Top News | {खबरों के सम्‍प्रेषण में गति के मुकाबले सटीकता अधिक महत्वपूर्ण : केंद्रीय मंत्री अनुराग} (सोशल मीडिया के प्रसार के साथ ही फर्जी खबरों का भी हुआ प्रसार : मंत्री अनुराग) [Today Latest]- AnjNewsMedia

जिम्मेदार मीडिया संगठनों के लिए जनता का विश्वास बनाए रखना ही सर्वोच्च मार्गदर्शक सिद्धांत : अनुराग ठाकुर

Contents hide
1 जिम्मेदार मीडिया संगठनों के लिए जनता का विश्वास बनाए रखना ही सर्वोच्च मार्गदर्शक सिद्धांत : अनुराग ठाकुर

सोशल मीडिया के प्रसार के साथ ही

फर्जी खबरों का भी 
Advertisement
हुआ प्रसार : मंत्री अनुराग

Top News | {खबरों के सम्‍प्रेषण में गति के मुकाबले सटीकता अधिक महत्वपूर्ण : केंद्रीय मंत्री अनुराग} [Today Latest]- AnjNewsMedia
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर 

दिल्ली : केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने आज कहा कि प्रामाणिक जानकारी प्रस्तुत करना मीडिया की सबसे प्रमुख जिम्मेदारी है और उसे तथ्यों को सार्वजनिक क्षेत्र में डालने से पहले ठीक तरह से जांच कर लेनी चाहिए।

एशिया-पैसिफिक ब्रॉडकास्टिंग यूनियन जनरल असेंबली 2022 के उद्घाटन समारोह में संबोधित करते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि जिस गति से सूचना को प्रसारित किया जाता है वह काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन सटीकता इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है और यह बात संचारकों के मस्तिष्‍क में मुख्‍य रूप से होनी चाहिए।

Top News | {खबरों के सम्‍प्रेषण में गति के मुकाबले सटीकता अधिक महत्वपूर्ण : केंद्रीय मंत्री अनुराग} [Today Latest]- AnjNewsMedia
सोशल मीडिया के प्रसार के साथ ही
फर्जी खबरों का भी 
हुआ प्रसार : मंत्री अनुराग

उन्‍होंने कहा कि सोशल मीडिया के प्रसार के साथ- साथ ही फर्जी खबरों का भी प्रसार हुआ है। इसके लिए उन्होंने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के प्रसारकों के दर्शकों को बताया कि गैर-सत्यापित दावों से निपटने और जनता के सामने सच्चाई प्रस्‍तुत करने के लिए भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय में फेक्ट चैक यूनिट की स्थापना की है।

श्री ठाकुर ने इस बात पर जोर दिया कि जिम्मेदार मीडिया संगठनों के लिए जनता का विश्वास बनाए रखना भी सर्वोच्च मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए।

उन्होंने सार्वजनिक प्रसारकों, दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो को हमेशा सच्चाई के साथ खड़े रहने और अपनी सत्‍य और सटीक रिपोर्टिंग के लिए जनता का विश्वास जीतने के लिए श्रेय दिया।

उन्होंने स्‍पष्‍ट किया कि संकट के समय मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि त‍ब मीडिया की भूमिका सीधे तौर पर लोगों की जान बचाने से संबंधित हो जाती है और मीडिया राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजनाओं के मूल में है।

श्री ठाकुर ने कोविड-19 महामारी के दौरान घरों में फंसे लोगों की मदद करने के लिए आगे आने का श्रेय मीडिया को देते हुए कहा कि यह मीडिया ही था जिसने ऐसे लोगों को बाहरी दुनिया से जोड़े रखा।

उन्होंने दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो द्वारा विशेष रूप से किए गए बेहतर और शानदार तथा भारतीय मीडिया द्वारा आमतौर पर किए गए महत्‍वपूर्ण कार्यों के बारे में दर्शकों को सूचित करते हुए कहा कि दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो ने सार्वजनिक सेवा जारी रखते हुए बहुत ही संतोषजनक ढंग से कार्य किया और ये महामारी के समय में लोगों के साथ मजबूती से खड़े रहे।

उन्होंने कहा कि भारतीय मीडिया ने आम तौर पर यह सुनिश्चित किया कि कोविड-19 जागरूकता संदेश, महत्वपूर्ण सरकारी दिशानिर्देश और डॉक्टरों के साथ मुफ्त ऑनलाइन परामर्श के बारे में जानकारी देश के कोने-कोने तक पहुंच सके।

उन्‍होंने कहा कि प्रसार भारती ने सौ से अधिक सदस्य कोविड-19 में खो दिए, लेकिन इसके बावजूद भी इस संगठन अपनी सार्वजनिक सेवा को आगे बढ़ाना जारी रखा।

श्री ठाकुर ने मीडिया को शासन में भागीदार बनने का निमंत्रण दिया और उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इन शब्दों को दोहराने के लिए इस मंच का उपयोग किया कि “मीडिया को सरकार और जनता के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करना चाहिए और उसे राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर निरंतर फीडबैक देनी चाहिए”। 

उन्होंने यह भी आग्रह किया कि प्रसारण संगठनों के एक संघ के रूप में एबीयू को संकट के समय में मीडिया की भूमिका के बारे में सर्वश्रेष्ठ पेशेवर कौशल वाले मीडियाकर्मियों को प्रशिक्षित और समर्थ बनाना जारी रखना चाहिए और उन्‍होंने यह वादा भी किया कि भारत ऐसे सभी प्रयासों के लिए तैयार है।

एबीयू सदस्यों के साथ भारत के सहयोग और भागीदारी के बारे में चर्चा करते हुए उन्‍होंने कहा कि प्रसार भारती का शीर्ष प्रशिक्षण संस्थान एनएबीएम प्रसारण उद्योग के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन में एबीयू मीडिया अकादमी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

भारत ने लगभग 40 देशों के साथ सामग्री आदान- प्रदान, सह-उत्पादन, क्षमता निर्माण आदि के क्षेत्रों में द्विपक्षीय समझौते कर रखे हैं। इन देशों में कई सहयोगी एबीयू देश- ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, फिजी, मालदीव, नेपाल, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।

हमने कार्यक्रम साझा करने के लिए प्रसारण के क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के साथ मार्च 2022 में भागीदारी की है। दोनों देशों के प्रसारक कई विधाओं में फैले कार्यक्रमों के सह-निर्माण और संयुक्त प्रसारण में मौजूद अवसरों का भी पता लगा रहे हैं।

इस अवसर पर बोलते हुए, मसागाकी ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में एबीयू द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में प्रकाश डालते हुए क्षेत्र के सभी सार्वजनिक सेवा प्रसारकों द्वारा आपस में सार्वजनिक महत्व के समाचारों को साझा करने के लिए किए जा रहे सहयोग पूर्ण प्रयासों की सराहना की।

श्री जावद मोट्टाघी ने इस अवसर पर कहा कि यह क्षेत्र विविधता से भरा है फिर भी हम सभी सदस्य देश समानता प्राप्‍त करते हुए इतनी व्यापक विविधता में सच्ची एकजुटता प्रदर्शित करते हैं।

प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी ने अपने स्वागत भाषण में टेलीविजन और रेडियो प्रसारकों के सामूहिक हितों को बढ़ावा देने और एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रसारकों के बीच क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में एबीयू द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत वर्ष 2022 को विभिन्न क्षेत्रों में आजादी का अमृत महोत्सव पहल के माध्यम से औपनिवेशिक शासन से आजादी की 75वीं वर्षगांठ के रूप में बड़े गर्व से मना रहा है।

यह सम्मेलन मीडिया और संचार के क्षेत्र में देश की उपलब्धियों को साझा करने और दुनिया के सामने भारत की समृद्ध विरासत, विशाल विविधता और प्रगतिशील भारत का प्रदर्शन करने का भी एक शानदार अवसर है।

प्रसार भारती, भारत का लोक सेवा प्रसारक है, जो  59वीं एबीयू महासभा 2022 की मेजबानी कर रहा है। इस वर्ष की महासभा का विषय है – “लोगों की सेवा : संकट के समय में मीडिया की भूमिका”। इस महासभा का उद्घाटन आज नई दिल्ली में सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने किया।

इस अवसर पर सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन, सूचना औार प्रसारण सचिव अपूर्व चन्द्रा, एबीयू के अध्यक्ष मसागाकी सटोरू और एबीयू के महासचिव जावद मोट्टागी भी उपस्थित थे। 

एबीयू (एशिया पैसिफिक ब्रॉडकास्टिंग यूनियन) एशिया और प्रशांत क्षेत्र के प्रसारण संगठनों का एक गैर- लाभकारी, पेशेवर संघ है। चालीस देशों के 50 संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले 300 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।

‘जय भीम’ सिर्फ एक शब्द नहीं है, बल्कि एक भावना : निर्देशक था से ग्नानवेल

“मेरी फिल्म अपने वास्तविक लक्ष्य को तभी प्राप्त करेगी, जब सभी उत्पीड़ित समुदायों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाया जाएगा: था से ग्नानवेल

भविष्य में ‘जय भीम’ के सीक्वल भी आयेंगे: सह-निर्माता राजशेखर

Top News | {खबरों के सम्‍प्रेषण में गति के मुकाबले सटीकता अधिक महत्वपूर्ण : केंद्रीय मंत्री अनुराग} [Today Latest]- AnjNewsMedia

दिल्ली : किसे परम्परा से अलग हटकर कुछ नया करना कहा जा सकता है, आईएफएफआई 53 के प्रतिनिधियों को एक फिल्म के बजाय, एक भावना की स्क्रीनिंग से प्रेरित होने का एक अनूठा अवसर मिला।

हम पर विश्वास नहीं है? कानून प्रवर्तन और न्याय प्रणाली की कमियों को सामने रखने वाले और सबसे साहसी निर्देशकों में से एक, था से ग्नानवेल के शब्दों में, “लेकिन, आपको हमारी बात पर विश्वास करना होगा।“ तमिल फिल्म के बारे में निर्देशक का कहना है, “’जय भीम’ सिर्फ एक शब्द नहीं है, बल्कि एक भावना है।

इस फिल्म ने निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू प्रतिनिधियों के रोंगटे खड़े कर दिए हैं तथा उनके जीवन में परिवर्तन ला दिया है – जो सही है उसके लिए बोलना और उसके पक्ष में खड़ा होना, परिणाम चाहे जो भी हो।

Top News | {खबरों के सम्‍प्रेषण में गति के मुकाबले सटीकता अधिक महत्वपूर्ण : केंद्रीय मंत्री अनुराग} [Today Latest]- AnjNewsMedia

ग्नानवेल ने फिल्म महोत्सव के दौरान पीआईबी द्वारा आयोजित ‘टेबल टॉक्स’ सत्र में मीडिया और इस महोत्सव में शामिल प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए  इस फिल्म का शीर्षक ‘जय भीम’ रखने के पीछे के विचार को साझा किया।

उन्होंने कहा, “मेरे लिए जय भीम शब्द शोषित और हाशिये पर रहने वाले लोगों का पर्याय है, जिनके हितों के लिए डॉ. बी. आर. अम्बेडकर हमेशा खड़े रहे।”

इस फिल्म को हर तरफ से मिली अकल्पनीय प्रशंसा पर अपनी अपार खुशी व्यक्त करते हुए ज्ञानवेल ने कहा कि यह फिल्म इसलिए सभी से जुड़ सकी क्योंकि इसने एक ऐसे विषय को उठाया है, जो सार्वभौमिक है।

Top News | {खबरों के सम्‍प्रेषण में गति के मुकाबले सटीकता अधिक महत्वपूर्ण : केंद्रीय मंत्री अनुराग} [Today Latest]- AnjNewsMedia

उन्होंने कहा, “जय भीम के बाद, मैंने जातिगत भेदभाव, कानून के कार्यान्वन और न्याय प्रणाली की खामियों के बारे में ऐसी सैकड़ों कहानियां सुनीं।”

उन्होंने कहा कि वह अपनी फिल्म के माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश कर रहे हैं कि अन्याय के खिलाफ लड़ाई में संविधान ही असली हथियार है। 

जय भीम ज्वलंत मुद्दों पर खरे और पैने तेवरों वाली फिल्म है, जिसमें जनजातीय दम्पती राजाकुन्नू और सेनगनी के जीवन व संघर्षों को दर्शाया गया है। यह दम्पती ऊंची जाति वाले लोगों की मनमानी और इच्छा के अनुसार जीने पर बाध्य हैं।

ये उनके यहां घरेलू कामकाज करते हैं। फिल्म बनाने की कड़वी शैली उस समय नजर आती है, जब राजाकुन्नू को ऐसे अपराध के लिये गिरफ्तार कर लिया जाता है, जो उसने किया ही नहीं।

इसके बाद फिल्म प्रतिरोध के भयंकर क्षणों को दर्शाती है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह ताकतवर लोग, कमजोर वर्ग के लोगों को अपमानित करते हैं, उन पर जुल्म करते हैं।

सामाजिक बदलाव में सिनेमा की भूमिका के बारे में ग्नानवेल ने कहा कि वैसे फिल्म में एक मसीहा है, जो शोषित लोगों के लिये लड़ता है, लेकिन उनकी फिल्म का संदेश महान विद्वान बी.आर. अम्बेडकर के विचारों को ध्वनित करती है कि शिक्षा ही एकमात्र जरिया है, जिससे लोग अधिकार-सम्पन्न हो सकते हैं।

ग्नानवेल ने कहा, “वास्तविक जीवन में कोई महानायक नहीं होता। शिक्षा के जरिये शक्तिसम्पन्न बनकर व्यक्ति खुद अपना महानायक बनता है। मेरी फिल्म का उद्देश्य उसी समय पूरा होगा जब सारे शोषित अधिकार-सम्पन्न हो जायेंगे।”

यह फिल्म न्यायमूर्ति के. चंद्रू के जीवन की असली घटना पर आधारित है, जिन दिनों वे वकालत करते थे। उनकी भूमिका प्रसिद्ध अभिनेता सूर्या ने निभाई है।

फिल्म में उसकी विषयवस्तु ही असली नायक है। इसके बारे में ग्नानवेल ने कहा कि अगर विषयवस्तु जीवंत होगी, तो लोग उसी तरह फिल्म बनायेंगे जैसा रचनाकार चाहता है। बाद में सब-कुछ ठीक-ठाक होता जायेगा।

उल्लेखनीय है अभिनेता सूर्या ने जो गैर-सरकारी संस्थान अग्राम फाउंडेशन बनाया है, उसके पीछे की प्रेरणा निर्देशक ग्नानवेल हैं। इस पर प्रकाश डालते हुये फिल्म के सह-निर्माता राजशेखर के. ने कहा कि ग्नानवेल ने अपना करियर पत्रकार और लेखक के रूप में शुरू किया था।

वे वर्षों तक वंचित लोगों के लिये काम करते रहे। उन्होंने कहा, “फिल्म बनाने के लिये सूर्या से संपर्क किया गया था। उन्होंने एक बार कहानी सुनी तो उन्होंने फिल्म में काम करने की इच्छा व्यक्त की। यह हमारे लिये बहुत अचरज की बात थी।”

फिल्म बनाने की ईमानदार कोशिश और इरुला जनजाति के लोगों को फिल्म में शामिल करने के बारे में राजशेखर ने कहा कि मणिकंदन और लिजोमोल जोस जैसे कलाकारों ने राजाकुन्नू व सेनगनी की भूमिका निभाई है। ये दोनों जनजातीय समुदाय के जीवन को करीब से देखने के लिये उनके साथ 45 दिनों तक रहे थे।

‘जय भीम’ फिल्म के प्रशंसकों को बहुत खुश करने वाली खबर सुनाते हुए राजशेखर ने कहा कि ‘जय भीम’ के सीक्वल निश्चित रूप से बनेंगे। उन्होंने कहा, “चूंकि इसे लेकर बातचीत शुरू हो चुकी है इसलिए वे पाइपलाइन में हैं।”

अभिनेता लिजोमोल जोस, जिन्हें मुख्य रूप से मलयालम फिल्मों के लिए जाना जाता है, उन्होंने कहा कि असली चुनौती तमिल भाषी इरुला का किरदार निभाने की थी। उन्होंने बताया, “मेरे क्राफ्ट को निखारने के लिए आदिवासी समुदाय के साथ हमारा रहना महत्वपूर्ण साबित हुआ।”

अभिनेता मणिकंदन जो इस बातचीत में उपस्थित थे, उन्होंने कहा कि ये फिल्म उन्हें काफी अप्रत्याशित रूप से मिली। कैसे इस फिल्म ने उन्हें खुद को बदलने में मदद की और उनके अंदरूनी विकास में मदद की, इसे साझा करते हुए इन अभिनेता ने कहा, “मैं ऐसे लोगों से मिला और उनके साथ रहा जो ये सोचते हैं कि उनके पास दुनिया में सब कुछ है, जबकि उनके पास हमारे जैसी कोई भी भौतिक चीजें नहीं थीं।”

इफ्फी-53 में ‘जय भीम’ की स्क्रीनिंग इंडियन पैनोरमा फीचर फिल्म्स सेक्शन के तहत की गई थी।

भारतीय फिल्म निर्देशक और लेखक था से ग्नानवेल तमिल फिल्म उद्योग में काफी प्रसिद्ध हैं और जय भीम के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं। उनके निर्देशन की पहली फिल्म कूटथिल ओरुथन (2017) थी।

2डी एंटरटेनमेंट एक पुरस्कार विजेता भारतीय फिल्म निर्माण और वितरण कंपनी है, जिसमें अभिनेता, निर्माता और प्रस्तुतकर्ता सूर्या ने राजशेखर पांडियन, ज्योतिका और कार्थी के साथ कई ब्लॉकबस्टर हिट किए हैं।


उत्कृष्ट शिल्पकारों को मिला शिल्प गुरु एवं राष्ट्रीय पुरस्कार

Top News | {खबरों के सम्‍प्रेषण में गति के मुकाबले सटीकता अधिक महत्वपूर्ण : केंद्रीय मंत्री अनुराग} [Today Latest]- AnjNewsMedia

दिल्ली : वर्ष 2017, 2018 और 2019 के लिए 30 शिल्प गुरु पुरस्कार और 78 राष्ट्रीय पुरस्कार आज यहां नई दिल्ली में उत्कृष्ट शिल्पकारों को प्रदान किए गए जिनमें से 36 महिलाएं हैं। इन पुरस्कारों का मुख्य उद्देश्य शिल्प कौशल में उनकी उत्कृष्टता और भारतीय हस्तशिल्प एवं  वस्त्र क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान के लिए मान्यता देना है।

शिल्प गुरु पुरस्कार उत्कृष्ट शिल्प कौशल, उत्पाद उत्कृष्टता और पारंपरिक विरासत के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में अन्य प्रशिक्षु कारीगरों को शिल्प की निरंतरता में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका के लिए सिद्धहस्त हो चुके उत्कृष्ट शिल्पकारों को प्रदान किए जाते हैं।  इन पुरस्कारों को 2002 में भारत में हस्तशिल्प के पुनरुत्थान की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए शुरू किया गया था।

पुरस्कार में एक सोने का सिक्का, 2.00 लाख रुपये की पुरस्कार राशि, एक ताम्रपत्र, एक शॉल और एक प्रमाण पत्र शामिल है। वर्ष 2017, 2018 और 2019 के लिए 30 शिल्प गुरुओं का चयन किया गया है, जिनमें से 24 पुरुष और 06 महिलाएं हैं।

शिल्प की विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट शिल्प कौशल के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार वर्ष 1965 से प्रदान किए जा रहे हैं। जिन मुख्य शिल्पों के लिए पुरस्कार दिए गए हैं उनमें धातुओं पर नक्काशी, चिकन पर हाथ से कढ़ाई (हैंड एम्ब्रायडरी), खुर्जा की ब्लू पॉटरी, माता नी पछेड़ी कलमकारी, बांधनी, बंधेज की रंगाई (टाई एंड डाई),  बाघ छपाई का हैंड ब्लॉक (हैंड ब्लॉक बाग प्रिंट), वारली आर्ट,  संगमरमर प्रस्तर-धूलि (स्टोन डस्ट) से चित्रकारी, सोजनी हस्त कढ़ाई,  पक्की मिटटी से बनी मूर्तियाँ (टेराकोटा), तंजौर पेंटिंग, शोलापीठ, कांथा हाथ की कढ़ाई, ताड़ के पत्ते की नक्काशी, लकड़ी पर पीतल के तार की जड़ाई, लकड़ी की तारकाशी, मधुबनी चित्रकला, स्वर्णपत्र की चित्रकला एवं पुआल शिल्प आदि शामिल हैं। 

इस पुरस्कार में 1.00 लाख रुपये की पुरस्कार राशि, एक ताम्रपत्र, एक शॉल और एक प्रमाण पत्र शामिल है। वर्ष 2017, 2018 और 2019 के राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए 78 शिल्पकारों का चयन किया गया है, जिसमें 02 डिजाइन इनोवेशन पुरस्कार शामिल हैं जिसमें एक डिजाइनर और हस्तशिल्पी किसी एक अद्वितीय उत्पाद बनाने के लिए सहयोग करते हैं। 

पूर्व आईएएस अधिकारी प्रीति सूदन ने संघ लोक सेवा आयोग की सदस्य के रूप में पद- गोपनीयता की ली शपथ 

Top News | {खबरों के सम्‍प्रेषण में गति के मुकाबले सटीकता अधिक महत्वपूर्ण : केंद्रीय मंत्री अनुराग} [Today Latest]- AnjNewsMedia

दिल्ली : पूर्व आईएएस अधिकारी श्रीमती प्रीति सूदन ने आज दोपहर संघ लोक सेवा आयोग के मुख्य भवन के केन्द्रीय कक्ष में संघ लोक सेवा आयोग की सदस्य के रूप में पद- गोपनीयता की शपथ लीं। संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. मनोज सोनी ने उन्हें यह शपथ दिलाई।

वर्ष 1983 बैच की एपी कैडर की आईएएस अधिकारी श्रीमती प्रीति सूदन जुलाई, 2020 में केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुईं। उन्होंने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और महिला एवं बाल विकास तथा रक्षा मंत्रालय में सचिव के रूप में भी कार्य किया। श्रीमती प्रीति सूदन अर्थशास्त्र में एम.फिल और एलएसई से सामाजिक नीति एवं योजना में एमएससी हैं।

उनके उल्लेखनीय योगदानों में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवर आयोग और ई-सिगरेट पर प्रतिबंध से संबंधित कानून के अलावा देश के दो प्रमुख प्रमुख कार्यक्रमों यानी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ और ‘आयुष्मान भारत’ की शुरुआत करना शामिल है।

श्रीमती सूदन विश्व बैंक में सलाहकार भी रहीं। उन्होंने तम्बाकू नियंत्रण पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन के कॉप-8 की अध्यक्ष, मातृ, नवजात एवं बाल स्वास्थ्य के लिए साझेदारी की उपाध्यक्ष, वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य भागीदारी की अध्यक्ष और महामारी से निपटने की तैयारी एवं उसके खिलाफ प्रतिक्रिया के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वतंत्र पैनल की सदस्य के रूप में भी कार्य किया।

– AnjNewsMedia Presentation 

Leave a Comment

You cannot copy content of this page

error: Content is protected !!