जागरूकता रथ रवाना
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पोषण जागरूकता रथ हुआ रवाना |
गया : आकांक्षी जिला कार्यक्रम ,गया नीति आयोग अंतर्गत प्रगति ग्रामिण विकास समिति एवं सेव द चिल्ड्रेन के सहयोग से एवं ICDS गया के तत्वाधान में पोषण माह अंतर्गत दो पोषण जागरूकता रथ को जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (ICDS) श्रीमति भारती प्रियम्बदा, cdpo manpur स्नेहा सिन्हा, cdpo गया सदर कुमारी पूनम द्वारा झंडा दिखा संयुक्त रूप से कर मानपुर प्रखंड के विभिन्न सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय के बीच जागरूकता फ़ैलाने हेतु भेजा गया |
विदित हो प्रत्येक वर्ष 1 से 30 सितम्बर तक पोषण माह बनाया जाता है , जिसमे सरकार द्वारा निर्गत आदेशानुसार पोषण माह के दौरान विभिन्न प्रकार के गतिविधियों द्वारा समुदाय में बच्चो, गर्ववती महिला, धात्री महिला, कुपोषित,अतिकुपोषित बच्चो को अच्छे पोषण एवं स्वास्थ्य को लेकर जागरूक किया जाता है |
कार्यक्रमों में समुदाय कि अधिक भागीदारी के लिए उनके बिच क्विज प्रतियोगिता, हेल्दी बेबी शो, रंगोली प्रतियोगिता, बच्चों के साथ खेल कूद के माध्यम से जागरूकता फैलाना, साफ़ सफाई का ध्यान, हाथ धोने के तरीको इत्यादि का आयोजन कर समुदाय को उत्साहित किया जाता है ताकि अधिक से अधिक लोगो कि भागीदारी सुनिश्चित हो और समुदाय को लाभ मिले |
विदित प्रगति ग्रामिण विकास समिति एवं सेव द चिल्ड्रेन वर्ष 2021 से मानपुर प्रखंड में कार्य कर रही है और समुदाय को विभिन्न कार्यक्रम के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास कर रही है, और कुपोषित बच्चो को मानपुर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में आवाषित करने का काम कर रही है जहाँ बच्चो के माता को बच्चे के सही देखभाल-रखरखाव ,खान-पान आदि सिख रही है और अपने बच्चे को स्वस्थ करके आपने घर लौट रही है |
आज के इस कार्यक्रम में ICDS के जिला समन्वयक-सबा सुल्ताना, प्रगति ग्रामिण विकास समिति एवं सेव द चिल्ड्रेन के समन्वयक विरेन्द्र कुमार,जहीर अब्बास खान, कार्यकर्त्ता पिंटू भारती, पप्पू पासवान,नवाजिश रिज़वी,सरफ़राज़ आलम,शब्या कुमारी, पीरामल से रवि रंजन, नीरज कुमार एवं अन्य लोग उपस्थित रहे |
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दस में से पांच आहार समूह लेना जरूरी |
गया में पारिवारिक आहार विविधता जागरूकता
बच्चों और माताओं को कुपोषण से बचने के लिए दस में से पांच आहार समूह लेना जरूरी है। आहार समूह की जानकारी के अभाव में गर्भवती एवं धात्री माताओं को सही पोषण प्राप्त नहीं हो पता।
सही पोषण के अभाव में माँ एवं उसके बच्चे दोनों में कुपोषण हो जाता है। कुपोषण के कारण बच्चों की लंबाई एवं वजन भी ठीक से नहीं बढ़ पता। यदि आरंभिक एक हजार दिनों का ध्यान रखते हुए बच्चों सहित गर्ववती एवं धात्री माताओं को सही पोषण दिया जाए, तो उन्हें कुपोषण से बचाया जा सकता है।
इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार के दिशा निर्देशन में जीविका द्वारा सामुदायिक संगठनों के माध्यम से गया में एक अप्रैल 2022 से 31 अगस्त 2022 तक पारिवारिक आहार विविधता अभियान चलाया गया।
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ग्रामीण महिलाओं |
जीविका के प्रबंधक स्वास्थ्य एवं पोषण शंभु प्रकाश ने जानकारी दी कि जीविका सामुदायिक संगठनों की बैठकों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को समय-समय पर खाद्य समूह की जानकारी दी जाती है। उन्हें स्वास्थ्य, पोषण एवं स्वच्छता के लाभ के विषय में बताया जाता है।जीविका सामुदायिक संगठनो के माध्यम से कार्यरत जीविका मित्र, सीएनआरपी एवं एचएनएस-एमआरपी द्वारा लाभार्थी सूचि तैयार कर ग्राम संगठन की बैठक के माध्यम से गर्भवती एवं धात्री माताओं को स्वस्थ्य रहने के लिए रोज के खाने में 10 में से पांच खाद्य समूह खाने के लिए प्रशिक्षित किया गया |
73 में से 62 संकुल स्तरीय संघों द्वारा पारिवारिक आहार विविधता अभियान चलाया गया है। 3129 ग्राम संगठन द्वारा लाभार्थी सूची तैयार कर 3094 घरों में भ्रमण कर आहार समूहों की जानकारी दी गई। 3038 ग्राम संगठन द्वारा दस आहार समूह को समझने के लिए फल, हरी सब्जी, अनाज, दाल आदि का प्रयोग कर आकर्षक रंगोली भी बनाई गई।
माताओं को यह भी प्रशिक्षित किया गया कि जब उनका बच्चा छ: माह का हो जाय तो सातवें माह से सात में से चार खाद्य समूह खिलाना चाहिए। गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को भोजन के आलावे दो अतिरिक्त खुराक लेने के लिये भी प्रशिक्षित किया गया |
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बने रहिए ! अंजन्यूजमीडिया के साथ, अनवरत प्रस्तुति |
इसमें आहार विविधता से लाभ, व्यवहार परिवर्तन का अर्थ, शिशु को स्तनपान कराने का महत्व, पूरक आहार, महिलाओं के लिए पौष्टिक आहार समूह आदि के महत्व पर चर्चा होती है। इससे दीदियों को आहार समहू को समझाना आसान हो जाता है। जीविका दीदियों को पिको प्रोजेक्टर के माध्यम से स्वास्थ्य एवं पोषण से सम्बंधित वीडियो दिखाकर मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी भी दी गई |
दीदियों ने स्वास्थ्य एवं पोषण से सम्बंधित चटकारे एपिसोड को देखा है एवं उसकी तारीफ की है। वीडियो दिखाने का प्रयोग अच्छा है। उन्हों बताया कि छह माह तक के बच्चों को केवल माँ का दूध ही देना चाहिए। छह माह बाद उन्हें घर में बना आहार देना चाहिए। बच्चों के सही शरीरिक एवं मानसिक विकास के लिए शुरुआती 1000 दिन अति महत्वपूर्ण है। माताओं एवं परिवार के अन्य सदस्यों को इसका ध्यान रखना चाहिए।
पारिवारिक आहार विविधता अभियान के दौरान अच्छे कार्य करने वाले जीविका मित्र, सीएनआरपी एवं एचएनएस-एमआरपी को प्रखंड एवं संकुल स्तरीय संघ द्वारा सम्मन कर्यक्रम का आयोजन कर पुरस्कृत किया गया है। इस अभियान का मुख्य उदेश्य बच्चों और माताओं को कुपोषण से बचाना है। समूह को जानकारी दी जाती है।
उन्हें स्वास्थ्य और पोषण के लाभ के विषय में बताया जाता है। जीविका सामुदायिक संगठनो के माध्यम से कार्यरत जीविका मित्र, सीएनआरपी एवं एचएनएस-एमआरपी द्वारा लाभार्थी सूचि तैयार कर ग्राम संगठन की बैठक के माध्यम से गर्भवती एवं धात्री माताओं को स्वस्थ्य रहने के लिए रोज के खाने में 10 में से पांच आहार समूह खाने के लिए बताया जाता है।
साथ ही माताओं को अपने बच्चों को सात में से चार आहार समूह खिलने को बताया जाता है। गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को भोजन की दो अतिरिक्त खुराक लेने को कहा जाता है। इसमें आहार विविधता से लाभ, व्यवहार परिवर्तन का अर्थ, शिशु को स्तनपान करने का महत्व, पूरक आहार, महिलाओं के लिए पौष्टिक आहार समूह आदि के महत्व पर चर्चा होती है।
दस आहार समूह को समझने के लिए फल, हरी सब्जी, अनाज, दाल आदि का प्रयोग कर आकर्षक रंगोली भी बनाई जाती है। इससे दीदियों को आहार समहू को समझाना आसान हो जाता है। जीविका दीदियों को पिको प्रोजेक्टर के माध्यम से स्वास्थ्य एवं पोषण से वीडियो दिखाकर मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी भी दी जाती है। दीदियों ने स्वास्थ्य एवं पोषण से सम्बंधित चटकारे एपिसोड को देखा है एवं उसकी तारीफ की है।
वीडियो दिखाने का प्रयोग अच्छा है। उन्हों बताया कि छह माह तक के बच्चों को केवल माँ का दूध ही देना चाहिए। छह माह बाद उन्हें घर में बना आहार देना चाहिए। बच्चों के सही शरीरिक एवं मानसिक विकास के लिए शुरुआती 1000 दिन अति महत्वपूर्ण है। माताओं को इसका ध्यान रखना चाहिए।
पारिवारिक आहार विविधता अभियान के दौरान अच्छे कार्य करने वाले जीविका मित्र, सीएनआरपी एवं एचएनएस-एमआरपी को प्रखंड एवं संकुल स्तरीय संघ द्वारा सम्मन कर्यक्रम का आयोजन कर परिष्कृत किया गया है। इस अभियान का मुख्य उदेश्य बच्चों और माताओं को कुपोषण से बचाना है।
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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर चर्चा |
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलछाजन
संयुक्त कृषि भवन, बाजार समिति, चन्दौती के सभागार में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलछाजन विकास 2.0 के अंतर्गत जिला स्तरीय एक दिवसीय प्रषिक्षण (Basic of WDC-PMKSY 2.0) का शुभारंभ श्री बैंकटेष नारायण सिंह, निदेषक, भूमि संरक्षण-सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, BWDS(SLNA), बिहार, पटना द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। अपने संबोधन में उन्होने प्रषिक्षणार्थियों से कहा कि भूमि एवं जल संरक्षण से संबंधित कार्य सामाजिक कार्य है। इससे उपजाऊ भूमि के क्षरण को रोकने के साथ ही भूमिगत एवं वर्षा जल को संरक्षित किया जा सकता है। उन्होने जल संरक्षण हेतु आवष्यक संरचनाओं का निर्माण कराकर एवं जीर्णोंद्धार के माध्यम से जलछाजन क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करने के लिए प्रतिभागियों को प्रेरित किया।
रतन कुमार भगत, संयुक्त निदेषक (षष्य) मगध प्रमंडल गया द्वारा फसलों के आधार पर कृषि क्षेत्र की गहन जानकारी प्राप्त कर कृषि को उन्नत बनाने की ओर अग्रसर होने के लिये उपयोगी निर्देष दिए गये। सुदामा महतो, उप निदेषक (कृषि अभियंत्रण) भूमि संरक्षण, गया द्वारा बताया गया कि सभी अधिकारी एवं कर्मी पारदर्षी तरीके से सभी योजनाओं के लाभ लाभुकों तक पहुंचाएं। श्री बिपिन बिहारी सिन्हा, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, गया सदर द्वारा जल के स्त्रोतों के बारे में जानकारी देते हुए वर्षा जल संरक्षण के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्यक्रम में सतीष कुमार, उप निदेषक (रसायन) मगध प्रमंडल गया, अविनाष कुमार, सहायक निदेषक (षष्य) भूमि संरक्षण, गया, न्यूटन कुमार, सहायक निदेषक (कृषि अभियंत्रण), गया, पिंकेष कुमार, तकनीकी विषेषज्ञ-सह-परियोजना प्रबंधक,WCDC, गया, राजेष प्रसाद सिंह, सहायक भूमि संरक्षण पदाधिकारी, फतेहपुर ईकाई, विभूति कुमार, सहायक भूमि संरक्षण पदाधिकारी, बाराचट्टी, गया, आदर्ष कुमार सिंह, लेखापाल,WCDC गया, श्रीमती अंजु सिंह,SMS WCDC, गया, सभी जलछाजन विकास दल सदस्य एवं सभी जलछाजन सचिव उपस्थित थे।
– AnjNewsMedia Presentation