पर्यावरण संरक्षण को अपने संस्कार में ढालें
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पटना: गौरैया और पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका पर आयोजित परिचर्चा में महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण को अपने संस्कारों में शामिल करने की बात कहते हुए पर्यावरण को जीवन की सुरक्षा के लिए अहम बताया। ज्योति सनोडिया ने कहा महिलाओं का पर्यावरण संरक्षण में प्राचीन काल से ही बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।
पर्यावरण संरक्षण पर परिचर्चा |
देश की महिलाएं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं ने पौधों तथा जीव-जंतुओं के संरक्षण का कार्य करती आ रही हैं। विश्नोई समाज से आने वाली अमृता देवी अपनी तीन पुत्रियों के साथ पर्यावरण की रक्षा में शहीद होने वाली प्रथम वीरांगना हैं। उनसे प्रभावित हो कर ग्रामीणों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना बलिदान दिया था। जो समाज के लिए प्रेरणास्रोत बना है।
पर्यावरणविद- शिक्षिका उषा मिश्रा ने कहा महिलाओं को पर्यावरण संरक्षण में लाने के लिए बेहतर योजना बनाने की आवश्यकता हैं।वहीं, ज्योति डंगवाल ने कहा कोई भी सामाजिक परिवर्तन महिलाओं के भागीदार के बिना संभव ही नहीं।
काजल इंदौरी ने कहा पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं का योगदान बहुत ही कम है। युवा पीढ़ी भी पर्यावरण के महत्व को अभी तक ठीक से समझ नहीं पाई है।
परिचर्चा संयोजक संजय कुमार ने कहा पर्यावरण संरक्षण जरूरत बन गई है। संरक्षण के लिए महिलाओं के साथ- साथ समाज के व्यक्ति को आगे आना होगा।
डॉ धर्मेन्द्र कुमार ने कहा संरक्षण में महिलाएं आगे आ रही है, लेकिन उनकी संख्या तुलना में काफी कम है। वहीं, निशांत रंजन ने कहा महिलाएं संरक्षण में तेजी से आगे आ रही है।