतियों के सामने खड़ी है। बदलते समय के साथ जो अपने आप को नहीं बदलते, समय और चुनौतियां उनकी राह नहीं देखते हैं।
उन्होंने कहा कि देश का गृहमंत्री होने के नाते मैं आज गर्व के साथ कहता हूं कि दिल्ली पुलिस ने समय के साथ और आने वाली चुनौतियों के साथ-साथ अपने आपको तैयार भी किया है और बदला भी है और इसीलिए दिल्ली पुलिस का आज दुनिया भर में सम्मान है। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल के दौरान जो काम दिल्ली पुलिस ने किया वो काम शायद ही कभी किसी पुलिस दल ने किया होगा। इसके साथ साथ उसी कालखंड में कई ऐसी वारदातें होने की संभावनाएं थी जिन्हें आपने बहुत मुस्तैदी के साथ होने से पहले रोका है और इसके कारण आज हम सुरक्षित महसूस करते हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली पुलिस के सुधार के लिए कई गतिविधियां चल रही हैं। दिल्ली पुलिस में परसेप्शन मैनेजमेंट विभाग भी बनाया गया है। यह बहुत जरूरी है क्योंकि पुलिस की ड्यूटी को एक अलग नजरिए से हमें देखना होगा।
कुछ कहानियों और किस्सों के आधार पर पुलिस के त्याग, तपस्या, बलिदान और उनके फर्ज निभाने की गंभीरता को हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम जब रक्षाबंधन के दिन बहन से राखी बंधवाते हैं, तब दिल्ली और देश की पुलिस का जवान चौराहे पर खड़ा होकर, कोई हादसा न हो इसकी चिंता करता है। जब हम होली, दीपावली और ईद मनाते हैं उस दिन भी पुलिसकर्मियों को कानून व्यवस्था की चिंता करनी होती है।
वे न समय पर घर का खाना खा सकते हैं, ना समय पर वर्जिश कर सकते हैं और यह सब करते करते जब उम्र होती है तब उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। ना यहां ओवर टाइम होता है, ना ही ड्यूटी के घंटे होते हैं। सबसे कठिन ड्यूटी देशभर की पुलिस निभाती है और देशभर की पुलिस के 35000 हमारे जवानों ने देश की आंतरिक सुरक्षा को संभालते हुए, सभी सीएपीएफ और सभी राज्यों की पुलिस के 35000 जवान शहीद हुए हैं। इन सभी के प्रति हम सबके मन में सम्मान का भाव होना चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह परसेप्शन मैनेजमेंट विभाग पुलिस विभाग की कठिनाइयों को जनता के सामने तो रखेगा ही परंतु साथ ही जो यह कठिन जीवन के कारण स्वभाव में परिवर्तन आता है उसको भी किस प्रकार से मैनेज किया जा सके, इसका भी काम करेगा। ट्रेनिंग निदेशालय भी बनाया गया है।
श्री शाह ने कहा कि 2019 में हाउसिंग सेटिस्फेक्शन अनुपात 19% था, उसे 2024 से पहले हम इसे 40% तक ले जाने में सफल होंगे। देश के सामने कई समस्याएं हैं नारकोटिक्स, आतंकवाद, साइबर हमले, फेक करंसी और रोजमर्रा के अपराधों की समस्या। इन सब चुनौतियों का दिल्ली पुलिस ने बहुत अच्छे से सामना किया है। उन्होंने कहा कि जब आजादी और दिल्ली पुलिस की शताब्दी मनाई जाएगी, उस वक्त दिल्ली पुलिस समग्र विश्व के पुलिसबलों में सर्वश्रेष्ठ पुलिस के नाते दुनिया में अपनी साख स्थापित करने में सफल होगी।
सदस्य ! संसदीय विशेषाधिकार की मर्यादा का रखें ख्याल : चौबे
चौबे ने टिप्स देते कहा संसदीय मर्यादा का करें पालन |
बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष एवं स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधन के दौरान केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि संसदीय विशेषाधिकार की मर्यादा का पालन सदस्यगण अवश्य करें। केंद्रीय मंत्री श्री चौबे आज बिहार विधान मंडल के सेंट्रल हॉल में “संसदीय विशेषाधिकार और समिति प्रणाली” विषय पर संबोधन कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री उने कहा कि बिहार के वैशाली का लिच्छवी गणराज्य “गणतंत्र” का जन्म स्थान रहा है। हमारे वैदिक ग्रंथ से जानकारी मिलती है कि प्राचीन काल से ही विचार,विमर्श,तर्क और बातचीत को हमेशा प्रधानता दी गई। लोकतंत्र को जीवंत रखने में बिहार की अभूतपूर्व भूमिका रही है और लोकतंत्र यहां के जीवन शैली में रही है।
केंद्रीय मंत्री श्री चौबे ने कहा कि “देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। वहीं बिहार विधान सभा का स्वर्णिम वर्ष पूरा कर अपनी 101वीं वर्षगांठ मना रहा है। दुनिया को लोकतंत्र से परिचय इस धरती से हुआ है। आजादी के 75 साल में भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ें और मजबूत हुई है। यह प्रसंता का विषय है। यह अमृतकाल है। भगवान श्रीराम ने सुशासन का जो मॉडल दिया। आचार्य चाणक्य ने जो राजनीति व राष्ट्र नीति की बात कही है। उसका मूल का आधार जनता का कल्याण है। आज यही वजह है कि मजबूत लोकतंत्र से भारत का मान देश दुनिया में बढ़ा है। ऐसा हम सभी को जो लोकतांत्रिक व्यवस्था में जो ताकत मिली है, उसका देन है। हजारों साल पहले हमारे ऋषि-मुनियों ने कहा था:-
सम्-गच्छ-ध्वम् ,
सम्-व-दद्वम् ,
सम् वो मानसि जानताम्।
श्री चौबे ने कहा कि सम्-गच्छ-ध्वम् यानि सभी साथ मिलकर चलें। सम्-व-दद्वम् यानि सभी मिल-जुलकर आपस में संवाद करें और सम् वो मनानसि जानताम् यानि सभी के मन भी आपस में मिले रहें। यह मंत्र लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ों को मजबूती प्रदान करने में सहायक है।
मुझे याद है, 1995 में जब जनता जनार्दन के आशीर्वाद से निर्वाचित होकर बिहार विधानसभा में आया था। मुझे प्राइवेट मेंबर बिल्स, नेचर कंजर्वेशन पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी आदि का चैयरमेन रहने का मौका मिला था। मेरा ध्येय था कि ये कमिटी सफेद हाथी बने न रहें।
एक जनप्रतिनिधि के नाते जनता के प्रति हम तभी संवेदनशील हो सकते हैं, जब हम कर्तव्यों के प्रति भी संवेदनशील हो। उ उन्होंने कहा कि मुझे बताते अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि माननीय लोकसभा अध्यक्ष जी के नेतृत्व में बेहतरीन लोक सभा की कार्यवाही हो रही है। बिहार विधानसभा में यह मुझे देखने को मिल रहा है।
हाल ही बजट सत्र का पहला चरण की कार्यवाही निर्विघ्नं चला। जब हम जनता के कार्यों के लिए काम करते हैं तो जो हमें संसदीय विशेषाधिकार मिला है।उसका सही सदुपयोग कर पाते हैं जब हम इसका बेजा इस्तेमाल कर सदन के अंदर कार्यवाही को प्रभावित करते हैं तो उसका नकारात्मक असर पड़ता है।
– सदनों का व्यवधान राष्ट्रीय चिंता कभी कभी बन जाता है।
सदन में संवाद की ही उपयोगिता है। इस पर अधिक फोकस रहने की जरूरत है। इसी से सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित होती है, लेकिन कुछ समय से सदन में बाधा डालने, नियमावली को तार-तार करने का चलन बढ़ा है। ऐसा नहीं होना चाहिए, मेरा मानना है कि जो विचार की स्वतंत्रता है वह शोर की स्वतंत्रता में नहीं बदलना चाहिए।
संसद को सर्वोच्च विधायी अधिकार प्राप्त हैं। संसद के अपने विशेषाधिकार हैं। विशेषाधिकार संसद सदस्यों को भी प्राप्त हैं। उसका सदुपयोग होना चाहिए।
विशेषाधिकारों का उद्देश्य संसदीय स्वतंत्रता, प्राधिकार और गरिमा की रक्षा रहा है। संसदीय विशेषाधिकार मूलतः ऐसे विशेष अधिकार हैं जो प्रत्येक सदन को सामूहिक और सदन के सभी सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से प्राप्त होते हैं।
इस तरह ये अधिकार संसद के अनिवार्य अंग के रूप में होते हैं। इन अधिकारों का उद्देश्य संसद के सदनों, समितियों और सदस्यों को अपने कर्तव्यों के क्षमतापूर्ण एवं प्रभावी तरीके से निर्वहन हेतु निश्चित अधिकार और उन्मुक्तियाँ प्रदान करना है।
संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 में क्रमशः संसद एवं राज्य विधानमंडल के सदनों, सदस्यों तथा समितियों को प्राप्त विशेषाधिकार उन्मुक्तियों का उल्लेख किया गया है।
इस तरह संसदीय विशेषाधिकार का मूल भाव संसद की गरिमा, स्वतंत्रता और स्वायत्तता की सुरक्षा करना है। लेकिन संसद सदस्यों को यह अधिकार उनके नागरिक अधिकारों से मुक्त नहीं करता है।