PM Modi : बिहार से उठी Political सुनामी
CM नीतीश का Experimental Politics
नीतीश के संयास काल में समाया Modi को उखाड़ फेंकने की सुनामी
PM Modi : अबकी बिहार से उठा है Modi को उखाड़ फेंकने की सुनामी। उस मुहिम के मुख्य मुखिया हैं- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। जो विपक्षियों को एक करने की तगड़े मुहिम में दिन- रात जुटे हुए हैं। बस, उनकी एक ही मुद्दा है ! Modi को हराना, और सत्ता से बेदखल करना।
दिग्गज नेताओं की जोरदार मुहिम :
जैसे- जैसे लोकसभा चुनाव- 2023 की तिथि नजदीक आती जा रही है, वैसे- वैसे उनकी मुहिम की रंग और भी निखरती जा रही है।
PM MODI को Delhi की सत्ता से उखाड़ फेंकने की मुहिम :
मसला एक ही है- PM MODI को Delhi की सत्ता से उखाड़ फेंकना। जिसके लिए कुर्सी कुमार के नाम से बहुचर्चित पलटूचा आंदोलनरत हैं। वह विपक्षिओं को एकजुट करने की मुहिम में जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। देखना है, पलटूचा के वह मुहिम कितना असरदार होता है।
अबकी बिहार से उठी है दिल्ली की सिंहासन को उखाड़ फेंकने की सुनामी।
जरा याद करें :
एक दौर था तब सभी ऊपरी पदों पर नीतीश कुमार के नाम होता था। लेकिन अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़े- बड़े पदों से कन्नी काटने लगे हैं। जो उनके संयास की प्रतीक है।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी नीतीश कुमार जुदा हो गए हैं। जदयू का मतलब हीं है नीतीश कुमार, लेकिन अब वह आत्मबल वाली छवि खत्म हो रही है। यही वजह है कि जदयू के नेताओं में भी ऊहापोह की स्थिति बनने लगी है। माननीय नीतीश के पदों से दूर जाने से दिग्गज नेताओं के दिमाग भ्रमित हो घूमने लगा है।
संयास के करीब जा रहे हैं माननीय नीतीश, उसी का द्योतक है पदों से हटना। वर्ष 2021 का मुख्यमंत्री पद भी उनका आख़िरी हीं है। जो उनका संयास काल है।
माननीय नीतीश का यह experimental politics है। जिसके लिए वे जाने जाते हैं। इस प्रयोगात्मक राजनीति से पार्टी में नई ऊर्जा आती है। इसी कमी को पूरा करेंगे राष्ट्रीय अध्यक्ष सिंह। ऐसी उम्मीद की जा रही है। लेकिन आगे क्या होगा, वक़्त ही बताएगा। इस experimental politics से कितना उतार- चढ़ाव पार्टी में आएगी।
राष्ट्रीय पद खुद के अलावे औरों को देना राजनैतिक चाल या त्याग है। उससे पार्टी में मजबूती भी आ सकती है या बिखराब भी। माननीय नीतीश का यह Political Testing है। जिसमें जातिगत फ़ायदा और नुक़सान दोनों समाहित है। इस आधार पर जातिगत राजनीति को मजबूती देने की कोशिश है। शायद, इस प्रयोग से पार्टी को अधिक मजबूती मिलेगी।
इस तरह की Testing वे करते हीं रहते हैं, जो बिहार में जारी है। जमात बना कर एकजुट होना उनका लक्ष्य है। जिससे राजनीति मजबूत होगी। नाख़ुश नेतागण इस बहाने से इस खेमे में आ धमकेगें। इससे नीतीश कुमार और भी ताक़तवर होंगे। राष्ट्रीय पद औरों को देना बड़े राजनीति को समेटने की राह है।
क्योंकि बिहार के चाणक्य माने जाते हैं माननीय नीतीश। उनकी चाल समझ पाना थोड़ा मुश्किल है। वे एक तीर से कई निशाने साधते हैं। जो वोट बैंक बन जाता है। राजनीति का मतलब हीं है वोट। बिहार में वोट जातीय आधार पर आधारित होती है। उसी का नतीजा है राष्ट्रीय पद सिंह को देना। शायद, नाराज सिंह समाज उनकी ओर अग्रसर हो जाय। जिससे राजनीति में ताकत आएगी ही, पार्टी में भी। इसी सोच पर यह राजनैतिक खेल आधारित है।
खुद मजबूत होकर औरों को कमजोर करो, यही तो राजनीति है। जिसमें माहिर हैं माननीय नीतीश।
अब है कि बारीकी से इस चाल पर उन्हें खरे उतरना होगा। जिससे मजबूती दिखे। वर्ना, … ?
बदलते दौर में राजनैतिक चाल भी बदल चुकी है। जो अगले पाँच साल में पता चलेगा। जब बिहार चुनाव होगा। माननीय नीतीश, तब राजनीति से संयास लेने के कगार पर होंगे। वे निरंतर अपने संयास की तरफ़ बढ़ रहे हैं। आगे… माननीय नीतीश का संयास काल है। देखना है उनकी मुहिम PM Modi को कितना झकझोर पाएगा।
अबकी CM नीतीश सहित विपक्षी नेताओं के निशाने पर है दिल्ली की सत्ता। सत्ता पलटेगी या अटकेगी ?
वक्त बताएगा ! किस में है कितना दम। सत्ता और विपक्ष की चुनौती, किस पर कितना भारी पड़ेगा। देश को इंतजार है।
PM Modi के 9 साल के अच्छे दिन, सेवा, सुशासन या बेरोजगारी, महँगाई, त्रस्त जनता, अच्छे या बुरे दिन के असली फैसले का वक्त आने वाला है।
यह देश कितना बदला या बदहाल, बेहाल हुआ ! अब जनता- जनार्दन करेगी फैसला। प्रधानसेवक ! अपनी मनमानी से जनता मालिक का कितने दिल तोड़े ! उस दर्दे- दिल का भी वास्तविक फैसले की मुहर जनता लगाएगी। इस बार लोकसभा की चुनावी स्थिति विषम है ही, विकट भी। इसमें कोई दो राय नहीं। क्योंकि पहाड़ सा खड़ा है विपक्षी चट्टानी एकता। जो PM Modi को मजबूती के साथ Direct चुनौती दे रहा है। Politics किस ओर करवट लेगी, कहना मुश्किल। इस बार की चुनावी हवा बदली- बदली सी दिख रही है।
कौन ? किस पर कितना भारी पड़ेगा ! देशवासी मुँहतोड़ ज़बाव देने की प्रतीक्षा में है।