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आकांक्षी ब्लॉकों- सीमावर्ती गांवों में बच्चों के अधिकार सुनिश्चित करेगा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

 महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की अनूठी पहल

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अनवरत प्रस्तुति

Delhi : महत्वकांक्षी योजना का उद्देश्य बच्चों तक विकास पंहुचाना है। जो वैधानिक- संवैधानिक अधिकारों से वंचित रह गए हैं। Top News प्रस्तुति। 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के समग्र विकास के लिए शुरू किए गए आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम (एबीपी) तथा वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम से प्रेरित होकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के द्वारा आकांक्षी ब्लॉक तथा वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत चयनित गांवो में बाल अधिकारों के उत्तम क्रियान्वयन के लिए बेंच/शिविर का आयोजन किया जा रहा है। 

उल्लेखनीय है कि भारत के प्रधानमंत्री ने आंकाक्षी ब्लॉक कार्यक्रम(एबीपी) तथा वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य विभिन्न विकास मानकों पर पिछड़े ब्लॉकों के प्रदर्शन में सुधार करना है। 

इसी कड़ी में आयोग के द्वारा इन दोनों कार्यक्रमों में अपना योगदान सुनिश्चित कर एक ऐसे वातावरण का निर्माण करने का प्रयास किया जाएगा जिसमें हर बच्चे को विकास के अवसर मिले और वह देश निर्माण में अपना योगदान दे सके।

आंकाक्षी ब्लॉकः भारत के प्रधानमंत्री ने सरकार के आंकाक्षी ब्लॉक कार्यक्रम(एबीपी) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य विभिन्न विकास मानकों पर पिछड़े ब्लॉकों के प्रदर्शन में सुधार करना है। 

आंकाक्षी ब्लॉक कार्यक्रम, आंकाक्षी जिला कार्यक्रम प्रोग्राम की तर्ज पर है जिसे 2018 में शुरू किया गया था और इसमें देश भर के 112 जिले शामिल हैं। 

प्रारंभ में कार्यक्रम 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 500 जिलों को कवर करेगा। इनमें से आधे से अधिक ब्लॉक 6 राज्यों- उत्तर प्रदेश (68 ब्लॉक), बिहार (61), मध्य प्रदेश (42), झारखंड (34), ओडिशा (29) और पश्चिम बंगाल (29) में हैं। नीति आयोग, स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण जैसे क्षेत्रों को कवर करने वाले विकास संकेतकों के आधार पर राज्यों की इन ब्लॉकों के साथ साझेदारी की प्रदर्शन की रैंकिंग (तिमाही आधार पर) जारी करेगा।

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्रामः भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लोगों की सीमावर्ती गाँव के प्रति सोच को बदला है, अब लोग इसे अंतिम गाँव के रूप में नहीं बल्कि भारत के पहले गाँव के रूप में जानते हैं।” 

यह एक ऐसी योजना है जिसका उद्देश्य उत्तरी सीमा पर ब्लॉकों के गांवों के व्यापक विकास के लिए चिन्हित सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। 

कार्यक्रम में उत्तरी सीमा पर विरल आबादी वाले सीमावर्ती गांवों, सीमित कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को शामिल करने की परिकल्पना की गई है, जो अक्सर विकास लाभ से बाहर रह जाते हैं। यह योजना आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास और आजीविका के अवसरों के निर्माण के लिए धन प्रदान करेगी। 

यह योजना भारत के सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने और जमीनी स्तर तक इसकी पहुंच को गहरा करने में मदद करेगी क्योंकि यह सहकारी समितियों को आवश्यक बुनियादी ढांचे की स्थापना और आधुनिकीकरण करने में सक्षम बनाएगी। इस योजना के तहत पांच राज्यों में कुल 2,962 सीमावर्ती गांवों को विकसित किया जाएगा। 

यह न केवल हमारी सीमाओं को सुरक्षित और सुरक्षित बनाएगा, बल्कि दूर-दराज के और सीमावर्ती गांवों को भी राष्ट्रीय मुख्यधारा में लाएगा, और उन्हें अधिक जीवंत, विकसित और आत्मनिर्भर बनाएगा।

आय़ोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया देश के सभी आकांक्षी विकास खंडों (ब्लॉक्स) और वाइब्रेंट विलेज में बच्चों की शिकायतों का निवारण कर व जोखिम ग्रस्त बच्चों के परिवारों का सरकार की योजनाओं के माध्यम से सशक्तिकरण कर बाल अधिकारों को संरक्षित करने के लिए आयोग द्वारा ब्लॉक स्तर पर बेंच आयोजित करने के निर्णय लिया गया है। इस महा अभियान का आरम्भ अमरकण्टक मध्यप्रदेश में 26 मई को पहली बेंच लगा कर किया जा रहा है। 

अंतिम पंक्ति के आख़िरी बच्चे तक पहुँचने के लिए आयोग का यह अभियान देश के सभी आकांक्षी ब्लॉकों में चलाया जाएगा जिसमें शिकायत निवारण के अतिरिक्त जोखिम ग्रस्त परिवारों को सूचीबद्ध करना, किशोरवय बालिकाओं-बालकों को मानव तस्करी के विरुद्ध जागरूक करना, स्कूल, आंगनवाड़ी बालगृह, अस्पताल इत्यादि का सुरक्षा ऑडिट व शासकीय कर्मचारियों का योजनाओं व बाल अधिकार पर उन्मुख़िकरण/समीक्षा की जाएगी।

आयोग ने बाल अधिकारों के संरक्षण की दिशा में अपनी सोच और गतिविधियों प्रभावी बनाते हुए परिवार केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर देने का काम किया है और आयोग का यह मानना है कि परिवार ही वह इकाई है जिसके सशक्तिकरण से बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जा सकता है। 

इसलिए आयोग परिवारों को इन बेंच/शिविर के माध्यम से भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही 37 योजनाओं का लाभ दिलाकर बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने का कार्य कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि आयोग के द्वारा अलग-अलग चरणों में इन ब्लॉकों और सीमावर्ती गांवो में बेंच/शिविर का आयोजन किया जाएगा। 

इस तिमाही में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना तथा तमिलनाड़ु में बेंच/शिविर का आयोजन किया जा रहा है तथा इसके उपरांत अन्य राज्यों के ब्लॉकों तथा सीमावर्ती गांवो में इसी तर्ज पर बेंच/शिविर का आयोजन किया जाएगा। इससे पहले आयोग द्वारा 55 आकांक्षी जिलों तथा 16 जनजातीय बहुल जिलों में बेंच/शिविर का आयोजन किया जा चुका है।

बेंच/शिविर के तहत ब्‍लॉक स्‍तर एवं ग्राम स्‍तर पर उपस्थित हितधारकों के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की जाएगी। बच्‍चों सहित सभी व्‍यक्ति जो बाल अधिकारों के उल्‍लंघन की रिपोर्ट करना चाहते हैं, को लिखित में जानकारी देने और राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को अपनी शिकायत प्रस्‍तुत करने का अवसर दिया जाएगा। 

इसी कड़ी में एक निर्धारित दिन बेंच/शिविर का आयोजन होगा जहां पर प्राप्त शिकायतों और आवेदन पर जिला प्रसाशन के साथ सुनवाई की जाएगी और उनका समाधान किया जाएगा।

बच्चों से संबंधित अलग-अलग विषयों पर शिकायतों का निवारण बेंच/शिविर के दौरान किया जाएगा तथा यह सुनिश्चित किया जाएगा बेंच के दिन ही ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शिकायतों का निवारण कर उनको वैधानिक और संवैधानिक अधिकार उनको मुहैया कराए जाए। 

  • बेंच/शिविर की प्रक्रिया को सरलता से समझने के लिए सम्पूर्ण प्रक्रिया को दिवस-वार शिविर/पीठ विधियों को श्रेणीबद्ध किया गया है। इसके साथ ही आयोग के द्वारा इस पूरे आयोजन के लिए एक निर्देशिका बनाई गई है जिसमें बेंच/शिविर की पूरी योजना तथा रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।
  • आयोग के बारे में: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा-3 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है। 
  • आयोग को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012, किशोर न्याय अधिनियम, 2015 तथा निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के उचित और प्रभावी क्रियान्वयन की निगरानी करने का कार्य सौंपा गया है। 
  • सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत आयोग को देश में बाल अधिकारों और संबंधित मामलों के रक्षण और संरक्षण के लिए अधिदेशित किया गया है। 
  • इसके साथ ही आयोग को सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 14 के तहत धारा-13 (1)(जे) में निर्दिष्ट किसी विषय की जांच करते समय और विशिष्ट विषयों के संबंध में वह सभी शक्तियां प्राप्त हैं, जो सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अधीन किसी वाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय को होती हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इंटर्नशिप कार्यक्रम के आवेदन आमंत्रित किए छात्राएं/विद्वान/सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक भाग ले सकेंगे  

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 03 जुलाई, 2023 से 31 अगस्‍त,  2023 की दो महीने की अवधि के लिए इंटर्नशिप कार्यक्रम के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। इसमें गैर-टियर-I शहरों और देश के ग्रामीण क्षेत्रों से छात्राएं/विद्वान/सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक भाग ले सकते हैं।  इंटर्नशिप कार्यक्रम के लिए इच्छुक उम्मीदवारों को किसी भी विश्वविद्यालय/शैक्षणिक/गैर-शैक्षणिक संस्थान में नामांकित या संबद्ध होने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम का उद्देश्य छात्राओं/विद्वानों/सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षकों को अल्पकालिक सहयोग प्रदान करके मंत्रालय की नीतियों और कार्यक्रमों से परिचित कराने में मदद करना है। (इन्हें बाद में ‘इंटर्न’ कहा गया जाएगा)। मंत्रालय की मौजूदा गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंटर्न को पायलट प्रोजेक्ट/गहन अध्ययन करने की आवश्यकता हो सकती है। मंत्रालय इंटर्न को अपने अधिदेश के गुणात्‍मक प्रदर्शन और विशिष्ट कार्यक्रमों की जानकारी के साथ-साथ नीति विश्लेषण से भी अवगत कराएगा, ताकि भविष्य में विभिन्न मंचों पर महिलाओं और बच्चों के मुद्दों को उठाने के लिए वे सक्रिय भूमिका निभा सके।

21 से 40 वर्ष की आयु के उम्मीदवार अपना आवेदन गूगल फॉर्म के माध्यम से भेज सकते हैं।

ये प्रक्रिया 20 मई, 2023, से आरंभ हो चुकी है और आवेदन 29 मई, , 2023 रात 23:59 बजे तक भेज सकते है।  इंटर्न का चयन विधिवत गठित चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर किया जाएगा। अनुशंसित उम्मीदवारों की सूची मंत्रालय की वेबसाइट पर ‘व्हाट्स न्यू’ के अंतर्गत उपलब्ध होगी। इंटर्नशिप कार्यक्रम के लिए एक बार चयनित उम्मीदवार दोबारा आवेदन का पात्र नहीं होगा।

चयनित इंटर्न को 20,000 रूपये का प्रति माह वजीफा दिया जाएगा। मंत्रालय के इस कार्यक्रम में भाग लेने और कार्यक्रम के अंत में वापसी के लिए यात्रा लागत (डीलक्स/एसी बस/3 टियर एसी ट्रेन का किराया दिया जाएगा)। इच्छुक प्रशिक्षुओं को दिल्ली में उनके कार्यक्रम की अवधि के लिए साझाकरण के आधार पर छात्रावास की सुविधा प्रदान की जाएगी। छात्रावास की सुविधा में केवल संलग्न बाथरूम (गद्दे शामिल नहीं है), टेबल, कुर्सी और अलमारी के साथ प्रत्येक कमरे में ट्रिपल शेयरिंग आवास जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल होंगी। मैस शुल्क आवास के हिस्से के रूप में शामिल नहीं हैं। छात्रावास की सुविधा का लाभ उठाने वाले इंटर्न को इसका शुल्‍क स्‍वयं वहन करना होगा।

छात्रावास की सुविधा कार्यक्रम शुरू होने के 2 दिन पहले से कार्यक्रम की समाप्ति के 2 दिन बाद तक उपलब्ध होगी (उदाहरणत: 3 जुलाई से शुरू होने वाले इंटर्नशिप बैच के लिए, छात्रावास की सुविधा 1 जुलाई, 2023 के पूर्वाह्न से 2 सितंबर, 2023 दोपहर बाद तक उपलब्ध होगी)। इंटर्नशिप कार्यक्रम के सफल समापन पर इंटर्न को प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

फॉर्म के साथ विस्तृत अधिसूचना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर देखी जा सकती है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की पहल 

मध्य प्रदेश वन विभाग और राष्‍ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को चीतों के पुनर्वास की समीक्षा, प्रगति, निगरानी करने और परामर्श देने के लिए चीता परियोजना संचालन समिति का गठन किया गया है

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने चीता टास्क फोर्स के बारे में दिनांक 22 सितंबर, 2022 को समसंख्यक कार्यालय ज्ञापन के अधिक्रमण में महानिदेशक वन और एसएस की अध्‍यक्षता में अपर मुख्य सचिव (एसीएस) मध्‍यप्रदेश सरकार के साथ आयोजित बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार चीता परियोजना संचालन समिति का गठन किया गया है।

उक्त समिति के सदस्य इस प्रकार हैं:

  • 1. डॉ. राजेश गोपाल, महासचिव, ग्लोबल टाइगर फोरम, नई दिल्ली – अध्यक्ष
  • 2. श्री आर.एन. महरोत्रा, पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक और एचओएफएफ/सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू, राजस्थान – सदस्य
  • 3. श्री पी.आर. सिन्हा, पूर्व निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून – सदस्य
  • 4. डॉ. एच.एस. नेगी, पूर्व एपीसीसीएफ वन्यजीव  – सदस्य एनटीसीए
  • 5. डॉ. पी.के. मलिक,  डब्ल्यूआईआई के पूर्व संकाय – सदस्य एनटीसीए
  • 6. श्री जी.एस. रावत, पूर्व डीन, भारतीय वन्यजीव संस्थान/सदस्य डब्ल्यूआईआई सोसाइटी, देहरादून – सदस्य
  • 7. सुश्री मित्तल पटेल, सामाजिक कार्यकर्ता, संस्थापक विचारता समुदाय समर्थन मंच (वीएसएसएम), अहमदाबाद –  सदस्य
  • 8. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन, मध्य प्रदेश – सदस्य
  • 9. प्रो. कमर कुरैशी, वैज्ञानिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून – सदस्य
  • 10. महानिरीक्षक, एनटीसीए, नई दिल्ली – सदस्य
  • 11. श्री सुभोरंजन सेन, एपीसीसीएफ- वन्यजीव – सदस्य संयोजक

अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों का परामर्श पैनल (आवश्यकता पड़ने पर सलाह देने के लिए):

प्रो. एड्रियन टॉरडिफ, पशु चिकित्सा वन्यजीव विशेषज्ञ, पशु चिकित्सा विज्ञान संकाय, प्रिटोरिया विश्वविद्यालय, दक्षिण अफ्रीका

डॉ. लॉरी मार्कर, सीसीएफ, नामीबिया

डॉ. एंड्रयू जॉन फ्रेजर, फार्म ओलिएवनबोश, दक्षिण अफ्रीका।

श्री विंसेंट वैन डैन मर्वे, प्रबंधक, चीता मेटापॉपुलेशन प्रोजेक्ट, द मेटापॉपुलेशन इनिशिएटिव, दक्षिण अफ्रीका

टास्क फोर्स के संदर्भ विषय इस प्रकार हैं:

मध्य प्रदेश वन विभाग और राष्‍ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को चीतों के पुनर्वास की समीक्षा, प्रगति, निगरानी करना और परामर्श देना।

ईको-पर्यटन के लिए चीता के आवासों का निर्माण करना और इस बारे में विनियमों का सुझाव देना।

सामुदायिक इंटरफेस के बारे में सुझाव देना और परियोजना की गतिविधियों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।

संचालन समिति दो वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी होगी और आवश्यकता पड़ने पर क्षेत्र का निरीक्षण करने के अलावा प्रत्‍येक महीने कम से कम एक बैठक आयोजित करेगी।

समिति आवश्यकता पड़ने पर किसी भी विशेषज्ञ को परामर्श के लिए आमंत्रित कर सकती है।

विशेष आवश्यकता पड़ने पर सलाह के लिए अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों के पैनल से परामर्श किया जाएगा या उन्‍हें भारत में आमंत्रित किया जाएगा।

एनटीसीए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इस समिति को कामकाज की सुविधा प्रदान करेगा।

मौजूदा नियमों के अनुसार गैर-आधिकारिक सदस्यों के यात्रा खर्च और अन्य आकस्मिक खर्च भी एनटीसीए द्वारा उठाए जाएंगे।

– Anj News Media Presentation



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