कोरोना से बचाव के लिए कोविड -19 अधिनियम


कोरोना बचाव के लिए कोविड -19
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स्वास्थ्य विभाग बिहार सरकार के जारी अधिसूचना के द्वारा कोविड 19 की विभिन्न धाराओं के आलोक में सभी संबंधित पदाधिकारी एवं कर्मी के लिए कई निर्देश जारी किए गए हैं।
जारी आदेश में कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति जो 29 फरवरी 2020 के पश्चात कोरोना वायरस से ग्रसित देशों या शहरों से यात्रा करके वापस आए हैं उनकी सूचना निकटतम अस्पताल एवं विभागीय टोल फ्री नंबर 104 पर दिया जाना है, ताकि संबंधित संदिग्धों का आवश्यक जांच एवं आवश्यकतानुसार उपचार समय से सुनिश्चित किया जा सके।
वैसे व्यक्ति जो 19 फरवरी 2020 के उपरांत कोरोना वायरस से ग्रसित शहरों से यात्रा करके वापस आए हैं परंतु बुखार खांसी सांस लेने में परेशानी की शिकायत नहीं है उन्हें भी 14 दिनों तक घरेलू सदस्यों के साथ दूरी बनाकर होम आइसोलेशन रखा जाए।

कोरोना से बचाव के लिए कोविड -19 अधिनियम, AnjMedia
कोरोना से बचाव अति आवश्यक : डीएम की जागरूकता

वैसे व्यक्ति जो 29 फरवरी 2020 के उपरांत कोरोना वायरस से ग्रसित शहरों से यात्रा करके वापस आए हैं। उनको आइसोलेट करने एवं आवश्यकतानुसार भर्ती कर उपचार हेतु कोविड -19 अधिनियम की धारा के अंतर्गत प्राधिकृत अधिकारी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होंगे।
कोरोना वायरस के संदिग्ध व्यक्तियों द्वारा आइसोलेशन या उपचार से मना करने पर अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत प्राधिकृत अधिकारी द्वारा जबरन इलाज के साथ ही अधिनियम की सुसंगत धाराओं के अधीन कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अधिनियम की धारा 12 के प्रावधान के अंतर्गत किसी भी परिवार में कोरोना संक्रमण के संदिग्धों जिनसे अन्य लोगों को खतरा हो सकता है उसके अंतर्गत सर्विलांस की टीम जाकर उनकी जांच इत्यादि कर सकती है। इसके लिए संबंधित संस्थान के मालिक एवं संदिग्ध को सूचना के आलोक में सर्विलांस टीम के साथ सहयोग प्रदान करेंगे। सर्विलांस टीम द्वारा जांच के दौरान संदिग्धों को होम क्वॉरेंटाइन या आइसोलेशन क्वॉरेंटाइन का निर्णय लिया जा सकता है।
यह आवश्यक है कि जिला अंतर्गत सभी सरकारी, गैर सरकारी पंजीकृत चिकित्सक, आयुष चिकित्सकों सहित की यह जिम्मेदारी होगी कि वह कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों से self-declaration प्रपत्र जिसमें उनकी यात्रा से संबंधित सूचना का जिक्र हो को भरवा कर सर्विलांस यूनिट को उपलब्ध कराएंगे।
किसी संदिग्ध व्यक्ति के प्राधिकृत प्रतिनिधियों द्वारा यदि जांच उपचार आइसोलेशन इत्यादि आवश्यक कार्रवाई से इनकार किया जाता है, तो दंडाधिकारी या उनके प्राधिकृत दंडाधिकारी के द्वारा उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के साथ ही उपचारात्मक कार्रवाई जारी रखी जाएगी। नाबालिगों की स्थिति में यह निर्देश उनके अभिभावक या व्यस्त परिवारिक सदस्यों को प्रेषित की जाएगी।
कोरोना वायरस के संदर्भ में सरकार द्वारा अभी तक जारी होने वाली एडवाइजरी को इसी अधिनियम के तहत मानकर कार्रवाई की जाएगी।
यदि किसी खास गांव, शहर, नगर, वार्ड, कॉलोनी या अस्थाई शिविरों में कोरोना का मामला सूचित होता है, तो जिलाधिकारी को संबंधित क्षेत्र को सील करना, संबंधित क्षेत्र विशेष में आम जनों की आवाजाही पर रोक लगाना, स्कूल कार्यालयों को बंद कर भीड़ इकट्ठा होने पर रोक लगाना, संबंधित क्षेत्र विशेष में व्यवसायिक निजी गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगाने, संक्रमित रोगियों के त्वरित एवं निर्धारित अवधि तक सर्विलांस की कार्रवाई करने, सभी संदिग्ध मरीजों को अस्पताल में आइसोलेट कराने, किसी भी सरकारी या निजी भवन को आइसोलेशन के लिए अधिकृत कराने, सरकारी विभागों के कर्मियों के संदर्भ में वायरस से बचाव एवं रोकथाम हेतु निर्णय लेने, कोरोना वायरस से संबंधित सरकार या विभाग से जारी कोई भी निर्देश जिला अंतर्गत लागू कराने का अधिकार जिलाधिकारी को प्राप्त है।
कोरोना वायरस से बचाव रोकथाम इत्यादि की योजना एवं अन्य आकस्मिक निर्णय हेतु जिला दंडाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला आपदा प्रबंधन समिति सक्षम होगी।

– रिपोर्ट  : अशोक कुमार अंज/अंज मीडिया

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