गया, 20 अक्टूबर (अंज न्यूज़ मीडिया) Draupadi Murmu Rashtrapati का Central University of South Bihar के तृतीय दीक्षांत समारोह में ऐतिहासिक संबोधन।
Draupadi Murmu Rashtrapati का गया दीक्षांत समारोह में ऐतिहासिक वक्तव्य
Draupadi Murmu Rashtrapati ! आज उपाधियां प्राप्त करने वाले दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों को मैं बधाई देती हूं। उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की मैं विशेष सराहना करती हूं।
मुझे यह बताया गया है कि विद्यार्थियों को दिए जाने वाले पदकों की कुल संख्या 103 है। इन पदकों में 66 पदक हमारी बेटियों ने हासिल किए हैं। मैं पदक विजेता छात्राओं को विशेष बधाई देती हूं।
प्रायः सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्राओं द्वारा श्रेष्ठ प्रदर्शन किया जा रहा है। यह एक बहुत ही सुखद बदलाव है। यह एक बेहतर समाज के निर्माण की दिशा में भारत की प्रगति का द्योतक भी है।
Draupadi Murmu Rashtrapati ! मैं समझती हूं कि इस विश्वविद्यालय में छात्रावासों के नाम गार्गी और मैत्रेयी जैसी महान ऐतिहासिक विदुषियों के नाम पर रखने के मूल में छात्राओं की प्रतिभा को प्रोत्साहित और सम्मानित करने की सोच निहित है। मैं महिला सशक्तीकरण में सहायक ऐसी प्रगतिशील विचारधारा की सराहना करती हूं।
Draupadi Murmu Rashtrapati ! देवियो और सज्जनो,
सभी देशवासी इस बात पर गर्व का अनुभव करते हैं कि हमारे देश में, बिहार की इस धरती पर ही, विश्व की पहली लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं फली-फूली थीं। संविधान सभा में अपने समापन भाषण के दौरान बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि संसदीय प्रणाली के अनेक नियमों को भारत के प्राचीन गणराज्यों और बौद्ध संघों की कार्य-प्रणालियों में देखा जा सकता है।
भारत के संविधान और आधुनिक गणराज्य के निर्माण में भी डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा और बाबू राजेन्द्र प्रसाद सहित बिहार की अनेक विभूतियों ने अमूल्य योगदान दिया है।
प्राचीन काल से ही बिहार की यह धरती प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए प्रसिद्ध रही है। बिहार की धरती पर ही चाणक्य और आर्यभट जैसे प्रकांड विद्वानों ने समाज और राज्य की व्यवस्था से लेकर गणित और विज्ञान के क्षेत्रों में ऐसे क्रांतिकारी योगदान दिये जिनसे पूरी मानवता के विकास में सहायता प्राप्त हुई।
Draupadi Murmu Rashtrapati ! इस विश्वविद्यालय में विज्ञान की शिक्षा जिस भवन में दी जाती है उसका नाम ‘आर्यभट भवन’ रखा गया है तथा सामाजिक विज्ञान के शिक्षण हेतु निर्मित भवन का नाम ‘चाणक्य भवन’ रखा गया है। इस नामकरण की वास्तविक सार्थकता यहां के आचार्यों और विद्यार्थियों द्वारा विश्वस्तरीय शिक्षण और शोध के लिए प्रयास करने में ही दिखाई देगी।
आज देश-विदेश में बिहार के प्रतिभाशाली लोग चौथी औद्योगिक क्रांति में अपना योगदान दे रहे हैं। बिहार के उद्यमी लोगों ने विश्वस्तर पर अपनी पहचान बनाई है। प्रगति के ऐसे वैश्विक मानदंडो को स्थानीय स्तर पर भी स्थापित करना, आप सब का लक्ष्य होना चाहिए।
Draupadi Murmu Rashtrapati ! दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को भी इस परिवर्तनकारी दौर में अपनी सक्रिय भूमिका निभानी है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर technology और innovation को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। Data Science और Artificial Intelligence के पाठ्यक्रमों को शुरू करना एक समयानुकूल पहल है।
- Draupadi Murmu Rashtrapati ! मुझे बताया गया है कि ज्ञान-विज्ञान को साझा करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा ‘Campus to Community’ के नाम से एक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम से किस प्रकार लोगों को जोड़ा जा रहा है उसके बारे में विस्तृत जानकारी मिलने पर मुझे प्रसन्नता होगी।
- मुझे बताया गया है कि विश्वविद्यालय में Doctor Ambedkar Centre for Excellence के माध्यम से वंचित वर्गों के विद्यार्थियों को प्रशासनिक सेवाओं में चयन के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हेतु सक्षम बनाने के लिए कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
- Draupadi Murmu Rashtrapati ! यह सामाजिक परिवर्तन और समावेशी विकास की दिशा में एक सार्थक कदम सिद्ध हो सकता है। मैं आशा करती हूं कि इस कार्यक्रम की सफलता, ठोस परिणामों के माध्यम से साबित होगी।
Draupadi Murmu Rashtrapati ! प्यारे विद्यार्थियो,
गया के महत्त्व के बारे में सभी जानते हैं। आज से लगभग 2600 वर्ष पहले मगध नरेश बिम्बिसार के शासनकाल के दौरान गया में ही बोधिवृक्ष के नीचे सिद्धार्थ गौतम को बुद्धत्व प्राप्त हुआ।
Draupadi Rashtrapati ! कालांतर में बोधगया पूरे विश्व के श्रद्धालुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। शताब्दियों पहले गया में निर्मित बौद्ध स्थापत्य एवं कलाकृतियां विशेषज्ञों और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
इस ऐतिहासिक तथ्य का लिखित उल्लेख मिलता है कि समुद्र गुप्त के शासनकाल में श्रीलंका से श्रद्धालुओं का एक दल बोधगया के पवित्र परिसर में भिक्षु-भवन की स्थापना करने के लिए आया था।
प्राचीन काल से ही बिहार में नालंदा, विक्रमशिला और ओदंतपुरी नामक शिक्षा और संस्कृति के महत्वपूर्ण केंद्र विद्यमान थे। गया के पड़ोस में, नालंदा में स्थित बौद्ध-स्तूप तथा उसका परिसर प्राचीन भारत के सांस्कृतिक उत्कर्ष के साक्षी हैं।
Draupadi Murmu Rashtrapati ! आज से लगभग 1400 वर्ष पहले के उल्लेख मिलते हैं कि आचार्य शीलभद्र के नेतृत्व में नालंदा महाविहार एक विश्वस्तरीय शिक्षण केंद्र के रूप में सम्मानित था। अनेक देशों से लोग नालंदा में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे।
महामहिम President of India Murmu ने महाबोधि मंदिर का दर्शन गया। बोधिवृक्ष के पास पहुंचकर अर्चना किया। उन्होंने कहा काफी अच्छे तरीके की यहां व्यवस्थाएं श्रद्धालुओं के लिए है। इस परिसर में काफी शांति महसूस होता है।
Draupadi Rashtrapati ! आठवीं सदी में नालंदा महाविहार के पद्म-संभव नामक बौद्ध विद्वान ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को तिब्बत और चीन में प्रसारित किया था। नालंदा महाविहार में ज्ञान की विपुल राशि वहां के पुस्तकालय में संरक्षित थी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय ज्ञान परम्पराओं से जुड़ने के सुझाव के पीछे अत्यंत समृद्ध भारतीय ज्ञान परंपरा का आधुनिक संदर्भों में पुनर्निर्माण करने का लक्ष्य भी निहित है।
प्यारे विद्यार्थियो,
Murmu Rashtrapati ! विश्व के अनेक देशों में talent shortage की समस्या महसूस की जा रही है। भारत के प्रतिभाशाली तथा परिश्रमी युवा विश्व की अनेक अर्थव्यवस्थाओं को तथा उन देशों में ज्ञान-विज्ञान की प्रगति को अमूल्य योगदान दे रहे हैं।
आज भारत विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी तथा सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली major economy है। शीघ्र ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य है।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारी युवा पीढ़ी का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। आप जैसे युवा विद्यार्थी अपनी क्षमताओं का समुचित उपयोग करके demographic dividend से देश को लाभान्वित कर सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन के संकट तथा पर्यावरण संरक्षण की अनिवार्यता से आप सभी भली-भांति अवगत हैं। आप सभी को व्यक्तिगत एवं सामूहिक स्तर पर ऐसी जीवनशैली अपनानी है तथा ऐसे कार्य करने हैं जिनसे प्राकृतिक संपदा का कम से कम उपयोग तथा अधिक से अधिक संरक्षण एवं संवर्धन हो सके।
Draupadi Murmu Rashtrapati ! बिहार की पावन धरा पर आज से लगभग 2600 वर्ष पहले भगवान महावीर और भगवान बुद्ध ने शांति, अहिंसा, प्रकृति तथा जीव-जंतुओं के प्रति करुणा तथा प्रेम का संदेश दिया था। महात्मा गांधी ने उनके ‘अहिंसा परमो धर्म:’ के संदेश को बीसवीं सदी में नए आयाम दिए।
Murmu Rashtrapati ! महावीर, बुद्ध और गांधीजी का वह संदेश आज और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है। हमारे देश की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाना विश्व-कल्याण में सहायक सिद्ध हो सकता है।
आप सब युवा विद्यार्थी हमारी समृद्ध परम्पराओं के संवाहक हैं। आप सब समाज, देश और विश्व के नव-निर्माण में अपनी भूमिका तय कर सकते हैं और उसे भली-भांति निभा सकते हैं। मैं आपसे आग्रह करूंगी कि आपके लक्ष्यों में अपने विकास के साथ-साथ समाज-कल्याण तथा परोपकार के मूल्यों का भी स्थान रहे।
Draupadi Murmu President of India ! मैं आपको आश्वस्त करती हूं कि समाज-सेवा एवं पर-हित के लिए कार्य करने में निजी प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। ऐसे समग्र लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों में ही आपकी उच्च शिक्षा की सार्थकता सिद्ध होगी तथा आपकी सफलता के द्वार खुलेंगे।
President of India ! Draupadi Murmu Rashtrapati ! मैं एक बार फिर आज उपाधियां और पदक प्राप्त करने वाले आप सभी विद्यार्थियों को बधाई देती हूं। मैं आशा करती हूं कि आप सब कर्मयोगी की तरह अग्रसर होते हुए अपने परिवार, समाज और देश की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। मैं आप सबके स्वर्णिम भविष्य के लिए हृदय से आशीर्वाद देती हूं।