Shradh | 2023 Date and Time | [बालू के पिंड से पितरों को मुक्ति] | {Special Report By Anj} |- Anj News Media

Shradh – बालू के पिंडदान से पूर्वज तृप्त ! खुश

पितृपक्ष मेला है विश्व प्रसिद्ध मेला ! राजकीय मेला का हासिल है दर्जा

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विष्णुपद मुख्य पिंडवेदी !
श्रीहर- श्रीहरि प्रभु विष्णु का पावन चरण !
ऐतिहासिक विष्णुपद मंदिर

Shradh: बिहार सूबे के गया ज़िले के पावन फल्गु अन्तः सलिला नदी में पहली बार (Pind Daan) पिंडदान की थीं माता सीता। जाहिर हो सर्वप्रथम सबसे पहले माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ का Shradh पिंडदान की थी। वह बालू का हीं पिंडदान की थीं। तभी से यह प्रथा निरंतर चला आ रहा है। जो सर्व विदित है। इतिहास भी इसका गवाह है। जिससे राजा दशरथ को मुक्ति मिली थी। इसी लिए कहा जाता है कि पूर्वज, सिर्फ बालू के पिंडदान से ही तृप्त हो जाते है। यानि उन्हें मुक्ति मिल जाती है। जाहिर हो इस तरह हुआ था श्राद्ध प्रथा का प्रारम्भ। इसी लिए गयाजी में श्राद्ध का बड़ा महत्त्व है। Shradh Paksha में बड़ी संख्या में पितरों- पूर्वजों के श्राद्ध के लिए लोग गया पहुँचते हैं और अपने पूर्वजों को पिंडदान कर उनकी मुक्ति की कामना करते हैं। देश हीं नहीं ! विदेश से भी श्रद्धालु- पिंडदानी यहां पहुंचते हैं अपने पितरों के पिंडदान के लिए। अपने पूर्वजों का पिंडदान कर सुफल आशीर्वाद ले यहां से लौटते हैं। 

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Shradh से पितरों- पूर्वजों को मिलती है मुक्ति- सद्गति

Shradh के लिए विशेष किसी सामग्री की जरुरत नहीं होती है। सिर्फ बालू के पिंड से हीं पूर्वजों को सदगति, मुक्ति मिल जाती है। मान्यता ऐसी है। बाकी, Shradh के झमझम आपके मन पर निर्धारित है। वैसे तो सिर्फ बालू के पिंडदान का हीं विशेष महत्त्व है। मूल बात इतनी हीं है।

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गयाजी के ऐतिहासिक देवघाट पर Shradh पिंडदान

 

जाहिर हो वैसे तो गयाजी में सालो भर पिंडदान का विधान है। और यहां सालो भर पितरों- पूर्वजों का पिंडदान होता है। पिंडदान के लिए पितृपक्ष मेला विशेष अवसर होता है। खासकर, गयाजी श्राद्ध का विशेष महत्त्व है। इस दरम्यान विशेषकर बुजुर्ग लोग ही पिंडदान के लिए आते हैं। पितृपक्ष, खासकर! बुजुर्गों का मेला है। जो श्राद्ध तीर्थ के रूप में विख्यात है।

गयवाल पंडा और धामी पंडा पिंडदान कर्म को संपन्न करवाते हैं। जो खास धार्मिक विधान है। 

Shradh करने से आपके पितृ खुश रहेंगे या तृप्त रहेंगे। और वो परिवार को आशीर्वाद देंगे। जिससे समस्त परिवार में सुख, शांति बनी रहेगी। हिन्दू धर्म में हमें अपने पूर्वजों का श्राद्ध संस्कार व पिंडदान अवश्य करना चाहिए, जिससे उनकी आत्मा को असीम शांति मिलती है। 

पितृपक्ष में Shradh Paksha का बड़ा महत्व

जाहिर हो हिंदूधर्म में माना जाता है कि पूर्वजों की तीन पीढ़ियों की आत्माएं पितृलोक में वास करती है। वह स्थल जिसे स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का माना जाता है। जो काफी असरदार होता है। वहां पर देवता और यम राज करते हैं। जो मरे हुए व्यक्ति की आत्मा को पृथ्वी से पितृलोक तक ले जाता है।

ऐसे में जब किसी दूसरी पीढ़ी का कोई व्यक्ति मरता है तब उसकी पहली पीढ़ी स्वर्ग में जाती है। भगवान श्रीहर- श्रीहरि के साथ वह पुनः मिल जाता है।जिससे पितृलोक में सिर्फ तीन पीढ़ियों को श्राद्ध संस्कार प्रदान किया जाता है। 

मान्यता ऐसी है कि पितृपक्ष श्राद्धपक्ष के दरम्यान पितरों का तर्पण तथा पिंडदान करने से उनकी आत्मा को परम शांति मिलती है। इस पावन मास में पितर एवं पूर्वज धरती पर विराजते हैं। विभिन्न उपाय कर के व्यक्ति पितृदोष से मुक्ति पा सकता है।

पितृपक्ष में बेहद खुश कैसे होते हैं आपके पूर्वज, जानें

पितृपक्ष को हीं श्राद्धपक्ष (Shradh Paksha 2023) कहा जाता है। क्योंकि पितृपक्ष के श्राद्धपक्ष माह में पितरों की परम शांति के लिए श्रद्धा से श्राद्ध करवाया जाते है। श्राद्धपक्ष में धूप- दीप के साथ पूजा- अर्चना, ध्यान करने से पितरों को सदगति एवं ऊर्जा मिलती है। जिससे वे सदा उनकी कृपा परिवार पर बनी रहती है।

हिंदूधर्म ग्रथों के जरिये माने तो भगवान श्रीहर- श्रीहरि की पूजा से पहले पूर्वजों की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। पितृपक्ष (Shradh Paksha 2023) में पितृ दोषों से मुक्ति पाने के लिए कई सकारात्मक धार्मिक उपाय किया जाता है।

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गयाजी में Shradh पिंडदान विधान

पितृपक्ष में धूप- दीप के साथ पूजा- अर्चना, ध्यान के बाद पितृ दोषों की असीम शांति के लिए सकारात्मक धार्मिक उपाय भी किया जाता है। जिससे वह व्यक्ति दोष मुक्त हो जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में पितदोष होता है उन्हें पितृपक्ष में श्राद्ध करना बेहद ही सकारात्मक फल देने वाला होता है। घर- परिवार खुशियों से भर जाता है। 

मान्यता ऐसी है यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष होता है तो उस व्यक्ति को जीवन में संकटों- कठिनाईयों से गुजरना पड़ता है। उन्हें जीवन में महत्वपूर्ण कार्यों में बाधा- अड़चनें आती रहती है। घर में रुपये- पैसों की बहुत तंगी होती है। 

परंतु ज्योतिषशास्त्र में पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए कई धार्मिक विधान- उपाय भी बताया गया है। जिसे अपना कर पितृदोषों से मुक्ति पाने के लिए बेहद सकारात्मक उपाय भी किया जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में पितृ किसी ना किसी रुप में धरती पर अवश्य आते हैं। विशेषकर अमावस्या के दिन वे जरूर पधारते हैं।

ऐसे में मान्यता है पितरों को स्मरण करें और पितृपक्ष के पावन दिनों में हर दिन, खासकर अमावस्या पर कौओं- काग को कागवली दें यानि उन्हें खाना- खिलाना चाहिए। इस उपाय से पितृ बेहद खुश- प्रसन्न होते।

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अनवरत प्रस्तुति

जाहिर हो वैसे तो हर दिन गाय को रोटी खिलाना फलदायक होता है। परंतु मान्यता है कि पितृपक्ष में हर दिन जब भी घर पर रोटी बने तो पहली रोटी गाय के लिए निकालकर रख देना चाहिए। और गाय को खिला देना चाहिए। जो फलदायक होता है। और ठीक इसी तरह बना हुआ अंतिम रोटी कुत्ते को खिला दें, बेहद फलदायक होता है। धार्मिक मान्यता है गाय एवं कुत्ते को रोटी खिलाने से पितृदोषों से मुक्ति मिलती है।

धर्म शास्त्रों के मानें तो पितृपक्ष में गंगा स्नान एवं पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध व धूप- दीप, पूजा- अर्चना ध्यान करना बेहद शुभ होता है। यह कार्य हरेक माह के अमावस्या को किया जाता है, जो काफी फलदायक सिद्ध होता है। परंतु समय अभाव हो तो पितृपक्ष काल में भी श्रद्धापूर्वक कर सकते हैं। जो आप के जीवन के लिए सुखदायक होगा, फलदायक भी। 

पितृपक्ष के दरम्यान प्रत्येक दिन पीपल वृक्ष पर कच्चा दूध सहित जल मिश्रित कर चढ़ाना चाहिए। जिससे पितृदोषों से मुक्ति मिलती है। ऐसी धार्मिक मान्यता है। जिससे आप पर पूर्वजों की कृपा बनी रहेगी है।

Year-2023 में पितृपक्ष- Shradh Period :-   

Date                  Shradh Period

29 सितंबर 2023- पूर्णिमा 

29 सितंबर 2023- प्रतिपदा 

30 सितंबर 2023- द्वितीया 

01 अक्टूबर 2023- तृतीया 

02 अक्टूबर 2023- चतुर्थी 

03 अक्टूबर 2023- पंचमी 

04 अक्टूबर 2023- षष्ठी 

05 अक्टूबर 2023- सप्तमी 

06 अक्टूबर 2023- अष्टमी 

07 अक्टूबर 2023- नवमी 

08 अक्टूबर 2023- दशमी 

09 अक्टूबर 2023- एकादशी 

11 अक्टूबर 2023- द्वादशी 

12 अक्टूबर 2023- त्रयोदशी 

13 अक्टूबर 2023- चतुर्दशी 

14 अक्टूबर 2023- सर्व पितृ 

श्राद्धपक्ष के दरम्यान घर में गीता का पाठ जरुरी है। उससे मन को शांति मिलती है।  उस वक्त व्यक्ति को धार्मिक वातावरण में रहना चाहिए।

Pitru Paksha 2023: ज्ञात हो जन्म के उपरांत प्राणी पर तीन ऋण होता है। जिसमें प्रथम देव ऋण, द्वितीय ऋषि ऋण और तृतीय पितृ ऋण। पितृपक्ष के 16 दिनों में श्राद्ध प्रक्रिया में भाग लेकर तीनों ऋणों से मुक्त पा सकते हैं। 

ज्ञात हो चंद्रमा की ऊर्ध्व कक्षा में पितृलोक स्थित होते हैं। जहां पितृ- पूर्वज वास करते हैं। जिन्हें आंखों से नहीं देख पाते। जीवात्मा, स्थूल शरीर से पृथक हैं। वैसी स्थिति को मृत्यु कहा जाता है।

Shradh 2023 September: हिन्दू धार्मिक मान्यताओं को मानें तो एक साल तक सूक्ष्म जीव को शरीर नहीं मिलता। वह सूक्ष्म जीव परिवारजनों सहित अपने हीं घर के आजूबाजू में मंडराता रहता है। श्राद्धकर्म करने से उस सूक्ष्म जीव को परम तृप्ति सहित सदगति मिलती है।

Shradh 2023 Special Importance: देव ऋण- ऋषि ऋण चुकता करना बेहद जरुरी है। जिसमें पितृ ऋण भी आता है। उसे भी पूर्ण करना होता है। जब यह ऋण उतार जाता है तभी मोक्ष मिलती है। ज्ञात हो 16 दिनी पितृपक्ष विधिवत श्राद्ध- तर्पण एवं पिंडदान से पूर्वजों- पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

Shradh 2023 : इस बार Shradh रूपी पितृपक्ष? कब शुरू होगा,जानें Date, Importance व Shradh विधि

जाहिर हो हिंदूधर्म में (Hindu Religion) पूर्वजों का आशीर्वाद लेने के लिए पितृपक्ष एक सुहाना अवसर होता है। इस दरम्यान श्राद्धकर्म पिंडदान तर्पण कार्य श्रद्धा भक्ति से किया जाता है। जिससे पितरों के ऋण से उऋण होते हैं। जो बिल्कुल सर्वोत्तम वक्त होता है। इस दरम्यान लोग अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा निवेदित करते हैं। जाहिर हो Pitru Paksha के 15 दिनों तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं ऐसी है कि पितृपक्ष (Pitru Paksha) के दरम्यान पितर से संबंधित कार्य करने से हीं पितरों को मोक्ष- सदगति मिलती है।

इस पक्ष में धार्मिक विधि- विधान से पितर से संबंधित कार्य करने से पितरों का आशीर्वाद (Blessings of Ancestors) मिलता है।

ज्ञात हो इस पितृपक्ष की शुरुआत भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृपक्ष बना रहता है।

पितृपक्ष (Pitru Paksha) प्रारम्भ एवं समाप्ति (End Date)

इस वर्ष 29 सितंबर 2023 से पितृपक्ष (Pitru Paksha) प्रारम्भ होगा। जो अगले 14 अक्टूबर 2023 तक चलेगा। उसी दिन पितृपक्ष (Pitru Paksha Special Mela 2023) समाप्त हो जाएगा।

जाहिर हो पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार Shradh तर्पण का विधान है। ज्ञात हो यदि किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात नहीं हो तो वैसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध फलदायक होता है। क्योंकि उस पावन दिन को सर्वपितृ श्राद्ध योग माना गया है। 

पितृपक्ष Shradh तिथियां-

पूर्णिमा श्राद्ध – 29 सितंबर 2023-

प्रतिपदा श्राद्ध – 30 सितंबर 2023

द्वितीया श्राद्ध – 1 अक्टूबर 2023

तृतीया श्राद्ध – 2 अक्टूबर 2023

चतुर्थी श्राद्ध – 3 अक्टूबर 2023

पंचमी श्राद्ध – 4 अक्टूबर 2023

षष्ठी श्राद्ध – 5 अक्टूबर 2023

सप्तमी श्राद्ध – 6 अक्टूबर 2023

अष्टमी श्राद्ध- 7 अक्टूबर 2023

नवमी श्राद्ध – 8 अक्टूबर 2023

दशमी श्राद्ध – 9 अक्टूबर 2023

एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर 2023

द्वादशी श्राद्ध- 11 अक्टूबर 2023

त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर 2023

चतुर्दशी श्राद्ध- 13 अक्टूबर 2023

अमावस्या श्राद्ध- 14 अक्टूबर 2023

पितृपक्ष का खास

  • पितृपक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से आह्लादित हो जाता है
  • इस पक्ष में श्राद्ध- तर्पण से पितर खुश होकर सुफल आर्शीवाद देते
  • पितर दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण शुभ माना जाता

श्राद्ध विधि

सुयोग्य ब्राह्मण से ही श्राद्ध कर्म (श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण)  करना चाहिए।

फल्गु गंगा नदी के तट पर श्राद्ध कर्म कराया जाता है। इसे अपने घर पर भी हर्षोल्लाष के वातावरण में किया जा सकता है। यह श्राद्ध पूजा दोपहर बाद शुरू करना चाहिए। मंत्रोच्चारण सहित पूजा पश्चात जल से तर्पण करना चाहिए। भोग में से थोड़ा भोजन गाय, कुत्ते, कौवे आदि के लिए भी निकाल देना चाहिए।

श्राद्ध पूजन का खास सामग्री

पितृपक्ष प्रारम्भ Date, Importance, विधि (Significance, method) एवं पिंड में उपयोग किए जाने वाले खास सामग्री

रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता, पान पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़, मिट्टी दीया, रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, दूध, घी, खीर, स्वांक चावल, मूंग, गन्ना आदि।

2023 Shradh- Pitru Paksha 2023 – Shradh significance and Importance

  • Shradh- Pitru Paksha 2023: इस वर्ष पितृपक्ष
  • Shradh – Pitru Paksha 2023 Date : श्राद्ध यानि पितृभक्ति माह कब से कब तक, जानें
  • Shradh/श्राद्ध की पूरी जानकारी भरा लिस्ट। पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध पिंडदान अवश्य करें

Pitru Paksha 2023 Date : यह माह पूर्वजों- पितरों का है। पितृपक्ष माह भाद्रपद मास पूर्णिमा की तिथि से शुरु होता है। और वह अश्विन मास की अमावस्या को ख़त्म होता है। जो सर्व विदित है। पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए श्राद्धकर्म करने का यह महीना होता है।

जाहिर हो श्राद्ध का व्यापक अर्थ श्रद्धा से जुड़ा है। पितृपक्ष जब प्रारम्भ आरंभ होता है तो पितरों के प्रति श्रद्धा निवेदित किया जाता है। और इस मौके पर उनसे यानि पूर्वजों का आशीर्वाद लिया जाता है। जो सुफल होता है।

मान्यता ऐसी है अगर श्राद्ध नहीं करते तो पूर्वजों की आत्मा को शांति- सदगति नहीं मिलती।

वर्ष 2023 में श्राद्ध प्रारम्भ कब से :- 

पितृपक्ष 2023 श्राद्ध तिथियां  2023 (Pitru Paksha 2023 Start Date and Time)

  • Date :                      Day: Date/Shradh:
  • 29 सितंबर 2023 शुक्रवार पूर्णिमा 
  • 29 सितंबर 2023 शुक्रवार प्रतिपदा 
  • 30 सितंबर 2023 शनिवार द्वितीया 
  • 01 अक्टूबर 2023 रविवार तृतीया 
  • 02 अक्टूबर 2023 सोमवार चतुर्थी 
  • 03 अक्टूबर 2023 मंगलवार पंचमी 
  • 04 अक्टूबर 2023 बुधवार षष्ठी 
  • 05 अक्टूबर 2023 गुरुवार सप्तमी 
  • 06 अक्टूबर 2023 शुक्रवार अष्टमी 
  • 07 अक्टूबर 2023 शनिवार नवमी 
  • 08 अक्टूबर 2023 रविवार दशमी 
  • 09 अक्टूबर 2023 सोमवार एकादशी 
  • 11 अक्टूबर 2023 बुधवार द्वादशी 
  • 12 अक्टूबर 2023 गुरुवार त्रयोदशी 
  • 13 अक्टूबर 2023 शुक्रवार चतुर्दशी 
  • 14 अक्टूबर 2023 शनिवार सर्वपितृ

Disclaimer: सिर्फ मान्यताओं एवं जानकारियों पर आधारित है, यह Report.। AnjNewsMedia मान्यता की पुष्टि नहीं करता। इसे उपयोग में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से Advice अवश्य लें, बेहतर होगा। 

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Gaya DM एवं
गया नगर निगम आयुक्त ने शुरू किया पितृपक्ष-2023 की तैयारी

DM डॉ० त्यागराजन एसएम ने शुरू की पितृपक्ष मेला- 2023 की तैयारी 

Gaya DM Thiyagarajan SM ने कहा कि पितृपक्ष मेला के पहले जो भी आवश्यक कार्य किए जाने हैं। उसे पूर्ण कराएं ताकि पितृपक्ष मेला में तीर्थ यात्रियों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत का सामना करना ना पड़े।

जाहिर हो अशोक अतिथि निवास एवं विष्णु भवन में दरवाजा, खिड़की, बाथरूम की मरम्मत तथा रंगाई पुताई हेतु पुल निर्माण निगम के अभियंता को एस्टीमेट तैयार करने का निर्देश दिया गया। 

जाहिर हो गया का पितृपक्ष मेला विश्व प्रसिद्ध मेला है। जिसे राजकीय मेला का दर्जा हासिल है। मेले के दौरान बड़ी संख्या में पिंडदानी पिंडदान के लिए यहां पहुंचते हैं। 

ज्ञात हो यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सहित Rail तथा Airport सुविधा भी है। जिससे यात्रियों को आवाजाही में कोई परेशानी नहीं होती है। 

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