गर्भवती महिलाओं का वंडर प्रोजेक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन
![]() |
जिलाधिकारी डॉ० त्यागराजन एसएम ने की VC ! दिये आवश्यक टीप्स Advertisement
|
गया : जिला पदाधिकारी डॉ० त्यागराजन एसएम द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी प्रखंडों के प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी, हॉस्पिटल मैनेजर तथा जिला स्तर से सिविल सर्जन, डीपीएम स्वास्थ्य, यूनिसेफ के संजय कुमार, आईसीडीएस, जीविका तथा अन्य संबंधित पदाधिकारियों के साथ श्रवण श्रुति प्रोग्राम तथा वंडर प्रोजेक्ट के अद्यतन स्थिति को लेकर बैठक की गई।
वंडर प्रोजेक्ट के समीक्षा के क्रम में गुरारू, टनकुप्पा, तथा वजीरगंज प्रखंड में गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन कार्य काफी धीमा पाया गया है। इस संबंध में जिलाधिकारी ने तीनों प्रखंडों के प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी तथा ब्लॉक हेल्थ मैनेजर से स्पष्टीकरण मांगते हुए उनके वेतन अवरुद्ध करने का सख्त निर्देश दिए।
जिला पदाधिकारी ने निर्देश दिया है कि गर्भवती महिलाओं को सर्वप्रथम हीमोग्लोबिन टेस्ट तथा अन्य प्रकार के ब्लड जांच निश्चित तौर पर ऑन द स्पॉट करें। यदि कहीं ऑन द स्पॉट ब्लड सैंपल लेने में दिक्कत हो रही हो तो, अपने नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ब्लड सैंपल को भेजते हुए जांच करवाएं।
जिला पदाधिकारी ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को निर्देश दिया कि अगले 15 दिनों तक विशेष अभियान चलाकर गर्भवती महिलाओं को वंडर प्रोजेक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन का कार्य पूर्ण करायें।
डीपीएम स्वास्थ्य ने बताया कि प्रसव के दौरान अधिक रक्तस्राव से बचाव करने के लिए एसआर कैनुला की मदद सात ( 07) महिलाओं की जिंदगी बचायी जा सकी है. इसमें शेरघाटी में दो, फतेहपुर में दो और मेडिकल अस्पताल में तीन महिलाओं को यह चिकित्सीय सुविधा दी गयी है.
डीएम ने निर्देश दिया कि यदि एसआर कैनुला का इस्तेमाल जिन चिकित्सा संस्थानों में नही हो रहा है, वहां के स्वास्थ्यकर्मियों को मगध मेडिकल कॉलेज में बुलाकर इसका प्रशिक्षण दिया जाये. वंडर एप की मदद से जिला में 42 हजार से अधिक महिलाओं को रजिस्टर किया जा सका है. इसमें 739 महिलांए अधिक जोखिम वाली श्रेणी में हैं जिन्हें इलाज सुविधा दी जा रही है. लक्ष्य के अनुरूप गर्भवती महिलाओं के रजिस्ट्रेशन का 61 प्रतिशत प्राप्त कर लिया गया है.
112 बच्चों में 49 बच्चों का बेरा टेस्ट पॉजिटिव:
श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट के समीक्षा के दौरान डीपीएम नीलेश कुमार ने बताया कि बोधगया, शेरघाटी, टिकारी, खिजरसराय, बेलागंज, गया अर्बन, डोभी, कोच एवं अतरी प्रखंड के विभिन्न आंगनवाड़ी सेंटर तथा अन्य वैसे बच्चे जो 6 साल से कम उम्र के हैं, उन्हें चिन्हित कर श्रवण श्रुति के तहत हियरिंग लॉस संबंधित जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि अब तक इन प्रखंडों में 1063 आंगनवाड़ी केंद्रों पर आडियोलॉजिस्ट के माध्यम से 27304 बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी है. इसमें 144 बच्चों को बेरा टेस्ट के लिए रेफर किया गया है। 112 बच्चों का बेरा टेस्ट पूर्ण करा लिया गया है. इसमें 49 बच्चे बेरा टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं।
जिला पदाधिकारी ने डीपीओ आईसीडीएस को निर्देश दिया कि स्वास्थ्य विभाग से समन्वय स्थापित कर जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से 6 साल से कम उम्र वाले बच्चों के हियरिंग लॉस स्क्रीनिंग कार्य में पूर्ण सहयोग करें। उन्होंने सिविल सर्जन तथा डीपीएम स्वास्थ्य को निर्देश दिया कि स्क्रीनिंग कार्य में तेजी लायें ताकि अधिकाधिक बच्चों को स्क्रीनिंग हो सके. हियरिंग लॉस पाये जाने पर उनका समुचित इलाज करवाया जा सके।
अगले सप्ताह छह बच्चों की कानपुर में होगी सर्जरी:
डीपीएम स्वास्थ्य ने बताया 11 बच्चों का इलाज पूर्व प्राथमिक जांच के लिए कानपूर भेजा गया था. इसमें छह बच्चों का अगले सप्ताह सर्जरी कर कोकियर इंप्लांट किया जायेगा. इस हेतु कानपुर भेजा जाना है. उन्होंने कहा कि पूर्व में दो बच्चों का कानपुर में हियरिंग लॉस का बेहतर इलाज किया गया है। जिला पदाधिकारी ने निर्देश दिया कि बच्चों को जल्द से जल्द कानपुर भेजने का कार्य करें. इसका लगातार फॉलोअप किया जाये। पूर्व में इलाज किये हुए संबंधित दोनों बच्चों से लगातार संपर्क में रहें। सभी प्रखंडों में पर्याप्त मशीन, बच्चों के स्क्रीनिंग के लिए उपलब्ध कराया गया है। इसे हर हाल में अच्छे से प्रयोग करें।
बैठक में जीविका की ओर से अंशु कुमारी द्वारा बताया गया कि अब तक 1153 नवजात शिशु का स्क्रीनिंग करते हुए वंडर एप के माध्यम से उनकी इंट्री की गयी है। जिसमें 124 बच्चे अति जोखिम श्रेणी हैं जबकि 163 बच्चे कम जोखिम वाले श्रेणी में चिन्हित किये गये हैै, जिनका इलाज संबंधित स्वास्थ्य संस्थान से कराया जा रहा है। ऐसे बच्चों को एसएनसीयू, मेडिकल कॉलेज, जेपीएन अस्पताल और बोधगया स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करा कर नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था और रेफर के लिए फ्री एंबुलेंस की सुविधा दी गयी है। नवजात मृत्यु दर में बोधगया प्रखंड में काफी कमी लायी गयी है। सभी आंगनवाड़ी सेविका तथा बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को कहा कि अपने अपने संबंधित क्षेत्र में नवजात बच्चे की सूचना त्वरित दें ताकि रियल टाइम सूचना मिलने से उन्हें स्क्रीनिंग करते हुए स्वास्थ्य संबंधित सभी जांच किया जा सके। रियल टाइम सूचना देने से बच्चों में यदि किसी प्रकार की कोई दिक्कत होती है तो उसे तुरंत रेफर कर समुचित इलाज करवाया जा सकता है।
जिला पदाधिकारी ने सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि नवजात बच्चों के पूर्ण स्वास्थ्य जांच तथा बेहतर इलाज के लिए एक अलग से व्हाट्सएप ग्रुप बनाएं तथा यदि कोई नवजात बच्चा किसी प्रखंड से रेफरल होता है, तो उसे प्राथमिकता के आधार पर उपचार करें।
– AnjNewsMedia Presentation