गया, 15 सितम्बर (अंज न्यूज़ मीडिया) Vishwakarma Scheme शिल्पकारों के उत्थान की योजना है। PM की यह पहल बेहद सराहनीय है। प्रधानमंत्री 17 सितंबर, 2023 को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए ‘पीएम विश्वकर्मा’ का शुभारंभ करेंगे। उस दिन सृष्टिकर्ता जगतगुरू विश्व शिल्पी भगवान बाबा विश्वकर्मा की जयंती का महान पावन दिवस है। जो ऐतिहासिक दिवस है। शिल्पकारों का जीवन अब फूल की भांति खिलखिला उठेगा।
Vishwakarma Scheme | यह योजना पारंपरिक शिल्प में लगे लोगों को सहायता और कौशल प्रदान करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित

जाहिर हो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर 17 सितंबर, 2023 को प्रात: लगभग 11 बजे नई दिल्ली के द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर पर “पीएम विश्वकर्मा” नाम से एक नई शानदार ! जबर्दस्त योजना का शुभारंभ करेंगे।
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प्रधानमंत्री का पारंपरिक शिल्प में लगे लोगों को सहायता प्रदान करने पर निरंतर ध्यान केन्द्रित रहा है। यह फोकस न केवल कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करने बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और विविध विरासत को जीवित और समृद्ध बनाए रखने की इच्छा से भी प्रेरित है।

पीएम विश्वकर्मा’ का व्यापक दायरा – इसमें अठारह शिल्पों को शामिल किया जाएगा

पीएम विश्वकर्मा को 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा। इस योजना के तहत, बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से विश्वकर्माओं का निःशुल्क पंजीकरण किया जाएगा।
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‘पीएम विश्वकर्मा’ को 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केन्द्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा’
उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान-पत्र, मूलभूत और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी ।
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विश्वकर्माओं को कौशल उन्नयन के लिए ऋण सहायता और प्रशिक्षण भी दिया जाएगा
इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले विश्वकर्माओं द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित प्रथा को सुदृढ़ बनाना और पोषित करना है।
पीएम विश्वकर्मा का मुख्य फोकस कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत हों।

पीएम विश्वकर्मा प्रमाण-पत्र और पहचान-पत्र के माध्यम से विश्वकर्माओं को मान्यता प्रदान की जाएगी
यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा।
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इस समाज के लोग अब प्रगति के पथ पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ेंगे। जिससे विकसित होने का सुनहरा अवसर मिलेगा। उनका जीवन स्तर ऊपर उठेगा। जो तरक्की की ऐतिहासि दास्ताँ लिखेगी।
जिस अवसर की तलाश थी, वह सुहाना अवसर का शुभ दिन आ गया। जिससे शिल्पकारों की बांछें खिल उठा है। जो अच्छे दिन का अहसास करता है। अब उनके चिरप्रतीक्षित सपने पूरे होंगे।
इनमें (i) बढ़ई; (ii) नौका निर्माता; (iii) शस्त्रसाज; (iv) लोहार; (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (vi) ताला बनाने वाला; (vii) सुनार; (viii) कुम्हार; (ix) मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला; (x) मोची (जूता/जूता कारीगर); (xi) राजमिस्त्री; (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर; (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (xiv) नाई; (xv) माला बनाने वाला; (xvi) धोबी; (xvii) दर्जी; और (xviii) मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला शामिल हैं।