बिहार में डबल इंजन की सुशासन फिर भी पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार
गरीबों के कॉलोनी के कोड पर बन जाता है किसी औरों के घर में कॉलोनी
भ्रष्टाचार में अव्वल वजीरगंज प्रखंड
प्रधानमंत्री आवास योजना में पदाधिकारी और मुखिया की बलेबले
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यह कल्याणकारी योजना है गरीबों के लिए लेकिन ले रहे कोठा- अटारी वाले
ना जानूँ, बिहार के सुशासन में कब आएगा भ्रष्टाचार से मुक्ति का अच्छे दिन
Wazirganj Block Scan by Aksharjeevi
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बिहार के डबल इंजन की सरकार में भी पीएम आवास योजना के नाम पर भारी भ्रष्टाचार |
बिहार सूबे के गया जिले के वजीरगंज प्रखंड में भ्रष्टाचार की जय हो। यहाँ भ्रष्टाचार को गर्मजोशी से स्वागत करते हैं पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि। क्योंकि आजकल वे दोनों हाथ से माल बटोर रहे हैं। जी हाँ, पीएम आवास योजना में खुली छूट है मालोमाल बनने की। ऊपरी कमाई इतनी की साहब और जनप्रतिनिधि एकदम मग्न लूटने में, भ्रष्टाचार के अलावे उन्हें कुछ भाता ही नहीं। वे लोग दोनों हाथ से रूपया बटोरते चल रहे हैं। भ्रष्टाचार से उनकी कमाई वेतन से भी ऊपर हो गया है। उनके काले कमाई के सामने उनका सरकारी वेतन फ़ेल है। उनकी ऊपरी कमाई अंठेल है। यही वजह है कि उनकी संपत्ति आय से अधिक हो चुका है।
जबकि असलियत यह है कि गरीबों के पीएम आवास योजना आधे- अधूरे में दम तोड़ देता है। उसका एक हीं मुख्य कारण है भ्रष्टाचार।
भ्रष्टाचार का खेल ऐसा है कि पीएम आवास योजना की सूची में नाम दर्ज करने के लिए लिया जाता है नक़दी 3 हजार से 5 हजार रूपया। भ्रष्टाचार भी हल्का- फुल्का नहीं, बड़ा भ्रष्टाचार। एक कॉलोनी निर्माण के लिए लाभूकों से लिया जाता है। तकरीबन 60 हजार रूपया। इसके साथ- साथ बिचौलियों की भी बलेबले होता है। ईंट जो सबसे घटिया क़िस्म की होती है उसी का उपयोग पीएम आवास योजना के निर्माण में किया जाता है। गरीबों की योजना के नाम पर महल- अटारी वाले को कॉलोनी दे दिया जाता है। नाम होता है गरीब का परंतु कॉलोनी मिल जाती महल वाले अमीरों को ! क्योंकि उनकी पहुँच होती है पदाधिकारी और मुखिया तक। ऐसे गरीबों की हक मारी जाती है। वास्तविक झोपड़ी- मड़ैय में रहने वाले कॉलोनी के लिए तरसते, तड़पते और बिलखते रह जाते हैं। जो कॉलोनी का सही हक़दार है, वह तो लाभ से वंचित ही रह जाता है। कॉलोनी की रूपया की बंदरबाँट हो जाता है और लाभार्थियों के कॉलोनी निर्माण से रह जाता है वंचित। ऐसी घोर भ्रष्टाचार सुन कर कलेजा दहल जाता है। गरीबों के कल्याणकारी योजना की ऐसे लूट होती है। इस तरह गरीबों की हक मारी जाती है।
घोर भ्रष्टाचार का अड्डा बना है वजीरगंज प्रखंड। पैरवी पर चलता है कॉलोनी देने का काम। गरीबों के कॉलोनी रूपी कोड पर बनाया जाता है सुखी- संपन्न अमीरों के घर में पीएम आवास। गरीबों के कोड पर अमीरों के घर में बन जाती कॉलोनी और बेबस, लाचार गरीब लोग आँख फ़ार कर देखता रह जाता है। आँखों में सपने लिए वह निहारता रह जाता है। क्योंकि उस बेचारे के पास कोई चारा नहीं।
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वजीरगंज प्रखंड, गया, इंडिया |
जगज़ाहिर है वजीरगंज प्रखंड में कुल 17 ग्राम पंचायत है। वहां प्रधानमंत्री आवास योजना में होड़ मची हुई है। इन दिनों दलालों की भी चाँदी कट रही है। वजीरगंज प्रखंड में बिचौलियों की बाढ़ आ गई। कॉलोनी के कार्य मे जुटे पदाधिकारी, मुखिया और दलालों का तालमेल रहता है। उन्हीं दलालों के जरीय पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों की ऊपरी कमाई होती है। उनके सांठगांठ से पंचायत में कॉलोनी आवंटित होता है। एक- एक कॉलोनी के लाभुकों से 40 से 50 हजार नज़राना वसूला जाता है। लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में कॉलोनी की राशि आते हीं उस राशि की बँटवारा पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि के बीच हो जाती है। जो प्रतिशत तैय होता है, उसके हिसाब से राशि उन तक पहुँच जाता है। उनकी आय इस तरह बढ़ती है। ऐसे होती है भ्रष्टाचार है। जिसमें गोता लगा रहे हैं पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि। उन्हीं के सहारे बिचौलिया चाँदी कटता है। इस तरह आवास योजना में लूट मची है। गरीबों के सपने को चकनाचूर किया जा रहा है। गरीबों के लिए, उनकी खुशहाली के लिए, बरसात के दिनों में दीन- हीन गरीबों के घर टपटप टपकते बरसा के पानी को टपकने से रोकने के लिए, उनके घर सुरक्षित छत के लिए, पीएम मोदी जो स्वप्न देखे, वह धरातल पर उतर तो रहा है परंतु भ्रष्टाचार के साथ।
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गरीब मसीहा पीएम मोदी के सपने ! वे देश को बनाना चाहते हैं चकाचक |
गरीब मसीहा पीएम मोदी के सपने को धरासाई करने में जुटे हैं पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधि। जबकि बिहार में डबल इंजन वाली सरकार की सुशासन है फिर भी सुशासन की कोई असर भ्रष्टाचारियों पर नहीं हैं। यही वजह है कि भ्रष्टाचारी बेख़ौफ़ भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं। गरीबों के कॉलोनी के कोड पर बन जाता है औरों के घर में कॉलोनी। जिससे गरीबों में भारी नाराजगी व्याप्त है।
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कॉलोनी से वंचित डुमरावां गांव की महिला |
कॉलोनी से वंचित गरीब कहते हैं- का कहें बाबू, हम्मरा रहे के ठिकाना नहीं है। घर गिरा हुआ है। सो हमे कॉलोनी नहीं मिला है। बहुत दुख है पत्रकारबाबू। कुछु कीजिए। कॉलोनी देवे ले धूस में रूपया खोजता है। हम कहाँ से देंगे। हमको तो रहने का घर नहीं, दाने- दाने का मोहताज हूँ। कैसे बनेगा कॉलोनी। पीएम मोदी तो भलाई कर रहे हैं, लेकिन यहाँ के लोग घूस खोजता है। हम कहाँ से देंगे। सुशासन में भी ऐसी हृदय विदारक दास्ताँ है दीन- हीन गरीब- गुरुआ की। जब की पीएम मोदी की आवास योजना गरीबों के लिए वरदान सा है। लेकिन गरीब मसीहा पीएम की उस कल्याणकारी योजना में भ्रष्टाचारी मोटी रक़म के फेरे में रोड़ा बन कर खड़ा है। बिहार प्रदेश के डबल इंजन की सरकार भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने में विफल है। जो देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। भला ऐसे में, देश तरक्की कैसे करेगा। भ्रष्टाचार के फेरे में पदाधिकारी का मानवता मर गया है।
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बहुत आरजू विनती की नहीं मिला कॉलोनी : डुमरावां गांव की बुजुर्ग महिला की दास्ताँ |
पीएम मोदी देश के गरीबों के दर्द को बाँटना चाहते हैं परंतु सरकारी लोग और जनप्रतिनिधि ही बन जाते हैं रोड़ा। जो बेहद पीड़ाजनक है। शायद, ऐसी घोर भ्रष्टाचार की कल्पना प्रधानमंत्री दामोदर दास नरेन्द्र मोदी भी नहीं किये होंगे। परंतु धरातल पर वही क़ायम है। ज़मीनी हक़ीक़त यही है।
भला, ऐसे भ्रष्टाचार की आलम में हमारा देश समृद्ध कैसे होगा। भला ऐसे में, कैसे होगा गरीबों के सपने पूरे। ना जानूँ, बिहार के सुशासन में कब आएगा भ्रष्टाचार से मुक्ति का अच्छे दिन।
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Ashok Kumar Anj Screenplay Writer World Record Journalist, India |
व्यंग्यकार- अक्षरजीवी,
अशोक कुमार अंज
वर्ल्ड रिकार्ड्स जर्नलिस्ट
(फिल्मी पत्रकारबाबू)
मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी (सीईओ)- अंजन्यूजमीडिया
गया, इंडिया