गया, 13 सितम्बर (अंज न्यूज़ मीडिया) यह Leader Story बिहार सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनैतिक जीवन पर आधारित लोकप्रिय स्टोरी है। Leader Story इंजीनियर की सिंहासन की सुर्खियों पर है। जिन्हें सत्ता प्यारी है। उनकी सत्ता की उथलपुथल की दास्ताँ जगजाहिर है।
CM नीतीश कुमार की राजनैतिक जीवन की लोकप्रिय स्टोरी है- Leader Story इंजीनियर की सिंहासन
लेखक : अशोक कुमार अंज

Leader Story इंजीनियर की सिंहासन : प्रतिभावान इंजीनियर ने राजनीति में कदम रखा। तब उसे पता नहीं था कि राजगद्दी तक सफर का अवसर मिलेगा। कुछ भी तय नहीं, सब भाग्य के आड़ में छूपा था।
बस, चलते- चलते मंजिल मिल गई। विधायक से भाग्य का पिटारा खुला और फिर तो कमाल ही कमाल होता गया। जो स्वप्न देखा नहीं, वह भी साकार हुआ।
कभी- कभी वक़्त सुहाना अवसर देता है, जिससे जीवन सफल हो जाता है। इसलिए हमेशा वक़्त के साथ चलें, सफलता कदम चुमेगी। इसमें कोई दो राय नहीं। सौभाग्य दौड़ा और वह सबसे आगे निकलता गया। उसने इंजीनियरिंग त्याग दिया और राजनीति की तरफ रूख कर ली।
Leader Story | सत्ता की उथलपुथल की दास्ताँ

वह धन्य- धन्य हुआ हीं राज तिलक में सफल भी। वह इससे गौरवांवित हो उठा। जिससे चहुॅं ओर खुशहाली फैल गई। देखते- देखते इंजीनियर को सिंहासन मिल गया। इतना हीं नहीं, वह कई बार सिंहासन पर बैठा। उसकी सत्ता में बल्ले- बल्ले हुआ।
Leader Story | हिम्मती व जिद्दी स्वभाव के CM

जिससे उसका और उसके परिवार का दिन फिर गया। गरीबी के पल में खुशी समाहित हो गयी। फिर तो खुशहाल जीवन व्यतित करने लगे और सम्पन्नता में जीवन- यापन। फिर उनकी ऊर्जा से ऊर्जांवित हुआ प्रदेश। नीति दमदार हुआ हीं, जानदार भी।
Leader Story इंजीनियर की सिंहासन : वह बचपन से हीं हिम्मती व जिद्दी स्वभाव का रहा। परंतु वह ओजस्वी गुण सम्पन्न भाग्यशाली रहा। पढ़ लिखकर इंजीनियर बना और फिर मुख्यमंत्री भी। इंजीनियर पद का अस्त और जनप्रतिनिधि के रूप में उभरते हुए सिंहासन हासिल किया।
वह आम आदमी से खास व्यक्ति के रूप में स्थापित हुआ। उसकी सफलता विषम परिस्थिति का सितारा निकला। जो चमक उठा। उसकी चमक से प्रदेश रौशन हुआ।
उस गुदड़ी का लाल का जय- जयकार गूंजने लगा। उसकी सशक्त दक्षता का परिणाम है राजगद्दी। अपनी कुशलता से सब को पीछे छोड़ते, खुद आगे बढ़ता चला।
महा चुनौती रूपी बाधाओं को पार करते प्रगति पथ पर बढ़ चला। उसे समर्थन मिला, हौसला बढ़ता गया और इरादा मजबूती से मजबूत होता गया। वह प्रिय से लोकप्रिय हुआ। भरोसा और आत्मबल के साथ आगे चलता रहा।
‘विजयश्री’ प्राप्त करने के समय कितने विषम वेला आया और गया, परंतु वह सब को झेलते हुए बाधाओं को पार करते हुए सफलता की मंजिल हासिल की।
जो ऐतिहासिक साबित हुआ। उनकी नीति और सिद्धांत औरों से भिन्न रहा। जिसकी वजह से उसे सुशासन बाबू की संज्ञा प्राप्त हुई। उसने परिस्थिति को भांपते हुए सटीक चाल- चलता, विकट संकट में भी धैर्य नहीं खोता। देखते- देखते एक इंजीनियर, सिंहासन का इंजीनियर बन गया।
Leader Story इंजीनियर की सिंहासन : वह सिंहासन में माहिर हो गया। प्रदेश का बागडोर उसके हाथ में सुशोभित हुआ। वह नीति का पेंच कसता और राज करता। उसे लौह संकल्पी के रूप में लोग देखते और प्रेरणा भी लेते।
क्योंकि वह खुद जोड़ता और तोड़ता भी। फिर अपनी काबिलियत से सिंहासन सजाता और संवारता भी। बेपटरी से पटरी पर लाना, ऐसा गुण बिरले में मिलता है। खोपड़ी में दिग्गज सोंच रखता, उसी का परिणाम है सिंहासन।
वह चुनौतियों से लड़ता- भिड़ता चला और कामयाबी हासिल की। उसने गठजोड़ बनाया और बिगाड़ा भी। और गठजोड़ चलता हीं रहा। कभी इसके साथ तो कभी उसके साथ। संघर्ष के आगे जीत रूपी कामयाबी छूपा होता है।
बस, घबराओ मत ! सफलता मिलेगी, कभी हार मत मानो। जीवटता हीं सफलता की पूंजी है। सोच बदलने से सिंहासन भी पा सकते हैं। जैसे सुशासन बाबू ने प्राप्त किया।

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कहानीकार,
अशोक कुमार अंज
वर्ल्ड रिकार्डी जर्नालिस्ट
(फ़िल्मी पत्रकारबाबू)
आकाशवाणी- दूरदर्शन से अनुमोदित साहित्यकार व पत्रकार
CEO of AnjNewsMedia
वजीरगंज, गया, बिहार