गया, 23 अगस्त 2023 (अंज न्यूज़ मीडिया) Lalu Prasad Yadav का चारा घोटाला एक बड़ा अर्थव्यवस्था घोटाला था। जो 1990 से 1996 के बीच हुआ।
Lalu Prasad Yadav | चारा घोटाला बड़ा अर्थव्यवस्था घोटाला
बिहार के सरकारी खजाने से घोटाला हुई। चारा की बिक्री के नाम पर सरकारी रूपये की घोटाला हुई। जो पच नहीं पाया ! वह अनपच हो गया। उसी की सुर्खियां यहां समाहित है।
इस घोटाले में Lalu Prasad Yadav, बिहार के राजनैतिक दौड़ का एक शक्तिशाली नेता, और उनके परिवार के सदस्यों को शामिल किया गया। यह घोटाला बिहार के इतिहास का सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था घोटाला माना जाता है।
घोटाला 1990 में हुआ था। जब Lalu Prasad Yadav बिहार के मुख्यमंत्री थे। बिहार के पशुपालन विभाग के नियोजन में व्यवसायियों को शामिल किया। उन व्यवसायियों ने चारा की बिक्री के लिए उपयोगकर्ताओं से रुपये चुराने की शुरू की।
धीरे- धीरे घोटाले के रूप में उजागर हुआ। समझो ! उस घोटाले का पर्दा उठ गया। और दुनिया जान गई। फि उनकी जेल हुई और सजा भी। वह घोटाले से निकली आह घोटाला। और बदल गई लालू की फिजा ! बना बनाया गुड़ ! गोबर हो गया। इज्जत मिट्टी में मिल गई।
Lalu Prasad Yadav | गरीब मसीहा लालू चारा घोटाला में फंसे ! हुई सजा
घोटाला 1996 में हुआ। जब Lalu Prasad Yadav बिहार के कद्दावर मुख्यमंत्री थे। इस घोटाले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों को शामिल कर राउंड दिया गया। घोटाले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों को दोषी ठहराया गया और उन्हें सजा भी दी गई थी।
चारा घोटाला ने बिहार की अर्थ व्यवस्था को एक बड़ा नुकसान पहुंचाया। इस घोटाले ने बिहार के पशुपालन विभाग को लाखो रुपये का नुकसान पहुंचाया। इस घोटाले ने बिहार के उपयोगकर्ताओं को भी भारी क्षति पहुंचाया। घोटाले ने बिहार के लालू सरकार की प्रतिष्ठा को भी मिट्टी में मिला दी। गरीबों का मसीहा ! घोटालेबाज निकला। इस घोटाले से दुनिया भौंचक रह गई।
लालू राज की सुर्खियां | महा घोटाला | Lalu Prasad Yadav
लालू का घोटाला एक बड़ा घोटाला था जिसमें Lalu Prasad Yadav और उनके परिवार पर आरोप लगाया गया कि बिहार के राज्य खजाने से रूपया उड़ा दिया। ये घोटाला 1990 से 1995 के बीच हुआ था। जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे।
सीबीआई ने इस घोटाले में आरोप लगाया था कि लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने 1000 करोड़ से अधिक रुपये की घोटाला की है। इस घोटाले में वे शामिल थे।लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने बिहार के राज्य खजाने से रूपया की घोटाला की। वह अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तमाल किया।
इस घोटाले के आरोप लगने के बाद लालू प्रसाद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया गया था। उन्हें इस घोटाले के लिए 11 साल की जेल भी हो गई।
इस घोटाला ने Lalu Prasad Yadav और उनके परिवार की इज्जत को भारी क्षति पहुंचाया है। बिहार की राजनैतिक स्थिति को भी नुकसान पहुंचाया। सब बना बनाया हुआ खेल बिगड़ गया।
बिहार घोटाला ! महा घोटाला था। जो 2019 में बिहार में हुआ। घोटाले से बिहार सरकार को 1000 करोड़ रुपये का भारी नुक्सान हुआ। घोटाला एक ऐसी घटना है, जिसमें कानून के खिलाफ बड़ी भारी गलती होती है। वह किसी भी क्षेत्र में हो सकता है।
बिहार एक राज्य है। जो अति पिछड़ा राज्य में शामिल है। जो उत्तर पूर्व में स्थित है। घोटालों ने बिहार की जनता को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
चारा घोटाला एक ऐसा घोटाला था। जिसमें बिहार राज्य का 1000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। इस घोटाले में मुख्य रूप से Lalu Prasad Yadav और उनके परिवार पर दोषारोपण किया गया।
इस घोटाले की जांच सीबीआई ने की और वर्ष 2018 में लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में दोषी साबित किया। उन्हें 5 साल की कठोर की सजा मिली।
बिहार में वह घोटाला एक भयानक घोटाला था। यह घोटाला दुनिया को हिला दी थी। लालू सरकार ने बिहार के साथ भारी छलावा करते हुए महा घोटाला किया। गरीब मसीहा के नाम पर घोटाले के जरिये बिहार की खजाना को लूटा। ऐसे थे गरीब के मसीहा लालू।
बिहार घोटाला एक बड़ा व्यवसायिक हानिकारक घोटाला था। इस घोटाले में घोटाला की मात्रा लगभाग 950 करोड़ रुपये की थी। घोटाले से बिहार राज्य की राजकीय और आर्थिक स्थिति पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।
घोटाले ने बिहार राज्य के विकास को रोक दिया और राज्य की सत्ता का सम्मान को भारी क्षति पहुंचा दिया। इस घोटले के वजह से अन्य नेताओं को भी जेल जाना पड़ा। जिसका गवाह इतिहास है।
Lalu Prasad Yadav, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, चारा घोटाला मामले में दोषी पाए गए हैं और उन्हें 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। चारा घोटाला एक भ्रष्टाचार का मामला है। जिसमें आरोप है कि लालू प्रसाद यादव और उनके सहयोगियों ने बिहार सरकार के कोषागार से करोड़ों रुपये की सरकारी धनराशि का गबन किया था। इस मामले में Lalu Prasad Yadav और उनके सहयोगियों के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया था और लंबी सुनवाई के बाद उन्हें दोषी पाया गया था। Lalu Prasad Yadav ने इस फैसले को चुनौती दी है और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई शुरू कर दी है और फैसला सामने है।
Lalu Prasad Yadav ने 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। 1996 में, उन्हें चारा घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। चारा घोटाला एक भ्रष्टाचार का मामला था। जिसमें सरकारी धन को गलत तरीके से पशु चारे पर खर्च किया गया था। यादव को 2013 में चारा घोटाले के दो मामलों में दोषी ठहराया गया था और उन्हें 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
Lalu Prasad Yadav के बारे में नवीनतम समाचार यह है कि उन्हें चारा घोटाले के मामले में 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। उन्हें 1996 से 1997 तक बिहार के रेल मंत्री के रूप में पद पर रहते हुए घोटाले में शामिल होने का दोषी पाया गया था. यादव को रांची के केंद्रीय जेल में रखा जाएगा। उनकी सजा का विरोध करने के लिए उनके समर्थकों ने बिहार में विरोध प्रदर्शन किया है।
1996 में, बिहार के मुख्यमंत्री Lalu Prasad Yadav को चारा घोटाले में दोषी ठहराया गया था। उन्हें 5 साल की जेल और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था. यादव ने फैसले को चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा. 2017 में, यादव को जमानत दे दी गई थी।
लालू प्रसाद यादव बिहारी राजनेता हैं। वे 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे और 2004 से 2009 तक भारत के रेलमंत्री रहे। वे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष हैं।
जाहिर हो Lalu Prasad Yadav का जन्म 11 जून 1948 को बिहार के गोपालगंज जिले के एक छोटे से सुदूरवर्ती गांव में हुआ। संघर्ष की शुरुआती दौर में उनकी जिंदगानी अभाव में गुजारी। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की और फिर छात्र जीवन से राजनीति में शामिल हो गए। वे 1977 में पहली बार लोकसभा के सदस्य चुने गए।
Lalu Prasad Yadav को बिहार के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक माना जाता है। उन्होंने बिहार में कई विकास कार्य किए, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध है सड़क निर्माण. उन्होंने बिहार में महिलाओं के अधिकारों के लिए भी काम किया और उन्होंने कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की।
Lalu Prasad Yadav को 2013 में चारा घोटाले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। Lalu Prasad Yadav विवादास्पद नेता हैं। उन पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद के बड़ा आरोप लगे हैं। लेकिन वे लोकप्रिय नेता हैं। उनके समर्थक उन्हें बिहार के उत्थान के लिए नेता मानते हैं।
Lalu Prasad Yadav को 1997 में चारा घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 2013 में दोषी ठहराया गया और 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई। वे वर्तमान में बिहार की राजधानी पटना में जमानत पर हैं।
2023 की सुर्खियों में, लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें 14 साल जेल की सजा सुनाई गई। उन्हें जेल से जमानत पर रिहा कर दिया गया है। रिहा होने के बाद, उन्होंने राजद के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए काम करना जारी रखेंगे और बिहार के लोगों की सेवा करेंगे।
Lalu Prasad Yadav भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष हैं। वे 1990 से 1997 और 2005 से 2015 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। वे भारतीय राजनीति के सबसे विवादास्पद और प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं।
Lalu Prasad Yadav का जन्म 11 जून 1948 को बिहार के एक किसान परिवार में हुआ। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से स्नातक और पटना लॉ कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की। उन्होंने 1977 में बिहार विधानसभा के चुनाव में जीत हासिल की और पहली बार विधायक बने।
1990 में, Lalu Prasad Yadav बिहार के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण था भूमि सुधार। उन्होंने भूमि सुधार के तहत जमींदारों से जमीन छीनकर गरीबों को बांटी। उन्होंने गरीबों के लिए मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा की भी व्यवस्था की।
Lalu Prasad Yadav को 1997 में भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया और जेल में डाल दिया गया। वे 2014 में जेल से रिहा हुए।
Lalu Prasad Yadav को बिहार के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक माना जाता है। वे गरीबों और दलितों के लिए एक मजबूत आवाज रहे हैं। उन्होंने बिहार को एक नई पहचान दी।
पूर्व मुख्यमंत्री Lalu Prasad Yadav को पहले 5 साल की सजा सुनाई गई और फिर उन्हें 10 साल की भी सजा सुनाई गई।
यादव को 2017 में 1200 करोड़ रुपये के चारा घोटाला में शामिल होने के आरोप में घेर लिया गया। 1990 के दशक में घोटाला में बिहार में चारा बोर्ड के रुपये को चोरी करने की बात उजागर गई।
यादव 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री और 2004 से 2009 तक राज्य सभा के सदस्य थे। 2015 में उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में एक बार फिर चुना गया, लेकिन 2017 में उन्हें सरकार से हटा दिया गया।
घोटाले के आरोप शुरुआत बुरा, यादव को 2017 में एक बार गिरफ्तार किया गया। और फिर 2018 में यह बुरा हुआ। 2021 में, उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई। 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने 5 साल की सजा को बढ़ा कर 10 साल की सजा सुना दी। जो एक बड़ा झटका था। जो महा झटका थी, उससे वे उबर नहीं पाये। क्योंकि अपेक्षा की जा रही थी कि कोर्ट उन्हें छुट्टी दे देगी ! लेकिन वैसा संभव नहीं हो सका।
यादव को जेल में डाला गया। वह फाटक ! लाख कोशिश के बावजूद भी नहीं टूटा। उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी। जो ऐतिहासिक इतिहास छायी हुई है। वर्षों पुरानी बात ! जैसी करनी ! वैसी भरनी ! रूपी कहावत Lalu Prasad Yadav के जीवनी में एकदम फिट बैठ गई।
यादव के आरोप और सजा ने बिहार के राजनैतिक परिदृश्य को बदल दिया। वे राज्य के सबसे प्रभावशाली नेता पुरुषों से एकदम भिन्न हैं। उनके आरोप ने राज्य की राजनैतिक स्थिति को निश्चित रूप से उछाल दिया।
यादव के आरोप ने समाज में भी बदलाव लाया। लोकप्रिय पहले जैसी नहीं रही, दाग लग गई। जो अब कभी धुलने वाला नहीं। गरीबों के मसीहा रूपी नेता की छवि भी धूमिल हो गई। और एक घोटालेबाज के रूप में उनकी गिनती शुरू हो गई। समझो ! उनकी मसीहा की छवि ख़त्म।
वह अब समाज के लिए एक बहुत ही विभाजनात्मक पात्र हैं। और उनके आरोप से बिहार परिवर्तन की ओर मुड़ गया।
2023 में लालू प्रसाद यादव का क्या होगा यह अभी भी निश्चित नहीं
वे घोटाले का दंश झेल रहे हैं। यह एक अधिक जटिल घटना है। जिसका समाधान मुश्किल है। घोटाले में कई और परिणाम शामिल है। अन्य घाटनाओं की तुलना में घोटाले को समझने और समाधान में वक्त बहुत अधिक लगता है। फिर भी बेताज- बादशाह की तरह पटरी पर नहीं लौट पता है। जिसका मलाल ता जिंदगी होती है।
बिहार घोटाला 1996-1997 में बिहार में मुख्यमंत्री Lalu Prasad Yadav के सरकार के समय हुआ एक बड़ा धन चोरी का घोटाला था। इस घोटाले में, बिहार सरकार के सरकारी खर्च के लिए निर्मित एक खास खाते से लगभाग 900 करोड़ रुपए घोटाला किए गए थे।
वह घोटाला सरकारी खर्च के लिए निर्मित एक खास खाते से की गई थी। इस घोटाले में लगभाग 160 लोग शामिल थे। जिनमें बिहार सरकार के अधिकारियों के साथ- साथ व्यवस्था और परिवार के सदस्य भी शामिल थे।
इस घोटाले का आकलन बिहार की सरकार और राज्य की संस्कृति पर एक बड़ा प्रभाव डाला। इस घोटाले के कारण बिहार के लालू सरकार की मान गिरती गई और राज्य की संस्कृति में उनकी भरोसा घटी। उनकी घोटाले की दागदार छवि अब कभी साफ़ नहीं होगी।
वह दाग जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी बनी रहेगी। समझो ! Lalu Prasad Yadav के किये कार्य पर पानी फिर गया। सब गुड़ ! गोबर हो गया।