Wazirganj | {रिश्वतखोर Wazirganj Block} | [TopNews]

Wazirganj | {रिश्वतखोर Wazirganj Block} | [TopNews]- Anj News Media

गया, 03 जुलाई (अंज न्यूज मीडिया) बिहार सूबे के गया जिले के Wazirganj Block रिश्वतख़ोरी में अव्वल है। 

वगैर घूस के इस ब्लॉक में कोई कार्य नहीं होता। वहां की रिश्वतख़ोरी से आमजन त्रस्त हैं। 

वहां की घूस की चर्चा चौक- चौराहों पर होती। जिस पदाधिकारी की पोस्टिंग यहां होती है। 

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वह जनता को लूट कर चला जाता है। यहाँ की रिश्वत की परत बहुत मोटी है। 

रिश्वत की गहरी कमाई से इस ब्लॉक के साहब मोटे हो गए हैं। यहाँ की घूसखोरी की चर्चित सुर्ख़ियाँ DM से लेकर CM तक पहुँचीं है। 

सुशासन के नाम पर होती है घूसखोरी: 

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ज्ञात हो इस ब्लॉक के BDO का काला करतूत सरकारी खाते में स्वर्णाक्षरों में लिखा जा चूका है। 

यहाँ की सरकारी योजनाओं में घूसखोरी की प्रतिशत बहुत ही मोटी है। यही वजह है कि आधी- अधूरी में ही योजना दम तोड़ देती है। साहब ! सुशासन के नाम पर घूसखोरी की धंधा करते अघाते नहीं। इस प्रखंड कार्यालय में घूसखोरी की जम कर धंधेबाजी होती है।

घूसखोरी ! लूटखोरी में बदली:

वह मोटी घूसखोरी ! अब लूटखोरी में तब्दील हो गई है। जिससे यहाँ की जनता तंग है ही, त्रस्त भी। 

जाहिर हो सीएम नीतीश कुमार देश के गरीबों के दर्द को बाँटने के लिए तत्पर हैं परंतु सरकारी लोग बाधक बन जाते हैं। शायद, ऐसी घोर भ्रष्टाचार की कल्पना सीएम श्रीकुमार भी नहीं किए होंगे। परंतु धरातल पर रिश्वतखोरी जम कर हावी है ! जारी है। वजीरगंज ब्लॉक इसमें अव्वल है। यहां के अधिकारी बेलगाम हैं। उनके काले करतूत की चर्चा सुर्खियों में है। 

जाहिर हो यह ब्लॉक गया जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर की दूरी पर NH-82 गया- नवादा मुख्य सड़क पथ पर अवस्थित है। घूसखोरी के मामले में Top Position पर है Wazirganj Block के पदाधिकारी एवं कर्मी। जाहिर हो यहाँ के KC (कर्मचारी) दलाल बहाल किये हुए है। जिससे रिश्वतख़ोरी का माल वसूली का कार्य कराता है। ताकि वह निगरानी विभाग की फंदे में ना फँसे। ऐसे होती है घूसखोरी की धंधेबाजी।

News Analysis: वजीरगंज प्रखंड की घूसखोरी ! लूटखोरी में बदली

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सूबे बिहार के वजीरगंज प्रखंड में भ्रष्टाचार की सुर्खियां आमजनों में छायी हुई है। भ्रष्टाचार से लोग त्रस्त हैं। मोटी कमीशन की कमाई से पदाधिकारी मोटे हो गए हैं। वगैर घूसखोरी का कोई कार्य नहीं होता है।

ऐसी दास्तां इस ब्लॉक की है। निरंतर आमजनों से रिश्वतखोरी की शिकायत मिलती रहती है। जाहिर हो यहां की घूसखोरी की शिकायत DM तक पहुंची है।

 और उस मसले पर DM स्तर से कार्रवाई भी हुई। यह ज़मीनी हक़ीक़त है।

अधिकारी दोनों हाथ से माल बटोर रहे:

इस प्रखंड के अधिकारी दोनों हाथ से माल बटोर रहे हैं। PM आवास योजना बड़ा उदाहरण है। मालोमाल बनने की रिश्वतखोरी की सितारा चमक उठी है।

 ऊपरी कमाई से साहब मस्त हैं। भ्रष्टाचार ! उनके खून में समा गया है। वगैर रिश्वत की कलम डोलती नहीं। वे रूपया छापे चल रहे हैं और लोग उनके भ्रष्टाचार से तबाह हैं।

चर्चित चर्चा सुर्खियों में: 

चर्चा ऐसी है कि वेतन से ज्यादा उनकी ऊपर कमाई है। उस मोटी काली कमाई के सामने उनका सरकारी वेतन फ्लॉप है। साहब की ऊपरी कमाई का कोई ठिकाना नहीं। अब तो सुशासन के नाम पर होती है रिश्वतखोरी। बात ऐसी है रिश्वत में ही सुशासन समा गया है। 

यहां की रिश्वतखोरी की भनक निगरानी विभाग को भी लग गई है। आज ना तो कल ! रिश्वतखोर अधिकारी जाल में फंसेगा। वो दिन अब दूर नहीं। 

गरीबों के PM आवास योजना आधे- अधूरे में दम तोड़ देता। उसका मुख्य वजह है भ्रष्टाचार।

इस ब्लॉक में आय, आवासीय, जाति, दखिलखारिज, म्यूटेशन, परिमार्जन, भूमि संबंधी मामला सहित सरकारी योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है। रिश्वत के वगैर कोई काम ही नहीं होता। फाइल दबाए रखना उनकी आदत हो गई है। जिससे आमजनों में बेहद नाराजगी है। बेचारी जनता ! आखिर करे तो किया करे। वगैर रिश्वत के कोई अधिकारी सुनता ही नहीं। 

भ्रष्टाचार की दास्तां ऐसी है पीएम आवास योजना की सूची में नाम दर्ज करने के लिए लिया जाता है नक़दी 3 हजार से 5 हजार रूपया। भ्रष्टाचार भी हल्का- फुल्का नहीं, बड़ा भ्रष्टाचार। 

एक कॉलोनी निर्माण के लिए लाभूकों से लिया जाता है तकरीबन 60 हजार। इसके साथ- साथ बिचौलियों की भी होती साझेदारी। ईंट जो सबसे घटिया क़िस्म की होती है। उसी का उपयोग पीएम आवास योजना के निर्माण में किया जाता है।

गरीबों की योजना के नाम पर महल- अटारी वाले ले लेते हैं पीएम आवास। नाम गरीब का परंतु आवास बन जाती है महल- अटारी वाले अमीरों के। 

इस शिकायत पर अब थोड़ी ब्रेक लगी है। क्योंकि DM की इस पर कड़ी निगरानी थी।  डीएम ने साफ शब्दों में हिदायत दी थी कि झुग्गी- झोपड़ी वाले गरीब छूटे नहीं। तो गरीबों की हक बची। 

वास्तव में, झोपड़ी- मड़ैय में रहने वाले आज आवास के लिए तरसते, तड़पते और बिलखते हैं। जो सही हक़दार है, वह लाभ से वंचित ही रह जाता है। धांधली पर लगाम लगी है परंतु बहुत बड़ी लगाम नहीं लगी है। 

ऐसी घोर भ्रष्टाचार गरीबों के लिए रोड़ा बन चूका है। गरीबों के कल्याणकारी योजना में ऐसे होती है लूट। गरीबों की हक इस तरह मारी जाती है। 

इस तरह की भ्रष्टाचार की आवाज वजीरगंज प्रखंड में सुनने को मिलता है। जिसमें सच्चाई छुपी होती है परंतु अधिकारी उसे छुपाते हैं। बेबस, लाचार गरीब लोग आँख फ़ार कर देखता रह जाता है। क्योंकि उस बेचारे के पास कोई चारा नहीं। 

जगज़ाहिर है वजीरगंज प्रखंड में कुल 17 ग्राम पंचायत है। वहां PM आवास योजना में होड़ मची। दलालों की भी चाँदी कट रही है। वजीरगंज प्रखंड के साहब और बिचौलिया की मिलीभगत भी काफी सुर्खियों में है। 

साहब ! बिचौलिए के सहारे रिश्वत उगाही करते हैं। दलालों के तालमेल से साहब सिनातान कर चलते हैं। क्योंकि लोग उन्हें घूसखोर ना कह दे। इस आरोप से वे डरते भी हैं। कहीं माजरा खुल ना जाए।

दलालों के माध्यम से पदाधिकारी ऊपरी कमाई करते अघाते नहीं। सच्चाई की दास्तां ऐसी है कि एक- एक कॉलोनी के लाभुकों से 40 से 60 हजार तक नज़राना वसूली जाती है। 

लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में PM आवास योजना की राशि आते हीं, उस राशि को बैंक से निकाल कर BDO साहब को भेंट की जाती है। कमीशन की, जो प्रतिशत तय होती है, वह राशि साहब को इस तरह से मिल जाती है। और उनकी हो जाती है बलेबले।

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